विज्ञान के बढ़ते प्रभाव से पूरी दुनिया में टैक्नोलौजी एक आम जरूरत बन गई है. हर व्यक्ति, खासकर युवा, इस से जुड़े उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है. टैक्नोलौजी से भरे इस समाज में जहां इस के भरपूर फायदे मिले वहीं कुछ समस्याएं भी देखने को मिलीं, खासकर युवा पीढ़ी को. तो आइए समझते हैं इन से कैसे निदान पाएं.

2020 तक विश्व में मल्टीटास्क करते आज के युवा बेशक पुनर्गठित हो चुके हों, और एक अतिस्मार्ट दुनिया के निर्माण में बेहतर तरीके से लगे हों, वे ज्यादा सीख भी रहे हों, किसी भी समस्या के समाधान के लिए ज्यादा जल्द निदान देने वाले हों, लेकिन इस रैपिड मेकैनिकल ऐक्शन का मानवीय दिमाग और मानवीय समाज पर क्या असर पड़ रहा है, यह जानना और होशियार रहना भी क्रांतिकारी रूप से सुधारात्मक कदम होगा. इस बारे में हमारे विशेषज्ञ ऐसी कई जानकारियां और अनुभव हमारे साथ साझा करेंगे जो मल्टी टास्किंग टैक्नो युवाओं को टाइम और लाइफ मैनेजमैंट में बेहतर परिणाम दे सकेंगे.

पहले विशेषज्ञ हैं छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के प्रशासनिक सेवा के तहत रायपुर में डिप्टी कलैक्टर के पद पर सेवारत मनीष मिश्रा. डिप्टी कलैक्टर की जिम्मेदारियों में राजस्व, कानून व्यवस्था, वित्तीय व प्रशासनिक जिम्मेदारियां आती हैं.

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दूसरे विशेषज्ञ हैं गुजरात के अहमदाबाद स्थित कंपनी एपेक्सा स्मार्ट सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरैक्टर मौलिक पटेल. ये वर्षों से आईटी क्षेत्र की बेहतरी, विकास, ट्रेनिंग के व्यवसाय में लगे हैं.

टैक्नोलौजी और युवा

तेजी से विकसित होती आज की दुनिया जहां पूरी तरह टैक्नोसैवी है और टैक्नोलौजी की पैठ स्टडीरूम से ले कर किचन तक, पर्यावरण से ले कर साइंटिस्ट की लैब तक हो गई है, वहां युवाओं के सामाजिक व बौद्धिक आचरण पर भी इस का खासा प्रभाव पड़ा है.

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