बच्चा अगर छोटा है और रो रहा है तो मां के लिए यह समझ पाना बहुत मुश्किल हो जाता है कि उसे क्या चाहिए. ऐसे में परेशान होने के बजाय मां को खुद ही यह समझना होता है कि उसे किस समय किस चीज की जरूरत होती है. आप को ही इन सब बातों के लिए पहले से ही कौन्फिडैंट होना चाहिए ताकि बच्चे की परवरिश अच्छी तरह से हो सके. बच्चे को ले कर कैसे कौन्फिडैंट बनें, आइए जानते हैं:

नहलाना

कई मांए बच्चे को पहली बार नहलाने से डरती हैं लेकिन सावधानी बरती जाए और नहलाने का सही तरीका पता हो तो यह इतना भी मुश्किल नहीं है. आइए जानें कि कैसे नहलाएं बच्चे को:

– बच्चे को टब में नहलाना सही रहता है, बस इस के लिए ध्यान दें कि टब बहुत गहरा न हो.

– बच्चे को हमेशा कुनकुने पानी से ही नहलाएं. पानी को चैक करने के लिए अपनी कुहनी को पानी में डालें. अगर आप को पानी गरम नहीं लगता तो बच्चे को उस से नहला सकती हैं.

– सब से पहले पानी के छींटे डालें. एकदम उस पर पानी न डाल धीरेधीरे डालें.

– बच्चे को खासतौर पर बनाए गए बच्चों के प्रोडक्ट्स से ही नहलाएं. ध्यान रखें कि उन में पैराबेंस, एसएलएस व एसएलईएस जैसे तत्व न हों.

– इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे के कानों या नाक में पानी न जाए.

– बच्चे के सिर पर पानी की सीधी धार कभी न डालें वरना इस से उसे चोट लग सकती है.

– नहलाने के बाद बच्चे को टौवेल में लपेट कर लोशन लगाएं.

बच्चे का अत्यधिक रोना

कई बार छोटे बच्चे जब रोना शुरू करते हैं तो चुप होने का नाम ही नहीं लेते. ऐसे में कई मांएं परेशान हो जाती हैं. इधरउधर अपने रिश्तेदारों से पूछती हैं कि क्या करें बच्चा रो रहा है. बच्चा अगर 3 महीने से छोटा है, तो कई बार वह बेवजह भी रो सकता है. ऐसे में उसे गोद में ले कर घूमने से वह अच्छा महसूस करता है और चुप हो जाता है. लेकिन अगर वह चुप नहीं हो रहा तो उसे भूख लगना, डाइपर गंदा होना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं, इसलिए उस की इन परेशानियों को दूर करें.

कई बार बच्चा भूखा होने पर रोता है. बच्चा खाना खाने के कुछ देर बाद फिर से रोने लगता है, क्योंकि उस का पेट बहुत छोटा होता है. उसे थोड़ीथोड़ी देर में भूख लग जाती है, इसलिए उस के खानेपीने का खास ध्यान रखें.

इस के अलावा इन बातों पर भी गौर करें:

– बच्चे का डाइपर भर जाता है तो वह गीला हो जाता है. इस से बच्चे की नींद खुल जाती है और वह रोना शुरू कर देता है. गीले डाइपर में बच्चे को बहुत बेचैनी होती है, इसलिए बीचबीच में उस का डाइपर चैक कर बदलती रहें. इसे बदलने के बाद बच्चा शांत हो जाएगा.

– कई बार गंदे डाइपर की वजह से बच्चे की त्वचा में रैशेज हो जाते हैं, जिन में दर्द होता है और इचिंग भी हो सकती है. इसलिए इसे भी चैक कर लें कि कहीं बच्चा इस वजह से तो नहीं रो रहा. बच्चे का डाइपर चैंज करने के बाद उसे जिंकआक्साइड युक्त नैपी क्रीम अवश्य लगाएं.

– बच्चे की उम्र 6 से 8 महीने है तो वह दांत आने की समस्या से भी परेशान हो सकता है, इसलिए यह भी देख लें.

– कई बार बच्चा थक जाता है और उसे मां की गोद की तलब लगती है. वह इसलिए भी रोने लगता है, ऐसे में बच्चे को प्यार से गोद में ले कर उस का सिर सहलाएं. वह आराम महसूस करेगा और चुप हो जाएगा.

बच्चे का रातभर जगना

नवजात अकसर दिन में सोते हैं और रात को जागते हैं. कई बार वे दिन में जागने के बावजूद रात में सोते नहीं हैं. ऐसे में मातापिता को उन के साथ जागना पड़ता है, जो बहुत परेशानी की बात होती है. बच्चे को कोई परेशानी होती है तो भी वह सो नहीं पाता है जैसे कि अगर बच्चा भूखा है या फिर उसे किसी चीज की जरूरत है तो भी उसे नींद नहीं आती.

ऐसे में इन बातों पर ध्यान दें

बच्चे को रात में उठ कर कई बार दूध पिलाना होता है, क्योंकि वह थोड़ाथोड़ा दूध ही पीता है इसलिए बच्चे को दूध पिलाती रहें. ब्रैस्टपंप की सहायता से अपना दूध निकाल कर रख लें व समयसमय पर बच्चे को पिलाती रहें ताकि आप को भी आराम मिले और बच्चा भी भूखा न रहे.

– अगर बच्चे को किसी खास टौय या फिर चादर को ले कर सोने की आदत है, तो जब तक उसे वह चीज नहीं मिल जाती है वह जागता रहेगा. इसलिए इस बात का भी खयाल रखें.

– बच्चे को रोजाना एक ही समय पर सुलाएं, अपने हिसाब से उस के सोने के टाइम को इधरउधर न करें वरना उसे नींद नहीं आएगी.

– फीवर, सर्दी, पेट दर्द जैसी कोई समस्या होने पर भी वह सो नहीं पाता है, इसलिए ये सब भी चैक कर लें.

खिलौने भी हों खास

बच्चे के जन्म के बाद न सिर्फ मातापिता के द्वारा बच्चे के लिए बहुत से खिलौने खरीदे जाते हैं, बल्कि रिश्तेदारों के द्वारा भी बच्चे को उपहारस्वरूप बहुत से खिलौने दिए जाते हैं. बच्चे का पूरा कमरा खिलौनों से भर जाता है, जिस में से कुछ अच्छी क्वालिटी के होते हैं तो कुछ बेकार. लेकिन मां को पता होता है या फिर पता होना चाहिए कि उस के बच्चे के लिए कौन सा खिलौना सही है.

– बच्चे के पालने में लटकाने वाले रैटल जिस में रंगबिरंगे भालू, हाथी, छोटेछोटे घोड़े लटके होते हैं वह अच्छा रहता है. इसे देख कर बच्चा खुश होता है. इस से बच्चा अपनी आंखों के जरीए ध्यान केंद्रित करना भी सीखता है. समझदार मांएं अपने बच्चे को वही देती हैं.

– कई खिलौनों में घंटी लगी होती है और वह प्लास्टिक की रिंग के बीच होती है जोकि काफी नर्म भी होती है. जब यह घंटी हवा से हिलती है, तो इस में से मधुर संगीत आता है, जिसे सुन कर रोता बच्चा चुप हो जाता है.

इन के अलावा भी बहुत से खिलौने बच्चों की उम्र के हिसाब से मिलते हैं, लेकिन इस बात का खयाल रखना चाहिए कि जो भी खिलौना लें वह सौफ्ट हो, उस के कोने न निकले हों, वह मुलायम कपड़े का बना हो जिसे बच्चा ऐंजौय करे.

– जो भी खिलौना बच्चे को दें उस से पहले एक बार उसे खुद इस्तेमाल कर के देखें. अगर सही लगे तभी बच्चे को दें.

बच्चों का खाना उगलना: जन्म के 3 महीने बाद तक बच्चों की लार निकलती रहती है. खास कर जब उन्हें कुछ खिलाया जाता है, तो वे तुरंत उलटी कर देते हैं. लेकिन इस के बाद मांओं का काम बढ़ जाता है और वे परेशान होने लगती हैं कि शिशु की इस आदत को कैसे बदलें.

इस के लिए शिशु की नहीं, बल्कि खुद की कुछ आदतों को बदलें जैसे कि दूध पिलाने के बाद एकदम से जो माएं बच्चे के साथ खेलना शुरू कर देती हैं, उन्हें गोद में ले कर उछालती है उन के बच्चे दूध ज्यादा उगलते हैं इसलिए दूध पिलाने के बाद बच्चे को पहले कंधे से लगा कर डकार दिलवाएं ताकि उस का दूध हजम हो जाए और वह उसे उगले नहीं.

– कई बार ठंडा दूध पिलाने से भी बच्चा ऐसा करता है, क्योंकि उसे वह अच्छा नहीं लगता है.

जब बच्चे को हो जाएं घमौरियां: गरमी के मौसम में अकसर बच्चों को घमौरियां हो जाती हैं, लेकिन अगर थोड़ी सावधानी बरती जाए तो इन से बचा जा सकता है जैसे कि:

– इस मौसम में बच्चे को हलके लूज और सौफ्ट कौटन के कपड़े पहनाएं. चुभने वाला कोई कपड़ा बच्चे को न पहनाएं.

– बच्चे को हर तरह का टैलकम पाउडर न लगाएं. सिर्फ राइस स्टार्च युक्त बेबी पाउडर ही लगाएं ताकि उसे रैशेज और दानों से बचाया जा सके.

– घमौरियों वाली जगह को दिन में 2-3 बार साफ पानी से धोएं या स्पंज करें.

– बच्चे को ज्यादा खुशबू वाले साबुन से न नहलाएं या फिर तेल

न लगाएं, क्योंकि इन में कैमिकल होता है, जो बच्चे की नाजुक त्वचा के लिए सही नहीं है.

मसाज करने में हों कौन्फिडैंट: कौन्फिडैंट मांएं बिना डरे अपने नाजुक से बच्चे की मालिश बिलकुल सही तरीके से स्टैपबाईस्टैप करती हैं जैसे कि:

– मालिश की शुरुआत पैरों से करें. इस के लिए अपने हाथों पर तेल मल बच्चे की जांघों को मलते हुए नीचे पैरों तक आएं.

– बच्चे की एडि़यों की भी मालिश करें. पैरों के अंगूठे को चक्राकार घुमाएं.

– बच्चे के हाथों, छाती और पीठ की मालिश करें.

– अगर मालिश के दौरान बच्चा रोने लगे तो उसे गले से लगा कर चुप कराएं.

– बच्चे की मालिश दूध पीने के बाद या सोते वक्त न करें.

– चाइल्ड स्पैशलिस्ट शालू जैन से शिखा जैन द्वारा की गई बातचीत पर आधारित.

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