रुखसाना अमीन को 40 की उम्र में गर्भाशय का ट्यूमर हुआ था, जिस को हटाने के लिए डाक्टर ने उन का औपरेशन किया.औपरेशन के बाद रुखसाना अमीन को 2 यूनिट खून चढ़ाया गया. उस औपरेशन को हुए 20 साल हो गए. मगर इन 20 सालों में रुखसाना अमीन पेट संबंधी बीमारियों से घिरी रहीं. उन्हें खाना हजम नहीं होता, सीने में जलन रहती है, कई बार तो उल्टी हो जाती है. पेट भी फूलाफूला महसूस होता है.लंबे समय तक वे इन लक्षणों को गैस का लक्षण मान कर इग्नोर करती रहीं. इस बीच वे शुगर की मरीज भी हो गयीं. एक दिन उन को खून की कई उल्टियां हुईं. घरवालों ने समझा उन को टीबी हो गया है. उन के कई टैस्ट हुए और बाद में पता चला कि वे हेपेटाइटिस की गंभीर मरीज हैं.
रुखसाना अमीन हमेशा पति से कहती थी कि औपरेशन के बाद जो खून चढ़ा वह ठीक नहीं था. बाद में डाक्टर ने भी हेपेटाइटिस सी की यही वजह बताई कि यह खराब और संक्रमित खून की वजह से है. यह संक्रमण कई सालों का है जिसने 75 फ़ीसदी लिवर डैमेज कर दिया है. आज रुखसाना अमीन सिर्फ 25 फीसद लिवर के साथ अपनी जी रही हैं. उन का लगातार इलाज चल रहा है. शरीर में खून नहीं बनता तो हर 3 महीने पर उन को खून चढ़ाना पड़ता है. खाना आज भी ठीक से हजम नहीं होता है. शरीर सूख कर कांटा हो गया है क्योंकि लिवर फंक्शन बहुत खराब है.
प्रमोद सिंह की उम्र मात्र 36 वर्ष थी जब वह लिवर सिरोसिस की बीमारी के कारण चल बसा. पीछे रह गयी उस की जवान बीवी और 2 साल का बेटा. प्रमोद सिंह को शराब पीने की लत थी. एक अखबार में काम करता था. अकसर पार्टियां होती थीं या प्रैस क्लब में यारदोस्त देररात बैठते थे तो फ्री की शराब खूब मिलती थी. हालत यह हो गई कि उस की सुबह शराब से होती और रात शराब पर खत्म होती. कई बार पेट में पानी भर गया. अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. डाक्टर नीडल डाल कर पानी निकाल देते और शराब ना पीने की हिदायत के साथ डिस्चार्ज कर देते. मगर प्रमोद शराब नहीं छोड़ पाया और अंत में शराब ने उस को लील लिया. मौत के समय प्रमोद का पेट फूल कर कुप्पा हो गया था. यह डैमेज सूजन लिवर की थी.
लिवर हमारे शरीर का वह हिस्सा है जो 70 फीसदी तक खराब होने पर भी काम करता है. यही वजह है कि इसमें कोई रोग लग जाने पर उस के लक्षण जल्दी पता नहीं चलते. ज्यादातर लोगों को लिवर के खराब होने का पता तब चलता है जब वह आधे से ज्यादा बेकार हो चुका होता है. इसलिए लिवर की सेहत को लेकर हमें हमेशा बहुत सतर्क रहना चाहिए, खासतौर पर 40 की उम्र के बाद.
लिवर की बीमारी यानी हेपेटाइटिस का इन्फैक्शन पूरी दुनिया में एक बड़ी चुनौती के तौर पर उभर रहा है. इस से होने वाली मौतों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक प्रत्येक साल इस बीमारी से 13 लाख लोगों की मौत हो रही है. इसका मतलब है कि प्रत्येक 30 सैकंड में हेपेटाइटिस से एक व्यक्ति की मौत हो रही है. बच्चों से ले कर बुजुर्गों तक में हेपेटाइटिस के अनेक प्रकार देखे जा रहे हैं. इसलिए लिवर की किसी भी तकलीफ को हलके में नहीं लेना चाहिए.
हेपेटाइटिस का अर्थ है लिवर में सूजन या इन्फ्लेमेशन, लिवर में सूजन वायरस ए, बी, सी या ई की वजह से आ सकती है. यह बीमारी अधिकतर वायरल इंफेक्शन की वजह से होती है. आजकल इस का सबसे बड़ा कारण शराब है. यदि शुरू में ही ध्यान न दिया गया तो लिवर कैंसर, लिवर फेलियर और लिवर से संबंधित दूसरी कई बीमारियां हो सकती हैं. हेपेटाइटिस कई प्रकार का होता है और अकसर जानलेवा होता है. वैसे तो हेपेटाइटिस वायरस के 5 स्ट्रेन होते हैं. जिन का नाम ए से ले कर ई तक है. पर इन में से सबसे ज्यादा खतरनाक बी और सी हैं.
डब्ल्यूएचओ के अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में 25.4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी से ग्रसित हैं और 5 करोड़ लोगों को हेपेटाइटिस सी बीमारी है. डब्ल्यूएचओ का कहना है हर साल इन बीमारियों के 20 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आते हैं. इस बीमारी से 6.5 करोड़ लोग अफ़्रीका में प्रभावित हैं. पश्चिमी पैसिफिक क्षेत्र में 9.7 करोड़ लोग इस बीमारी से लंबे समय से संक्रमित हैं. इसमें चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. दक्षिणपूर्व एशिया क्षेत्र में, जिसमें भारत, थाईलैंड और इंडोनेशिया शामिल हैं, 6.1 करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि हेपेटाइटिस ई हर साल दुनिया में 2 करोड़ लोगों को संक्रमित करता है और इस से साल 2015 में 44 हज़ार लोगों की मौत हुई थी.
हेपेटाइटिस कैसे फैलता है?
हेपेटाइटिस ए ज़्यादातर मल या गन्दगी से दूषित भोजन या पानी पीने से या किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से होता है. यह कम और मध्यम आय वाले देशों में सामान्य है, जहां स्वच्छता की स्थिति बहुत ख़राब है. इस के लक्षण जल्द ही ख़त्म हो जाते हैं और क़रीब सभी इस से ठीक हो जाते हैं. हालांकि इस से लिवर फेल होने का खतरा होता है.
हेपेटाइटिस ए दूषित भोजन या पानी वाले जगहों पर महामारी के रूप में फैलता है, जैसे साल 1998 में चीन के शंघाई में इस वायरस से 3 लाख लोग संक्रमित हुए थे. उस के बाद से चीन ने लोगों को हेपेटाइटिस ए के लिए टीका देना शुरू कर दिया.
हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमित व्यक्ति के रक्त, वीर्य या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है. हेपेटाइटिस सी और डी भी संक्रमित रक्त के संपर्क में आने से फ़ैलता है. केवल हेपेटाइटिस बी वाले लोग ही हेपेटाइटिस डी से संक्रमित हो सकते हैं. ऐसा करीब 5 फ़ीसदी लोगों के साथ होता है जो बहुत पहले से हेपेटाइटिस बी से संक्रमित हैं, और यह उन्हें विशेष रूप से ज़्यादा संक्रमित करता है. हेपेटाइटिस ई दूषित पानी पीने और खाना खाने से होता है. यह दक्षिण और पूर्वी एशिया में बहुत ही सामान्य बात है और ये खास कर गर्भवती महिला के लिए काफ़ी हानिकारक हो सकता है.
ये बीमारी इन कारणों से फैल सकती है –
– जन्म के दौरान मां से बच्चे में
– एक बच्चे से दूसरे बच्चे के संपर्क में आने से
– दूषित सुइयों और सिरिंजों से गोदने, छेदने या संक्रमित खून और शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से
– दूषित खून चढाने से
हेपेटाइटिस के क्या लक्षण होते हैं?
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हेपेटाइटिस के लक्षणों में बुखार, कमजोरी, भूख की कमी, दस्त, उल्टी, पेट में दर्द, गहरे रंग का पेशाब आना और पीला मल के साथ पीलिया रोग के लक्षण जिस में त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीला होना शामिल है.
हालांकि हेपेटाइटिस से ग्रसित कई लोगों को बहुत हलके लक्षण होते है, वहीं कई लोगों में लक्षण नहीं भी दिखते. डब्ल्यूएचओ के साल 2022 के आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया में 13 फीसदी क्रोनिक हेपेटाइटिस बी के मरीजों और 36 फीसदी हेपेटाइटिस सी के ग्रसित लोगों के बारे में पता चला है. सबसे खतरनाक बात ये है कि वह लोग बिना जाने के संक्रमण को आगे फैला सकते हैं अन्य लोगों के सम्पर्क में रहते हैं. वे साथ उठते-बैठते, खातेपीते और सैक्स करते हैं. इसलिए डब्ल्यूएचओ और डॉक्टर लोगों से ज़्यादा से ज़्यादा जांच कराने का आग्रह करते हैं.
हाल ही में सब्जियों, दालों, अनाज आदि में कीटनाशकों की अत्यधिक मात्रा भी इस रोग की जनक मानी जा रही है. सब्जियों जैसे तोरी, घीया, कद्दू, तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी आदि को जल्दी से जल्दी बड़ा करने और मोटा करने के लिए किसान इंजेक्शन का प्रयोग कर रहे हैं. जो स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत हानिकारक है. इस के अलावा सरसों आदि के तेल में मिलाया जाने वाले बिलोये के तेल को भी लिवर संबंधी बीमारियों को पैदा करने का कारण पाया गया है. आज हम जितने भी पिसे मसाले अपने खाने में इस्तेमाल करते हैं, सभी में मिलावट है. हाल ही में हुई जांच में पाया गया है कि एमडीएच जैसी नामी कंपनी के अलावा 16 अन्य कंपनियों के मसाले खाने योग्य नहीं हैं. इनमें बड़ी मात्रा में पेप्टिसाइड्स मिले हैं. जो सीधे हमारे लिवर को खराब करते हैं.
अपने लिवर को बचाये रखने के लिए उसके स्वास्थ्य की जांच समय समय पर करवाते रहना बहुत जरूरी है. ये जांच एलएफटी यानी लिवर फंक्शन टेस्ट के रूप में जानी जाती है. इसे अवश्य करवाएं. संदेह होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. लिवर का इलाज जितनी जल्दी शुरू हो मरीज के अच्छा होने की संभावना उतनी अधिक होती है.