Lucknow Basket Chaat : जब लखनऊ की बात चलती है तो गंजिग का जिक्र जरूर आता है. गंजिग का मतलब होता है शाम को यहां के मशहूर हजरतगंज में टहलना. इस को ‘शाम ए अवध’ भी कहा जाता है. अवध की शाम का आंनद लेने के साथ ही साथ ‘लखनवी चाट’ का स्वाद भी मजेदार होता है. ऐसे में लखनऊ की चाट के तमाम स्वाद हैं. इन्ही में से एक ‘बास्केट चाट’ है. इस का मतलब होता है बास्केट यानि कटोरी के अंदर चाट.

चाट का खाने के शौकीन जब लखनऊ आते हैं तो बास्केट चाट उन की पहली पंसद होती है. जिस तरह से हैदराबाद की बिरयानी और दिल्ली के छोले भटूरे लोगों को पंसद आते हैं उसी तरह से लखनऊ की बास्केट चाट मशहूर है. दूसरी तमाम तरह की चाट के मुकाबले लखनऊ की बास्केट चाट काफी अलग है. लखनऊ के रौयल कैफे की चाट पूरी दुनिया में मशहूर है.

करीब 30 साल पहले 1992 में रौयल कैफे से ही बास्केट चाट की शुरूआत हुई थी. धीरेधीरे यह पूरी दुनिया में मशहूर हो गई. रौयल कैफे के एमडी संदीप आहूजा कहते हैं, ‘वैसे तो रौयल कैफे की चाट सभी को बहुत पसंद आती है. बास्केट चाट हमारी खास पहचान है. चाट में स्वाद और शुद्धता का सब से अधिक महत्व होता है.’

बास्केट चाट (Lucknow Basket Chaat) का नाम कैसे पड़ा असल में इस को बनाने के लिए सब से पहले फ्राइड आलू से एक बास्केट बनाई जाती है. इस के बाद बास्केट चाट में क्रिस्पी पापड़ी, खट्टी चटनी, दही, मसाले और शानदार टौपिंग की जाती है. चाट के साथ ही साथ बास्केट को भी खा सकते हैं. इस को बनाने के लिए सब से पहले आलू की एक छोटी सी बास्केट यानी टोकरी बनाई जाती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...