नए दौर में युवाओं के काम का एनवायरमैंट कुरसी पर बैठने वाला अधिक हो गया है. इस मौडर्न लाइफ स्टाइल के साथ अस्वास्थ्यकर खुराक, भारी स्टार्चयुक्त भोजन, फलों तथा सब्जियों रहित खाना और शारीरिक श्रम का अभाव उन्हें मोटापे की तरफ धकेल रहा है. दिल्ली की 32 वर्षीया गृहिणी शुचिका चौहान बढ़ते वजन को अपनी शारीरिक सुंदरता में एक बड़ी कमी मानती हुई कहती है,

‘‘खाने की अधिकता और शारीरिक क्षमता की कमी के कारण बढ़ा यह मोटापा मेरी परेशानी की वजह है और मु?ो डर है कि कहीं आगे यह और न बढ़ जाए, इसलिए मैं ने इसे नियंत्रित करने पर ध्यान देना शुरू कर दिया है.’’ परंतु उच्च रक्तचाप, कैंसर, मधुमेह और हृदय संबंधी रोग आदि भयंकर बीमारियों को बुलावा देने वाले इस मोटापे की चपेट में आने के कई कारण हो सकते हैं जिन्हें नजरअंदाज कर लोग बढ़ते वजन की समस्या का शिकार होते चले जाते हैं.

इस की असल वजह है अस्वास्थ्यकर खुराक, भारी स्टार्चयुक्त भोजन, फलों तथा सब्जियों रहित खाना और शारीरिक श्रम का अभाव. महिलाओं के लिए भी खतरा कम नहीं है. देश में पुरुषों से ज्यादा स्त्रियां, खासकर 35 से ज्यादा की आयु वाली, अधिक वजन की हैं. कारण महिलाओं में मोटापे के कारणों पर गौर किया जाए तो इस के प्रमुख कारणों में सब से अहम कारण है आरामतलबी होना और परिश्रम न करना, जिसे इस परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है कि घरों में रहने वाली साधनसंपन्न महिलाएं अधिकतर कामों के लिए नौकरों पर निर्भर रहती हैं तथा घर में ही बैठेबैठे मनोरंजन के साधनों टीवी, मोबाइल और इंटरनैट आदि से दिनभर का टाइम पास करती हैं और इसी के साथ ही जब चाहे खाने का मन होने पर अपने मनपसंद भोजन का लुत्फ उठाना भी उन की रोजमर्रा की आदतों में शुमार हो जाता है जिस का नतीजा होता कि मोटापा शरीर के कुछ अंगों, जैसे पेट, जांघ, हाथ, नितंब कमर आदि को अनावश्यक रूप से फुलाते हुए अपने आसपास के अंगों को दबाता चला जाता है.

इस तरह पूरे शरीर को वह अपने कब्जे में ले लेता है. स्वास्थ्य के लिए शारीरिक श्रम को महत्त्वपूर्ण बताते हुए कई डाइटीशियनों का कहना है कि जितनी मात्रा में प्रतिदिन भोजन से कैलोरी प्राप्त की जाती है उस का उतनी मात्रा में उपयोग न हो पाने के कारण शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ती चली जाती है और फैट जमा होने लगता है. यही कारण है कि एक ही जगह बैठ कर काम करते रहने वाले ऐसे लोग जो ज्यादा वर्कआउट नहीं करते मोटे होते चले जाते हैं.

मौडर्न लाइफ स्टाइल समय की कमी होने की वजह से जहां नौकरीपेशा व पढ़ाई में व्यस्त युवकयुवतियों को मजबूरी में ज्यादातर जंकफूड या बाहर के खाने का सहारा लेना पड़ता है, वहीं कालेज स्टूडैंट्स आदि के लिए भूख लगने पर उन के पसंदीदा भोजन के रूप में पिज्जा, बर्गर, चाउमीन आदि फास्ट फूड ही लेना होता है. इस के अतिरिक्त ज्यादा से ज्यादा घर से बाहर रैस्टोरैंट आदि और फूड डिलिवरी पर निर्भर रहने वालों में खाना खाने का शौक रखने वाली महिलाएं स्वाद लेने के चक्कर में उस औयली खाने के दुष्प्रभावों की ओर भी ध्यान नहीं देतीं जिस का परिणाम बहुत महंगा पड़ता है.

कोविड के दिनों में रैस्टोरैंटों का खाना घर पर पहुंचने लगा है और एक तरह से अब यह फैशन हो गया है. डिलीवरी ऐप्स के खाने का पोर्शन बड़ा होता है और ज्यादा खाया जाता है. हमारे यहां गर्भवती होने पर स्त्रियों को गर्भवती के नाम पर अनावश्यक खिलाते रहना एक दस्तूर सा बना हुआ है. प्रसव के बाद भी मेवों का अधिक सेवन कराना और शारीरिक श्रम कम करना व कहीं बाहर जाने के बजाय घर में ही बने रहना आदि भी वजन बढ़ने के कारण हैं.

  1. स्त्रियों में 3 बार बड़े शारीरिक बदलाव होते हैं- मासिकधर्म पर, गर्भधारण पर और मासिकधर्म बंद होने पर. इन तीनों मौकों पर उन के शरीर का वजन आमतौर पर बढ़ता ही है. इस विषय में डाक्टर कहते हैं, ‘‘यदि कोई महिला डिलीवरी के बाद अधिक रैस्ट करती है या फिर उस समय संतुलित मात्रा में सही भोजन का सेवन नहीं करती तो उसे वजन बढ़ने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. इसी तरह मासिकधर्म होने के समय हारमोनल डिस्टरबैंस की वजह से पीरियड्स लेट होने या अनियमित होने व मेनोपौज (मासिकधर्म बंद होने पर) के बाद भी वजन बढ़ सकता है.

ऐसी स्थिति में जब तक ऐक्सरसाइज न की जाए तब तक मोटापा कम नहीं होता. वैसे, इस के अतिरिक्त भी अगर वजन बढ़ने के कारणों पर ध्यान दिया जाए तो मोटापे का एक कारण जैनेटिक प्रौब्लम भी हो सकती है. मोटापा खानदानी भी हो सकता है लेकिन ऐसे में यह पता लगा पाना बहुत मुश्किल हो सकता है कि इस में वंशातुओं की कितनी भूमिका है. मांबाप से आने वाले डीएनए के वे छोटेछोटे हिस्से भी जो बालों या आंखों का रंग निर्धारित करते हैं, वजन बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं. आजकल और्गेनिक फूड के नाम पर कुछ भी खा लेना एक खतरा बनता जा रहा है. और्गेनिक फूड नुकसान नहीं करेगा, यह सोच खाने की क्वांटिटी को भी प्रभावित कर डालती है.

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