किशोरावस्था लड़कियों के जीवन का वह समय होता है जिस में उन्हें तमाम तरह के शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है. इस दौरान लड़कियां अपने शरीर में होने वाले बदलावों से अनजान होती हैं, जिस की वजह से उन्हें तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिस में उलझन, चिंता और बेचैनी के साथसाथ हर चीज के बारे में जानने की उत्सुकता रहती है. लड़कियों को उन के परिवार के सदस्यों द्वारा न ही बच्चा समझा जाता है और न ही बड़ा. ऐसे में उन के प्रति कोई भी लापरवाही घातक हो सकती है.
लड़कियों में किशोरावस्था की शुरुआत 9 वर्ष से हो जाती है, जो 19 वर्ष तक रहती है. जब लड़की किशोरावस्था में प्रवेश करती है तो उस के प्रजनन अंगों में तमाम तरह के परिवर्तन बड़ी तेजी से होते हैं. इसी दौरान लड़कियों में पीरियड्स की शुरुआत होती है, जो उन के प्रजनन तंत्र के स्वस्थ होने का संकेत देती है.
किशोरावस्था की शुरुआत में परिवारजनों की जिम्मेदारी बनती है कि वे बेटी की उचित देखभाल करने के साथसाथ उसे भलेबुरे का भी परामर्श देते रहें, क्योंकि यह एक ऐसी उम्र है जिस में लड़की सपनों की दुनिया बुनने की शुरुआत करती है. ऐसे में लड़कियां उचित देखभाल व परामर्श न मिलने से गलत कदम भी उठा सकती हैं.
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हर लड़की के मातापिता को चाहिए कि वे तमाम शारीरिक परिवर्तनों के बारे में उसे पहले से अगवत कराएं, जिस से वह अपने शारीरिक बदलाव का मुकाबला करने में सक्षम हो पाए. किशोरावस्था में लड़की के प्रजनन अंगों से अचानक खून आना उसे मानसिक रूप से विचलित कर सकता है, इसलिए यह जरूरी है कि इस के बारे में लड़की को पहले से ही जानकारी हो. जिस से पीरियड्स में अस्वच्छता से होने वाली बीमारियों व संक्रमण से उस का बचाव किया जा सके.