लेखक-डा. वेदांत काबरा

तंबाकू के सेवन से होने वाली कुल मौतें, स्तन कैंसर, एड्स, सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली कुल मौतों से भी अधिक हैं. 69 तरह के कैंसर तंबाकू के सेवन से हो सकते हैं. आज कोरोना महामारी पर सभी चिंतित हैं लेकिन तंबाकू जैसी पुरानी महामारी से नजात पाना भी तो जरूरी है. भारत में तंबाकू का विभिन्न प्रकार से उपयोग होता है. कुछ उपयोग तो ऐसे हैं जो दुनिया में सिर्फ इसी हिस्से में होते हैं. तंबाकू व्यवसायों ने अपने मजबूत व भ्रामक विज्ञापन अभियानों के माध्यम से देश के कोनेकोने में इस की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी है.

धूम्रपान सिगरेट, बीड़ी, चिलम, हुक्का, सिगार, चुट्टा और उलटा चुट्टा बिना धुएं वाला, तंबाकू पान, गुटका, खैनी, पान मसाला, स्नफ, मिश्री, मावा, तंबाकू वाले टूथपेस्ट तंबाकू आदि का कोई भी ज्ञात लाभकारी इस्तेमाल नहीं है. देश में 40 से 50 फीसदी कैंसर तंबाकू की वजह से होते हैं. मुंह और फेफड़ों के कैंसर तो 90 फीसदी तंबाकू की वजह से होते हैं. अफसोसजनक बात यह भी है कि हमारे देश को दुनिया की मुंह के कैंसर की राजधानी के रूप में जाना जाता है. कैंसर के अलावा तंबाकू सेवन से दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, अल्सर, नपुंसकता, गर्भवती/स्तनपान करवाने वाली माताओं के बच्चों में जन्मजात विकृतियों के साथ ही उन का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता है.

ये भी पढ़ें- चलने की आदत बनाएगी आपको फिट

साथ ही, उपरोक्त बीमारियां परिवार के अन्य सदस्यों, जो कि ‘पैसिव स्मोकिंग’ का शिकार हो रहे हैं, को भी प्रभावित कर रही हैं. 15 वर्ष से अधिक आयु के 30 फीसदी भारतीय किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग कर रहे हैं जिस से देश में हर साल 13 लाख से अधिक लोगों की असामयिक मौत हो जाती है. तंबाकू में निकोटिन नामक पदार्थ होता है जो तंबाकू उत्पादों के सेवन के बाद मन में खुशी का एहसास करवाता है. यह निकोटिन शरीर से जल्दी निकल जाता है और व्यक्ति को फिर से अच्छा अनुभव करने की लालसा जगाता है. चूंकि निकोटिन सब से अधिक नशीले पदार्थों में से एक है, इसलिए व्यक्ति बारबार आनंद लेने के लिए इस का अधिक से अधिक सेवन करता है और इस प्रकार व्यसन के दुष्चक्र में फंस जाता है. तंबाकू में पाए जाने वाले अन्य रसायन निकोटिन की तुलना में बहुत अधिक हानिकारक होते हैं और वे कैंसर का कारण बनते हैं.

तंबाकू और कोविड कोविड महामारी के समय तंबाकू की आदत पर बात करना प्रासंगिक है क्योंकि तंबाकू से संबंधित बीमारियों से पीडि़त रोगियों में न केवल कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है बल्कि कोविड के कारण होने वाली जटिलताओं व मृत्युदर का जोखिम भी अधिक होता है. इस समय सभी स्वास्थ्य संसाधनों को महामारी को नियंत्रित करने के लिए लगाया गया है. तंबाकू को महामारी मान कर उसे समाप्त करने के लिए भी ऐसे ही संकल्प और प्रयास किए जाए तो कोविड की सभी लहरों में हुई मौतों से कई गुना अधिक मौतों को होने से रोका जा सकता है.

ये भी पढ़ें- हैरान करने वाले फायदे हैं हल्दी के, आप भी जनिए

तंबाकू चबाना देश में तंबाकू के उपयोग का सब से आम तरीका है. चबाने से लार अधिक मात्रा में बनती है और थूकने की इच्छा होती है. सार्वजनिक रूप से थूकना न केवल हमारे आसपास के लोगों के लिए अशोभनीय है बल्कि अस्वच्छ भी है. यह कृत्य कोविड-19, तपेदिक सहित कई बीमारियों के प्रसार को बढ़ावा भी देता है. आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत अप्रैल 2020 में सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. तंबाकू और आजीविका तंबाकू कंपनियां किसानों और तंबाकू श्रमिकों की आजीविका के नुकसान का बहाना बना कर अपना काम करना जारी रखती हैं. वे इस तथ्य की अनदेखी करती हैं कि किसानों, श्रमिकों के छोटे बच्चों सहित परिवार के भोलेभाले सदस्य भी तंबाकू का उपयोग करते हैं और वे इस से संबंधित बीमारियों से पीडि़त होते हैं.

तंबाकू व्यापार को जारी रखने के लिए सरकार को मिलने वाला राजस्व भी समयसमय पर दिया जाने वाला बहाना है. अगर हम सही तरीके से गणना करें तो इन बीमारियों के इलाज के लिए स्वास्थ्य सेवा पर होने वाला खर्च इस से करों के तौर पर मिलने वाले धन से कई गुना अधिक है. सवाल है कि क्या ऐसे जघन्य अपराध का मूक गवाह बने रहना चाहिए और किसी अन्य के द्वारा समाधान तलाशने का इंतजार करना चाहिए या फिर समाज के प्रति अपना कर्तव्य समझ कर खुद ही समाधान करना चाहिए? ‘यह 14 से 24 वर्ष वाले युवा वयस्कों का बाजार अगले 24 साल तक तैयार होता है. यही तो कल का सिगरेट बिजनैस है.’’ अमेरिका की दूसरी सब से बड़ी तंबाकू कंपनी के मालिक आर जे रेनौल्ड्स ने 1974 में यह टिप्पणी की थी.

ये भी पढ़ें- ऐसे करें दांतों की झंझनाहट का इलाज

युवा पीढ़ी को तंबाकू व उस के दुष्परिणामों से बचाना होना चाहिए. समय की मांग है कि हम अपनी युवा पीढ़ी को इस के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करें और उन्हें इस आदत को अपनाने से रोकें ताकि कैंसर के 40 से 50 फीसदी मामले व कई अन्य दुर्बल करने वाली बीमारियों को रोका जा सके. एक आंकड़े के मुताबिक देश में हर रोज 5,500 बच्चे तंबाकू का सेवन शुरू करते हैं. कुछ चौंकाने वाले तथ्य द्य देश में 5,500 बच्चे हर दिन तंबाकू का सेवन करना शुरू करते हैं और उन में से आधे जीवनभर जारी रखते हैं. द्य 90 प्रतिशत से अधिक वयस्क धूम्रपान करने वालों ने किशोरावस्था में इस की शुरुआत की. द्य 15 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 30 प्रतिशत भारतीय किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग करते हैं. द्य तंबाकू से 50 लाख मौतें हर साल होती हैं.

इस का मतलब है कि दुनिया में हर 8 सैकंड में एक इंसान की जान तंबाकू के सेवन से जाती है. द्य सिगरेट के धुएं में 4,800 से अधिक रसायन होते हैं जो 69 तरह के कैंसर का कारण बनते हैं. द्य बीड़ी में सिगरेट के मुकाबले 7 गुना अधिक निकोटिन और दोगुना से अधिक टार होता है. इस प्रकार उस का व्यसन अधिक तीव्र होता है.

-70 वर्ष से कम उम्र में मरने वालों में सब से ज्यादा संख्या धूम्रपान करने वालों की है जो स्तन कैंसर, एड्स, यातायात दुर्घटनाओं और नशीली दवाओं की लत से होने वाली मौतों के कुल आंकड़े से भी अधिक है. द्य प्रत्येक सिगरेट का धूम्रपान जीवन के 11 मिनट कम करता है. (लेखक मणिपाल अस्पताल, द्वारका, दिल्ली में सर्जिकल ओंकोलौजी विभाग के प्रमुख हैं.)

– मैं तंबाकू का इस्तेमाल कैसे छोड़ूं? आप दिन में 5 बार फल या सब्जी खा रहे हैं और नियमितरूप से व्यायाम कर रहे हैं पर अगर आप तंबाकू का सेवन जारी रखते हैं तो इस स्वस्थ जीवनशैली व्यवहार का कोई मतलब नहीं है. धूम्रपान/तंबाकू का उपयोग छोड़ना सब से महत्त्वपूर्ण काम है जो आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं. यह काम मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं है. हालांकि सफलता की गारंटी का कोई नियम नहीं है लेकिन दृढ़ संकल्प, परिवार और दोस्तों का साथ व समय पर चिकित्सकीय मदद सफलता की कुंजी है. आप तंबाकू छोड़ना चाहते है? सर्वप्रथम उन कारणों की सूची बनाएं जिन की वजह से आप तंबाकू छोड़ना चाहते हैं और उस पर प्रतिदिन विचार करें.

– तारीख तय करें : एक तयशुदा तारीख के 15 दिन पहले से ही धीरेधीरे तंबाकू कम करें और उस दिन पूरी तरह से तंबाकू छोड़ दें. अगर आप सोचते हैं कि धीरेधीरे कुछ महीनों में कम करेंगे तो वह बाउंस बैक करेगी.

– अपने प्रियजनों को बताएं : अपने परिवार और करीबी दोस्तों को बताएं ताकि आप को सहयोग व ताकत मिल सके.

-योजना बनाएं : तम्बाकू की ज्यादा इच्छा होने वाले समय को नोट करें व उस मुश्किल समय के लिए योजना बनाएं. इस बात का रिकौर्ड रखें कि आप ने कब, कितनी और क्यों धूम्रपान किया या तंबाकू का उपयोग किया.

– दूर रहना : अपने आसपास से सभी तंबाकू उत्पादों को हटाइए.

– डाक्टर से बात करें : टौक टू डाक्टर यानी अपने डाक्टर से बात करें और उन से काउंसलिंग कर के निकोटिन की तलब को दूर करने के लिए चिकित्सकीय सलाह लें, खुद डाक्टर बन कर दवाएं न लें. अंतिम बात, 5 में से 4 बार छोड़ने की कोशिश नाकाम हो सकती है. इस के बाद भी कोशिश करते रहिए, सफलता आप को जरूर मिलेगी. सो, तंबाकूमुक्त जीवन की ओर आगे बढ़ें.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...