एक पुलिस अधिकारी का सिर काट कर उस से फुटबौल खेलने जैसे कई जघन्य और नृशंस अपराधों को अंजाम देने वाले अपने दौर के कुख्यात चंदन तस्कर कूज मुनिस्वामी वीरप्पा गौडन उर्फ़ वीरप्पन की बेटी विद्यारानी वीरप्पन भले ही अपने पिता की जिंदगी पर गर्व करती रहे लेकिन यह एहसास उसे है कि अलग और सकारात्मक पहचान बनाने के लिए कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिसे लोग ऐप्रिशिएट करें. यह उतना आसान है नहीं जितना कि वह समझ रही है. इस के बाद भी उस की कोशिशें तो जारी हैं. तमिलनाडु की कृष्णगिरी लोकसभा सीट से (नाम तमिलर काची) टीएमके से चुनाव लड़ रही 32 वर्षीय विद्या की राह बहुत कठिन है क्योंकि यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. डीएमके और एडीएमके के उम्मीदवार भी इस सीट से जीत कर 2,277 किलोमीटर दूर दिल्ली पहुंचते रहे हैं लेकिन इस बार तमिलनाडु की हवा फिर से डीएमके-कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में है.

वीरप्पन एक मिथक बन चुका है जिस के किस्सेकहानी बहुत आम हैं. हालिया प्रदर्शित ब्लौक बस्टर्ड फिल्म ‘पुष्पा’ उस की बायोपिक करार दी जाती है. हालांकि साल 2016 में बनी कन्नड़ फिल्म ‘किलिंग वीरप्पन’ उस की जिंदगी पर बनी वास्तविक फिल्म थी जिसे रामगोपाल वर्मा ने निर्देशित किया था. औपरेशन कोकून पर आधारित इस फिल्म को दक्षिण भारत में अच्छा रिस्पौंस मिला था. मिशन कोकून वीरप्पन को पकड़ने और मार डालने की कानूनी घटनाओं का दस्तावेज कहा जाता है. हालांकि ‘किलिंग वीरप्पन’ की इस बाबत आलोचना भी हुई थी कि यह एक दुर्दांत और खौफ के पर्याय रहे डाकू का महिमामंडन है. तो फिर ‘पुष्पा’ में क्या था, इस पर आलोचकों और समीक्षकों के मुंह पर ताला लग गया था. वीरप्पन से ताल्लुक रखती एक दिलचस्प बात यह भी है कि 2013 में प्रदर्शित एक कन्नड़ फिल्म ‘अट्टहासा’ में उस के किरदार को गलत तरीके से दिखाने पर पत्नी मुत्तुलक्ष्मी ने निर्माता एएमआर रमेश पर मुकदमा ठोक दिया था और जीती भी थीं. उन्हें तब 25 लाख रुपए बतौर मुआवजे के मिले थे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...