आम धारणा के विपरीत, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज भी दुनियाभर में महिलाओं की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। पुरुषों की तरह, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से महिलाओं के बीमार होने और मरने की दरें उम्र बढ़ने के साथ बढ़ जाती हैं। इसके बावजूद, बड़े पैमाने पर कार्डियोवैस्कुलर डिजीज को रोका जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और दुनिया में दिल की सेहत पर काम करने वालीं दूसरी एजेंसियों के अनुसार, इस गंभीरता के बावजूद कार्डियोवैस्कुलर डिजीज को जोखिम के कारकों पर कंट्रोल करके रोका जा सकता है, जैसे कि कोलेस्ट्रॉल लेवल्स, ब्लड प्रेशर और तंबाकू का सेवन.
डॉ प्रीति शर्मा, डायरेक्टर, कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी-पेसमेकर, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेश्यलिटी हॉस्पिटल, देहरादून का कहना है कि- 40 और 50 वर्षों की आयु में ज्यादातर महिलाओं को मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति) होती है। इसमें उनका मासिक धर्म बंद हो जाता है और यह जीवन की एक प्राकृतिक अवस्था है.
मेनोपॉज़ से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज नहीं होती है। लेकिन मेनोपॉज आने तक महिलाओं में कार्डियोवैस्कुलर जोखिम के कारक काफी गंभीर हो सकते हैं और ऐसे में उनके संपूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है. एस्ट्रोजन को कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर सुरक्षात्मक प्रभाव के लिये जाना जाता है। यह ब्लड वेसल्स को फ्लेसिक्बल और स्वस्थ रखने में मदद करता है, इनफ्लेमेशन कम करता है और एलडीएल (LDL) कोलेस्ट्रॉल, यानि “बुरे’’ कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जिसकी वजह से आर्टरीज में प्लाक जमा हो सकता है। हालांकि महिलाओं के मेनोपॉज़ तक पहुँचने के साथ, उनमें अपनी आयु के पुरूषों की तुलना में हृदय गति रूकने की ज्यादा संभावना होती है. इसका आंशिक कारण है मेनोपॉज़ के बाद होने वाली एस्ट्रोजन की कमी, जिससे हृदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है.
हाल में की गई स्टडीज ने महिलाओं के दिल की सेहत पर हॉर्मोन्स और मेनोपॉज़ की भूमिका पर नई रोशनी डाली है। उदाहरण के लिये, 2020 में जामा कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया था कि कम उम्र में मेनोपॉज़ का अनुभव लेने वाली महिलाओं को कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का ज्यादा जोखिम था। इस स्टडी में यह भी पता चला कि सर्जिकल मेनोपॉज़ (ओवरीज को निकालना) करवाने वाली महिलाओं को प्राकृतिक मेनोपॉज़ वाली महिलाओं की तुलना में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का जोखिम ज्यादा था। मेनोपॉज़ के दौरान एस्ट्रोजन में गिरावट आने के अलावा हॉर्मोन के दूसरे बदलाव भी हृदय रोग के बढ़े हुए जोखिम में योगदान दे सकते हैं। उदाहरण के लिये, आमतौर पर पुरूषों से जोड़कर देखा जाने वाला हॉर्मोन टेस्टोस्टेरोन भी मेनोपॉज के दौरान कम हो जाता है और इससे मसल मास का नुकसान हो सकता है, बॉडी फैट बढ़ सकता है और यह दोनों ही हृदय रोग के जोखिम के कारक हैं.
कार्डियोवैस्कुलर जोखिम के कारक, जो हर महिला को जानने चाहिये, इस प्रकार हैं:
1.कोरोनरी हार्ट डिजीज का जोखिम उन महिलाओं में ज्यादा होता है, जिनका मेनोपॉज़ 45 साल की उम्र से पहले हो जाता है, क्योंकि इससे धमनियों में प्लाक जमा हो जाता है।
2. कम उम्र में दोनों ओवरीज को सर्जरी से निकालने से भी कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का जोखिम बढ़ सकता है, लेकिन मेनोपॉज़ की प्राकृतिक उम्र के आस-पास यही सर्जरी जोखिम को नहीं बढ़ाती है।
3. मेनोपॉज़ आने के साथ ही एस्ट्रोजन का स्तर कम होने लगता है, जिससे आर्टरी की दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल जमा हो सकता है और हृदय रोग या स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।
4. हॉट फ्लैशेस (शरीर के ऊपरी हिस्से में अचानक गर्माहट महसूस होना) और रात में पसीना आना मेनोपॉज़ से जुड़े आम लक्षण हैं और इन्हें कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के जोखिम का बुरा कारक माना जाता है।
5. कुछ अध्ययनों में डिप्रेशन और नींद में अवरोधों को भी हृदय रोग के ज्यादा जोखिम से जोड़ा गया है।
6. विसरल फैट, जो महत्वपूर्ण अंगों के पास एब्डॉमिनल कैविटी में होती है, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और कैंसर के ज्यादा जोखिम से जोड़कर देखा जाता है।
7. कोलेस्ट्रॉल लेवल्स और मेटाबॉलिक सिन्ड्रोम जैसे जोखिम के कारक आयु के सामान्य रूप से बढ़ने के अतिरिक्त मेनोपॉज़ के साथ बढ़ जाते हैं और मेटाबॉलिक सिन्ड्रोम में व्यक्ति को जोखिम के तीन या ज्यादा कारक होते हैं, जैसे कि मोटापा, ट्राइग्लिसराइड्स ज्यादा होना, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कम होना, ब्लड प्रेशर ज्यादा होना और ब्लड शुगर ज्यादा होना।
मेनोपॉज़ पूरे शरीर को प्रभावित करता है और उसमें गायनेकोलॉजिस्ट से बढ़कर देखभाल की जरूरत हो सकती है। अगर आपके परिवार में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का बड़ा प्रभाव है, तो कार्डियोलॉजिस्ट से सलाह लेना चाहिये, ताकि आपके जोखिम के बारे में बेहतर जानकारी मिल सके और सही समय पर डायग्नोसिस, उपचार तथा दखल सुनिश्चित किया जा सके। कुल मिलाकर, दिल के लिये सेहतमंद जीवनशैली को अपनाने, सक्रिय रहने और जोखिम के कारकों पर नियंत्रण रखने से महिलाओं को दिल की अच्छी सेहत बनाये रखने और हृदय रोग का जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है।