बहुत सारी जागरूकता के बाद भी गर्भपात शादीशुदा महिलाओं मौत का कारण बनता है. आंकड़े बताते है कि कुल  मौतों में 8 से 10 फीसदी मौतें असुरक्षित गर्भपात से होती है. परिवार नियोजन का सही प्रयोग न होने से शादीशुदा महिलाओं को गर्भपात के लिये जाना होता है. केवल उत्तर प्रदेश में हर साल 31 लाख गर्भपात होते है. 72 फीसदी महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात की जानकारी नहीं होती है. केवल 23 प्रतिशत महिलाओं को ही सुरक्षित गर्भपात की जानकारी होती है. राष्ट्रीय स्तर पर देखे तो भारत में 56 प्रतिशत गर्भपात असुरक्षित स्थित में होते है. इस असुरक्षित गर्भपात के कारण 8 प्रतिशत मातृ मृत्यु होती है. असुरक्षित गर्भपात के कारण तमाम दूसरी बीमारियां भी महिलाओं को हो जाती है.

उत्तर प्रदेश में मां बनने की उम्र की करीब 4.8 करोड़ महिलायें है. यह कुल आबादी का करीब 50 प्रतिशत है. मां बनने लायक उम्र की महिलाओं में 1.9 करोड महिलायें 15 से 24 आयु वर्ग की है. यह मां बनने वाली उम्र की महिलाओं का 40 प्रतिशत है. ऐसे में साफ पता चलता है कि 15 से 24 साल उम्र की महिलाओं पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. असुरक्षित गर्भपात ऐसी महिलाओं के लिये खतरनाक होता है. इससे समाज की बड़ी आबादी समाज के विकास में अपना सही योगदान नहीं दे पा रहे है.

गर्भपात पर खुलकर बोलने में बचती हैं महिलायें

संकोच, शर्म और बदनामी के डर के कारण महिलायें अप्रशिक्षित लोगों के चक्कर में फंसकर गर्भपात करा लेती हैं जो उनकी मौत का कारण बनता है. महिलायें अभी भी ऐसी हालत में खुलकर बोलने और सलाह लेने से बचती है. उत्तर प्रदेश में प्रति एक लाख में 216 माताओं की मौत हो जाती हैं. इनमें से 20 की मौत असुरक्षित गर्भपात के कारण होती है. यह संख्या देश भर में होने वाली मौतों की संख्या का 20 प्रतिशत है. गर्भपात से बचाव के लिए विवाहित जोड़ो को परिवार नियोजन से जोड़ना चाहिए.

उत्तर प्रदेश के परिवार कल्याण महानिदेशक डा. बद्री विशाल ने उप्र वालण्टरी हेल्थ एसोसिएशन द्वारा आईपास डेवलपमेंट फाउण्डेशन एवं साझा प्रयास के सहयोग से आयोजित की गयी ‘सुरक्षित गर्भपात समापन’ विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला में कहा कि एमटीपी कानून के तहत यह प्रावधान है कि गर्भपात कराने वाले की जानकारी पूरी तरह से गोपनीय रखी जाती है, यहां तक कि इस जानकारी को सूचना के अधिकार के तहत भी नहीं मांगा जा सकता है. ऐसे में लोगों को इस बात के लिए जागरूक करने की आवश्यकता है कि संकोच और शर्म छोड़कर सरकारी अस्पताल के डॉक्टर से सम्पर्क करें, जिससे कि सुरक्षित गर्भपात हो सके.

अनचाहे गर्भ से बचाव और उसका प्रबन्धन

महाप्रबन्धक, परिवार नियोजन (एन.एच.एम.) डा0 अल्पना शर्मा ने इस विषय पर महिलाओं को जागरूक करने पर बल दिया. संयुक्त निदेशक, परिवार कल्याण डा0 विरेन्द्र सिंह ने एम.टी.पी. एक्ट को लेकर अपने विचार व्यक्त किये. यूपीवीएचए की कार्यक्रम प्रबन्धक श्वेता सिंह ने बताया कि आईपास डेवलपमेंट फाउण्डेशन के सहयोग से उ0प्र0 वालण्टरी हेल्थ एसोसिएशन द्वारा ‘साझा प्रयास’ जो उत्तर प्रदेश के 10 जिलों में कार्यरत स्वैच्छिक संस्थाओं का एक नेटवर्क है, जिसके माध्यम से विगत् दो वर्षों से महिलाओं के सुरक्षित गर्भ समापन पर कार्य किया जा रहा है.

आईपास डेवलपमेंट फाउण्डेशन के हरमेन्द्र सिंह द्वारा आशा बुकलेट पर प्रकाश डालते हुए उसकी उपयोगिता के बारे में बताया गया. आशा पुस्तिका ‘अनचाहे गर्भ से बचाव और उसका प्रबन्धन’ का विमोचन भी किया. कार्यशाला के अन्त में यूपीवीएचए के अधिशासी निदेशक विवेक अवस्थी ने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गो के सहयोग और जागरूकता से सुरक्षित गर्भपात को बढ़ावा दिया जा सकता है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...