हिंदी फिल्म ‘सिटी लाइट्स’ से ऐक्टिंग के क्षेत्र में कदम रखने वाली 26 साल की पत्रलेखा मेघालय के शिलौंग शहर की रहने वाली हैं. उन्हें बचपन से ही ऐक्टिंग करने का शौक था, जिस में इन के मातापिता ने साथ दिया. इस समय पत्रलेखा फिल्म ‘लव गेम्स’ में लीड हीरोइन का रोल निभा रही हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के खास अंश:
आप ने ऐक्टिंग के क्षेत्र में आने की कैसे सोची?
मैं बचपन से ही ऐक्टिंग करना चाहती थी. मैं असम में बोर्डिंग स्कूल में गई. वहां जितने भी कल्चरल प्रोग्राम होते थे, मैं उन में भाग लेती थी. थिएटर और डांस मेरा शौक था. फिर कालेज के लिए मुंबई आई, पर मुझे तो ऐक्टिंग करनी थी.
कालेज के आखिरी साल के दौरान मेरी पहचान एक शख्स से हुई, जो इश्तिहारों के लिए काम करता था. मैं ने उस की मदद ली और उस ने मेरा पोर्टफोलियो बनवा कर सभी विज्ञापन हाउसों में भेजा. उस शख्स ने मुझे एक इश्तिहार भी दिलवाया, जिस से मुझे 5 हजार रुपए मिले थे.
इस के बाद मैं ने कई इश्तिहारों में काम किया. लेकिन मुझे फिल्म नहीं मिल रही थी. फिर मैं ने कास्टिंग डायरैक्टर अतुल मोंगिया से पूछा कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? मुझे काम क्यों नहीं मिल रहा है? उन्होंने मुझे वर्कशौप करने की सलाह दी.
मैं ने बैरी जौन और कई ऐक्टिंग क्लासेस में वर्कशौप की. इस से मुझे पता चल गया था कि कैमरे के आगे क्या करना है. फिर मुझे फिल्म ‘सिटी लाइट्स’ मिली. उस में सब ने मेरी ऐक्टिंग की तारीफ की.
आप के लिए शिलौंग से मुंबई आ कर रहना कितना मुश्किल था?
मेरे लिए ज्यादा मुश्किल नहीं था, क्योंकि मैं 5वीं क्लास से बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रही थी. मुझे अपना काम खुद करने की आदत है. मुंबई में पैसों की समस्या नहीं आई. मेरे मातापिता ने हमेशा मेरा साथ दिया, पर यह बिजी शहर है. यहां किसी के पास समय नहीं है. सब जैसे भाग रहे हैं. ऐसे में मैं शिलौंग के अपनेपन को याद करती हूं.
क्या आप को कभी ‘कंप्रोमाइज’ जैसे शब्दों का सामना करना पड़ा?
सच बताऊं तो नहीं. जब आप को किसी काम के लिए औफर्स आते हैं, तो वे सामने वाले की बौडी लैंग्वेज को देखते हैं. अगर उन्हें कुछ महसूस हुआ, तभी ऐसी नौबत आती है. मैं सोचती हूं, वह साफसाफ कह देती हूं.
आप की फिल्म ‘लव गेम्स’ कैसी है?
यह एक थ्रिलर रोमांटिक फिल्म है. पहली फिल्म में मैं ने साधारण घरेलू औरत का किरदार निभाया था, लेकिन इस फिल्म में मेरा किरदार एक चालाक, सैक्सी और मजबूत औरत का है. ऐसी स्टोरी मैं ने कभी नहीं सुनी, इसलिए मुझे काफी तैयारियां करनी पड़ीं. अपने किरदार को समझने के लिए मैं हाई सोसाइटी की कई पार्टियों में गई.
इस तरह की फिल्मों में लव सीन ज्यादा होते हैं. ऐसे सीन करना आप के लिए कितना आसान रहा?
ऐसे सीन करने में थोड़ी दिक्कत होती है. फिल्म ‘सिटी लाइट्स’ में भी मैं ने ऐसे सीन किए थे. तब मैं राजकुमार राव के साथ थी. मैं ने डायरैक्टर हंसल मेहता को यह बात बताई थी. तब कैमरामैन और उन के सामने हम दोनों ने ऐक्टिंग की थी.
इस फिल्म में भी समस्या आई, पर मुझे समझना पड़ा कि यह भी एक तरह का डायलौग है, जिसे फिल्माना है.
आप के और राजकुमार राव के संबंधों की काफी चर्चा है. यह बात कितनी सही है?
हम दोनों काफी समय से रिलेशनशिप में हैं. मैं शादी और रिलेशनशिप दोनों को अहमियत देती हूं. मेरे लिए दोनों एकसमान हैं.
आप अगर कलाकार न होतीं, तो क्या होतीं?
तो अपने पिता की तरह चार्टेड अकाउंटैंट होती.
आप कितनी फैशनेबल हैं?
जो आरामदायम हो, मैं वैसे कपड़े पहनती हूं.
आप को खाने में क्या पसंद है?
बंगाली मिठाई मेरी फेवरिट डिश है. मैं चावल के साथ झींगा मछली, कश्मीरी चिकन और पुलाव खाना बहुत पसंद करती हूं.
आप किस तरह की फिल्में करना चाहती हैं?
मैं ‘द डर्टी पिक्चर्स’ और ‘कहानी’ जैसी फिल्में करना चाहती हूं.