मुंबई में रहने वाले 26 वर्षीय राकेश को जिम का बहुत शौक था, क्योंकि उन्हें फिल्मों में ऐक्टर्स के सिक्स पैक बहुत आकर्षित करते थे. उन्होंने जिम जौइन किया और एक दिन कुछ ज्यादा वजन उठा लिया जिस से उन की कमर की मसल्स टियर हो गईं. डाक्टर ने उन्हें एक महीने का रैस्ट बताया. उन्होंने रैस्ट किया, पर मसल्स में दर्द अभी भी है. इसलिए उन्होंने जिम करना तकरीबन छोड़ रखा है, क्योंकि अभी भी उन की यह समस्या खत्म नहीं हुई है.

वर्कआउट के शौकीन लोग आजकल अधिकतर जिम में जाने से नहीं कतराते, क्योंकि वहां का एयरकंडीशन और इन्स्ट्रक्टर की ट्रेनिंग हर व्यक्ति, चाहे वह यूथ हो या वयस्क, को पसंद होती है. वयस्क जिम को मानसिक तनाव से मुक्त स्थान भी समझते हैं, क्योंकि वहां आने वाले यूथ को देख कर उन में भी मोरल बूस्ट होता है. साथ ही, आज की जीवनशैली में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को कम करने और फिटनैस को बनाए रखने के लिए हर कोई जिम को जरूरी महसूस करता है.

देखा जाए तो जिम में वर्कआउट करने की कई मशीनें होती हैं, जिन्हें लोग छोटेछोटे अंतरालों के लिए इस्तेमाल करते हैं. लेकिन जिम में इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों से हमें कई तरह के इंफैक्शन का खतरा रहता है. यहां वर्कआउट के लिए रखे गए इक्विपमैंट को कई सारे लोग इस्तेमाल करते हैं. यही वजह है कि जिम के बाद कई सारे इंफैक्शन या बीमारी व्यक्ति अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं. आइए जानते हैं, जिम जाने से होने वाली बीमारियां क्या हो सकती हैं और उन से सावधानी बरतना जरूरी क्यों है.

हार्टअटैक आने का खतरा

एक रिसर्च में शोधकर्ताओं ने वर्कआउट के दौरान दिल को होने वाले नुकसान के साथ संबंध में जानने की कोशिश की. रिसर्च में शोधार्थियों ने उम्रदराज पुरुष ऐथलीटों को शामिल किया. इस दौरान टीम ने पाया कि हैवी वर्कआउट से कोरोनरी एथेरोस्क्लेरोसिस नामक बीमारी के होने का खतरा बढ़ जाता है.

दरअसल, इस बीमारी की वजह से आप के दिल की धमनियों के ऊपर और अंदर वसा व बैड कोलैस्ट्रौल जमा होने लगता है. इस स्थिति में हार्टअटैक होने का खतरा बढ़ जाता है. शोध में सामने आए निष्कर्षों के मुताबिक, ये धमनियां पूरे शरीर में रक्त का संचार करती हैं और जब उन की आंतरिक त्वचा ब्लौक होने लगती है तो रक्त का संचार रुक जाता है. यही वजह है कि व्यक्ति को चलतेफिरते या फिर जिम करते हुए हार्टअटैक आ जाता है.

मसल्‍स में खिंचाव व दर्द

अधिक ऐक्‍सरसाइज करने से बौडी मसल्‍स में खिंचाव व दर्द की समस्‍या हो सकती है. हाई इंटेनसिटी ऐक्‍सरसाइज करने से बौडी मसल्‍स पूरी तरह से ऐक्‍टिवेट हो जाते हैं. ऐसे में ओवर वर्कआउट करने से मसल्‍स में अधिक खिंचाव हो सकता है. बौडी पर अधिक दबाव डालने से दर्द या चोट लगने का खतरा भी बढ़ जाता है.

भूख कम लगना और वजन कम होना

वर्कआउट करने के बाद आमतौर पर भूख अधिक लगती है, लेकिन जरूरत से ज्‍यादा ऐक्‍सरसाइज करने से भूख में कमी आ सकती है. इस के अलावा शरीर में हार्मोनल चैलेंज आने लगते हैं, जिस वजह से भूख कम हो जाती है. ओटीएस यानी ओवरट्रेनिंग सिंड्रोम भूख में कमी, थकावट और वजन कम होने का कारण बन सकता है.

नींद में परेशानी

जब बौडी के स्ट्रैस हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है तो बौडी सोते हुए भी तनाव महसूस करती है. तनाव में होने की वजह से प्रौपर नींद नहीं आती. ऐक्‍सरसाइज करने के बाद बौडी को रिकवरी की आवश्‍यकता होती है और नींद न आने की वजह से बौडी रिलैक्‍स नहीं हो पाती. कई बार पर्याप्‍त नींद न आना थकान, मूड स्‍विंग और चिड़चिड़ेपन का कारण बन जाती है.

वीक हो सकती है इम्‍यूनिटी

ऐक्‍सरसाइज करने के बाद यदि थकान या कमजोरी महसूस हो रही है तो समझिए बौडी की इम्‍यूनिटी वीक हो रही है. रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने पर बौडी में इंफैक्‍शन और बीमारी आसानी से हो सकती है. ऐक्‍सरसाइज के साथ बौडी की इम्‍यूनिटी बढ़ाने पर भी जोर देना जरूरी होता है.

इतना ही नहीं, जिम में जाने से कई प्रकार की त्वचा संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं, जिस का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि एक व्यक्ति के एक मशीन के प्रयोग के बाद दूसरा व्यक्ति भी उसे प्रयोग करता है. कुछ बीमारियां निम्न हैं-

• इम्पेटिगो एक प्रकार का त्वचा संक्रमण है जो बैक्टीरिया के कारण होता है. इस संक्रमण से त्वचा लाल हो जाती है और प्रभावित जगह पर खुजली होनी शुरू हो जाती है. इस के बाद त्वचा पपड़ी छोड़ती है. यह संक्रमण दूसरे इंसान में भी फैल सकता है.

• फंगस की वजह से अकसर स्किन पर दाद की समस्या हो जाती है. दाद संक्रमित स्थानों या किसी व्यक्ति को छूने पर फैलता है. रिंग की बनावट वाला यह संक्रमण लाल और पपड़ीदार होता है. दाद में खुजली और चुभन जैसी समस्या होती है.

• ऐथलीट फुट एक बेहद साधारण फंगल संक्रमण है और इसे टिनिया पेडिस के नाम से जाना जाता है. यह पैरों में होता है और हाथ से खरोंचने पर हाथों में भी फैल सकता है.

• जिम में ह्यूमन पेपिलोमावायरस का जोखिम भी होता है. जिम में नंगेपांव चलने से इस संक्रमण के होने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए जिम के दौरान हमेशा शूज पहन कर चलें.

जिम के अंदर हाइजीन का बहुत खयाल रखने की आवश्यकता होती है. किसी से भी किसी सामान को शेयर करने से बचें. मसलन, किसी की तौलिया, बोतल या दूसरे किसी भी निजी सामान का उपयोग करने से बचें. किसी भी मशीन का इस्तेमाल करने से पहले उसे साफ करें.

शरीर के अनुसार लें प्रोटीन

आम धारणा है कि फैट और कार्बोहाइड्रेट युक्त खाना खाने से वजन बढ़ता है. इसलिए फिटनैस की दौड़ में शामिल लोग ज्यादा से ज्यादा एनर्जी, प्रोटीन युक्त खाना लेना चाहते हैं. मैडिकल जर्नल नेचर मेटाबौलिज्म में पब्लिश हुई एक स्टडी के मुताबिक रोजाना शारीरिक जरूरत की 22 प्रतिशत से ज्यादा कैलोरी अगर प्रोटीन से ली जाएं, तो यह इम्यून सेल्स को सक्रिय कर सकता है, शरीर में अमिनो एसिड बढ़ा सकता है. इस से आर्टरीज में ब्लौकेज आने लगते हैं, जो हार्टअटैक का कारण बन सकता है.

एक्सपर्ट की लें सलाह

कई लोग तो इस के लिए प्रोटीन पाउडर या सप्लीमैंट लेते हैं, जो उन के शरीर के लिए हानिकारक भी हो सकता है. इस बारे में मुंबई की कोकिलाबेन धीरुबाई हौस्पिटल की कंसल्टेंट स्पोर्ट्स न्यूट्रिशनिस्ट पूजा उदेशी कहती हैं कि प्रोटीन पाउडर या सप्लीमैंट अपने शरीर और वजन के हिसाब से लेना पड़ता है. अधिक लेने पर उस का असर खराब हो सकता है. प्रोटीन के भी कई सारी वैराइटीज वाले प्रोडक्ट होते हैं, जो मार्केट में मिलते हैं. इस के साइड इफैक्ट की अगर बात करें तो अधिक मात्रा में लेने पर किडनी की समस्या, कार्डिएक अरैस्ट या लिवर की समस्या आदि कुछ भी हो सकती है.

जिम करने वाले हर व्यक्ति की प्रोटीन की जरूरत अलगअलग होती है, जिसे न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह ले कर लेना पड़ता है, ताकि शरीर को किसी प्रकार का नुकसान न हो. अधिकतर लोग ट्रेनर से बात कर या खुद अपने हिसाब से लेने लगते हैं, जो ठीक नहीं. प्रोटीन की मात्रा उम्र से अधिक, वजन पर निर्भर करती है.

एक किलोग्राम के वजन पर एक ग्राम प्रोटीन लिया जा सकता है. इस के अलावा किसी बीमारी, खेल खेलने या व्यायाम से प्रोटीन की जरूरत अधिक पड़ती है. शाकाहारी लोग जो अधिक प्रोटीन नहीं खा पाते, उन्हें प्रोटीन शेक लेने की जरूरत पड़ सकती है. कितनी मात्रा में व्यक्ति प्रोटीन ले, इस की जानकारी एक्सपर्ट से ले लेना अच्छा होता है. नैचुरल प्रोडक्ट पर अधिक ध्यान देना अच्छा होता है, मसलन शाकाहारी लोग पनीर, अंकुरित दाल, सोयाबीन, ब्राउन राइस आदि ले सकते हैं, जबकि नौनवेज खाने वाले लोग अंडा, मछली, मांस आदि को नियमित खा सकते हैं.

न्यूट्रिशनिस्ट पूजा उदेशी कहती हैं, “मेरे पास भी एक लड़का आया था, जिस के शरीर में प्रोटीन की मात्रा अधिक थी. मैं ने उस का ब्लड टैस्ट कर कैरोटीन के स्तर की जांच की. यूरिया की मात्रा शरीर में कितनी है, उसे पता किया. फिर उस को बैलेंस करना पड़ा. प्रोटीन पाउडर या सप्लीमैंट को कभी भी छोड़ कर नैचुरल डाइट पर आया जा सकता है और यह शरीर के लिए बेहतर होता है.

जिम जाएं पर रखें ध्यान

जिम के शौकीन आज सभी हैं. इसलिए जिम जाते व्यक्त कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें, ताकि आप की फिटनैस और स्वास्थ्य दोनों बनी रहे. कुछ सुझाव ये हैं-

1. वर्कआउट या ऐक्सरसाइज हमेशा डाक्टर या ट्रेनर की एडवाइस से ही करना चाहिए.
2. आप को फिटनैस मेंटेन रखने के लिए नौर्मल लैवल की ऐक्सरसाइज ही करनी चाहिए.
3. हैवी ऐक्सरसाइज करने से बौडी और हार्ट दोनों पर नैगेटिव इफैक्ट पड़ने लगता है.
4. ट्रेडमिल या किसी कार्डियो ऐक्सरसाइज का यूज करते समय एक बार में 10 मिनट से अधिक वक्त न बिताएं.
5. हर कार्डियो ऐक्सरसाइज के बाद कम से कम 5 मिनट का ब्रेक जरूर लें, ताकि हार्ट को रिलैक्स फील हो.
6. वर्कआउट के दौरान यदि छाती की लेफ्ट साइड में दर्द हो, तो तुरंत ऐक्सराइज रोक कर डाक्टर से मिलें.

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