लेखक-डा. दीपक कोहली
निराश, अधीर या परेशान होने पर सब से ज्यादा गुस्सा ही आता है. गुस्सा किसी भी व्यक्ति में प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है. कभीकभी गुस्सा किसी खास परिस्थिति की वजह से भी आ सकता है.
ऐसे में गुस्से पर काबू करना जरूरी है, नहीं तो इस का नकारात्मक असर पड़ सकता है. अकसर और अत्यधिक हद तक गुस्सा महसूस करना रिश्तों और एक व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक स्थिति और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है.
वैसे, गुस्सा या क्रोध हम सभी के जीवन का एक हिस्सा है. कई बार हम लोग अपने आसपास घट रही घटनाओं की वजह से या अनुकूल वातावरण न होने के कारण भी क्रोधित हो जाते हैं.
मनोविज्ञान से जुड़े एक्सपर्टों के अनुसार, एक सप्ताह में थोड़ा गुस्सा आना सामान्य हो सकता है, लेकिन छोटीछोटी बातों पर गुस्सा होना आप को परेशानी में डाल सकता है. गुस्से की वजह से कई बीमारियों का खतरा भी शुरू हो जाता है.
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गुस्सा एक तरह से अपनी भावना को व्यक्त करने का तरीका है. गुस्सा आने पर आप खुद को दुखी या कभीकभी असहाय भी महसूस कर सकते हैं.
ऐसे में अपने गुस्से का कारण समझें, अपनी परेशानी किसी खास प्रियजनों से साझा करें. ऐसा करने से आप अच्छा महसूस करेंगे और आप का गुस्सा भी जल्दी शांत होगा.
गुस्सा आने पर उस दौरान शारीरिक बदलाव महसूस किया जा सकता है, जैसे- शरीर का सख्त होना या हाथपैर कांपना वगैरह.
आप अगर क्रोध में नहीं फंसना चाहते हैं तो अपना ध्यान केंद्रित रखें. ऐसी किसी बातों में न उलझें, जिन में नकारात्मक विचार हों.
अगर आप अपनेआप को परफेक्ट मानते हैं, तो जरा अपने शब्दों पर विचार करें. अपनेआप को समझने की कोशिश करें, दोनों ही नकारात्मक और सकारात्मक तरीकों से.
ऐसा करने से आप अपनेआप को समझ पाएंगे कि आप का गुस्सा कितना जायज है. गुस्से के कारण को समझें और निष्कर्ष निकालें कि परेशानी वास्तव में कहां है. बच्चों की तरह जिद न करें. जिद करना बच्चों के साथसाथ दूसरे लोगों के लिए भी नुकसानदायक है.
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गुस्से की वजह से भेदभाव हो सकता है. इस कारण आप अपने करीबियों से भी अलग हो सकते हैं, इसलिए अपनी बोलचाल की भाषा में शांति रखें. गुस्से की भावना किसी कारण ही आती है. लेकिन इसे समझना बेहद जरूरी है कि आखिर गुस्सा किस बात को ले कर आया और फिर इसे सुलझाना आसान होता है.
किसी भी तरह की समस्याओं को प्यार से और आराम से सुलझाने की कोशिश करें, क्योंकि कभीकभी काम ठीक से न होने की स्थिति में गुस्सा होने के अलावा कोई और विकल्प मौजूद नहीं होता है. गुस्सा करें लेकिन ज्यादा गुस्सा न करें.
गुस्से की वजह से आप बीमार भी पड़ सकते हैं. आप का ब्लडप्रेशर बढ़ने के साथसाथ और भी तमाम परेशानी शुरू हो सकती हैं. इसलिए समय रहते इन बीमारियों के बचाव के लिए आप डाक्टर से संपर्क करें.
गुस्से से जुड़े फैक्ट में यह भी सचाई है कि इस वजह से लोगों को शारीरिक परेशानी हो सकती है, जैसे- सिरदर्द की समस्या, डाइजेशन की परेशानी जैसे पेटदर्द या अपच, इंसोम्निया होना यानी नींद न आना, एंग्जाइटी की परेशानी, बेचैनी महसूस करना, डिप्रेशन की समस्या, हाई ब्लडप्रेशर की परेशानी, त्वचा संबंधी परेशानी भी हो सकती है, हार्ट अटैक की संभावना हो सकती है, कभीकभी स्ट्रोक के पीछे गुस्सा भी एक कारण हो सकता है.
5 साल पहले की तुलना में अब 84 फीसदी लोग काम की वजह से ज्यादा तनाव में रहते हैं. इस वजह से गुस्सा ज्यादा आता है.
एक रिसर्च के अनुसार, दफ्तर में काम करने वाले 65 फीसदी व्यक्ति खुद ही गुस्से में आ जाते हैं. वहीं शोध में यह बात भी सामने आई है कि तकरीबन 45 फीसदी कर्मचारी दफ्तर में अत्यधिक क्रोधित हो जाते हैं.
ब्रिटेन के लोगों पर किए गए रिसर्च के मुताबिक, 33 फीसदी लोग अपने पड़ोसियों से बात नहीं करते हैं. गुस्से से जुड़े फैक्ट ये भी बताते हैं कि लोग अपनी बातें पूरी करने के लिए भी गुस्सा करते हैं.
वैसे, हम सभी की यही चाहत होती है, हम जैसा चाहें वैसा ही होना चाहिए, लेकिन ऐसा न होने पर निराश, दुखी और गुस्से में आ जाते हैं. अगर आप किसी भी क्रोधित व्यक्ति के संपर्क में रहते हैं तो उन्हें समझाना चाहिए, क्योंकि गुस्से की वजह से उन की शारीरिक परेशानी बढ़ सकती है.
इसलिए गुस्से से बचने के लिए नियमित रूप से वर्कआउट करना चाहिए, सुबह की सैर पर जाना चाहिए, स्विमिंग क्लास जाना चाहिए, मनपसंद काम जैसे म्यूजिक सुनना, गीत गाना, डांस क्लास जाना चाहिए वगैरह.
अगर आप को किताबों का शौक है, तो किताबें पढ़नी चाहिए. ऐसा करने से आप अपनेआप को गुस्से से बचा सकते हैं.