इनसान की जिंदगी यों तो तमाम झमेलों से भरी होती है, मगर सुबह से रात तक खाने की अहमियत से इनकार नहीं किया जा सकता है. इनसान की सारी गतिविधियों का मकसद कुछ कमाना और भर पेट खाना होता है. सजनासंवरना और मनोरंजन करना जैसी चीजें खाने के बाद ही आती हैं. भूखे इनसान को पढ़नालिखना, घूमनाफिरना या कुछ भी करना अच्छा नहीं लगता. जब पेट भरा हो तभी खेलकूद जैसी चीजें इनसान को रास आती हैं. इश्क और रोमांस जैसी गतिविधियां भी भरे पेट ही अच्छी लगती हैं. खानपान से जुड़ी बातें पत्रिकाओं व अखबारों में छपती ही रहती हैं, मगर यहां पेश हैं खानपान से संबंधित कुछ खास खबरें :

मशीन सूंध कर बताएगी कि खाना ठीक है या नहीं : अकसर यह अंदाजा लगाना ठिन होता है कि कोई खाना खाने लायक है या नहीं. कुछ लोग सूंघ कर कहेंगे कि खाना तो सही लग रही है, पर वही खाना किसी को खराब महसूस होता है.

अब यह काम मशीनों के जरीए होगा. ये मशीनें सूंघ कर बता देंगी कि खाना खाने लायक है या नहीं. ये मशीनें यह भी बताएंगी कि वातावरण में फैले प्रदूषण का स्तर इनसान के लिए कितना घातक है. भारतीय मूल के एक शोधकर्ता के साथ मिल कर कुछ वैज्ञानिकों ने लंदन (इंगलैंड) में एक ऐसा बायो सेंसर तैयार किया है, जो मशीनों को इनसानों की ही तरह अच्छी और खराब महक में फर्क करने की कूवत देता है. भारतीय वैज्ञानिक के साथ इंगलैंड और इटली के वैज्ञानिकों ने इनसान की नाक को सूंघने की कूवत देने वाले प्रोटीनों से यह बायो सेंसर बनाया है. यह शोध ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ जर्नल में छपा है. यानी आने वाले वक्त में किसी खाने की अच्छाई या खराबी का वारान्यारा मशीनों द्वारा किया जाएगा.

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