विटामिन ए मानव शरीर के लिए कई मायने में फायदेमंद और सेहतमंद है. विटामिन ए आंखों से देखने दे लिए अत्यंत आवश्यक होता है. विटामिन ‘ए’ कमी की देश में कुपोषण का महत्वपूर्ण कारण है . मुख्य रूप से बच्चों में इसकी कमी से अंधापन और जीवन को खतरा रहता है. अनुमान है कि प्रतिवर्ष इसकी कमी के कारण लगभग 50 लाख बच्चों का आंखों में खराबी आ जाती है या अंधे हो सकते हैं. अत्याधिक विटामिन ए लेने से शरीर पर अनेक दुर्प्रभाव हो सकते हैं जैसे कि सिरदर्द, देखने में दिक्कत, थकावट, दस्त, बाल गिरना, त्वचा खराब हो जाना, हड्डी और जोडों में दर्द, कलेजा को नुकसान पहुँचना और लडकियों में असमय मासिक धर्म. तो आईये जानते है विटामिन ए के बारे में …

विटामिन ‘ए’ की शरीर में उपयोगिता

*विटामिन ‘ए’ आंखों की रोशनी के लिये आवश्यक तत्व है, यह आंख के पर्दे में पाये जाने वाले रेटिनाल तत्व को बनाता है जो कि मंद रोशनी में देखने के लिये आवश्यक है.

* यह विटामिन त्वचा और ग्रंथियों तथा शरीर के अन्दरूनी अंगों, आंत, श्वसन तंत्र, मूत्रतंत्र आदि की श्लेष्मा झिल्लियों को स्वस्थ बनाये रखने और त्वचा को निरोगी बनाये रखने के लिये जरूरी है.

* विटामिन ‘ए’ शरीर की संक्रमक रोगों के विरुध्द प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाता है, विटामिन ‘ए’ की शरीर में कमी होने से विभिन्न संक्रामक रोग होने का भय बढ़ जाता है.

* शरीर में ऊतकों, मुख्य रूप से हड्डियों के विकास में मदद करता है.

* यह शरीर के अनेक अंगों विशेष कर श्वसन तंत्र, फेफड़ों की कैंसर रोग से रक्षा करती है.

* विटामिन ‘ए’ आक्सीडेट विरोधी तत्व है. फ्री रेडिकल, शरीर में अनेक रोगों का जनक है. विटामिन ‘ए’ फ्री रेडिकल की मात्रा को नियंत्रण में रखकर उनकी अधिकता के कारण होने वाले रोगों से शरीर का बचाव करता है.

*यह विटामिन गुणसूत्रों के सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता है, जो कि शरीर के विकास का कार्य प्रशस्त करते हैं.

*विटामिन प्रजनन अंगों की संरचना, कार्य और शक्ति के लिये जरूरी है.

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विटामिन ‘ए’ की अधिकता –

अत्यधिक मात्रा में विटामिन ‘ए’ का प्रयोग भी शरीर के लिये हानिकारक है. यदि इसकी अधिकता है तो निम्न लक्षण हो सकते है.

* मितली, उल्टी, भूख ने लगना, नींद न लगना.

* रक्त और त्वचा का रंग पीला हो जाता है.

* गर्भावस्था में विटामिन ‘ए’ की अधिकता होने से गर्भस्थ शिशु में विकलांगता हो सकती है.

विटामिन ‘ए’ की कमी क्यों ?

यदि भोजन में शरीर की जरूरत भर मात्रा में विटामिन ‘ए’ मौजूद नहीं है तो शरीर में विटामिन ‘ए’ की कमी की समस्या हो सकती है. बच्चों, गर्भावस्था एवं स्तनपान कराते समय, महिलाओं में इसकी कमी होने की समस्या ज्यादा रहती है, क्योंकि इस समय विटामिन ‘ए’ की जरूरत शरीर को ज्यादा मात्रा में होती है. भोजन में विटामिन की कमी का कारण सही भोजन जैसे दूध, घी, अंडे, हरी सब्जियां एवं फलों का अभाव होता है. गांव और शहरों में अनेक गरीब व्यक्ति रोटी, नमक, रोटी, प्याज खाकर गुजारा करने पर मजबूर होते हैं. कुछ व्यक्ति आदतों के कारण भी विटामिन ‘ए’ प्रचुर भोज्य पदार्थों का सेवन नहीं करता हैं.

* विटामिन ‘ए’ वसा में घुलनशील विटामिन है. यदि किसी कारण से आंतों से वसा का अवशोषण बाधित हो जाता है तो भोजन मौजूद होने के बावजूद शरीर के अन्दर नहीं पहुंच पाता और शरीर में इसकी कमी हो जाती है. यह समस्या यदि बच्चे लगातार या बार-बार दस्तों, उल्टी से त्रस्त होते हैं तो आसानी से हो जाती है.

* यदि बच्चे या वयस्क बार-बार संक्रमण रोग ग्रसित होते हैं तो उनकी बढ़ी हुई जरूरतों की पूर्ति न होने पर शरीर में विटामिन ‘ए’ की कमी के लक्षण प्रकट हो सकते हैं.

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 विटामिन ‘ए’ की कमी के लक्षण – विटामिन ‘ए’ की कमी के कारण शरीर में निम्न दुष्प्रभाव हो सकते हैं-

* रतौंधी, रात या शाम को देखने में कठिनाई.

* आंख की पुतलियों की झिल्ली सूखी पड़ जाती है, कीचड़ रहती है और आंख की चमक खत्म हो जाती है.

* आंख की बाहरी तरफ दाग हो जाते हैं.

* आंख की पुतली कार्नियों सूख जाती है, धाव हो जाते हैं जो कि भरने पर ‘सफेदमाढ़ा’ का रूप ले लेता है जिससे रोशनी कम हो जाती है.

* अत्यधिक कमी होने से कार्निया मुलायम होकर आंखों से निकल सकती है जिससे मरीज सदैव के लिये अंधा हो जाता है.

* शरीर की त्वचा कड़ी, खुरदरी हो जाती है.

* विटामिन ‘ए’ की कमी होने से भूख नहीं लगती या कम हो जाती है.

* शरीर की विकास गति मंद हो जाती है.

* विटामिन ‘ए’ की कमी से शरीर में प्रतिरक्षा क्षमता कम होने के कारण प्रमुख रूप से फेफड़ों, आंत के संक्रमण रोग होने की 2 से 3 गुना संभावना बढ़ जाती है.

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विटामिन ‘ए’ की कमी से बचाव –

विटामिन ‘ए’, दूध, अंडे, गोश्त, मछली में पाया जाता है. मछली के लिवर के तेल में तो प्रचुर मात्रा में होता है. विटामिन ‘ए’ की पूर्वावस्था बीटा कैरोटिन है जो कि शरीर में विटामिन ‘ए’ में तब्दील हो जाती है.

* विटामिन ‘ए’ की शरीर में कमी से बचाव के लिये तथा आंखों को चमकीली, त्वचा सुन्दर कोमल बनाये रखने के लिये हरी पत्तेदार सब्जियों, दूध, फलों का नियमित सेवन अवश्य करें.

* यदि मांसाहारी हैं तो मछली अंडा का सेवन करे, शाकाहारी व्यक्ति प्रतिदिन दूध अवश्य पीयें, साथ ही पीले रंगवाले फल, पपीता, आम या सब्जियां, गाजर, टमाटर, सीताफल इत्यादि का सेवन करें. यह फलों और सब्जियों में पाया जाता है मुख्य रूप से लाल पीले रंग के फलों और सब्जियों में.

* भारत सरकार ने विटामिन ‘ए’ की कमी को दूर करने तथा इसकी कमी से होने वाले रोगों से बचाव के लिए वृहद अभियान छेड़ रखा है जिसके द्वारा एक से पांच वर्ष की आयु के बच्चों को एक चम्मच विटामिन ‘ए’ का सीरप जिसमें एक लाख यूनिट विटामिन ‘ए’ होता है. हर 6 माह के अन्तराल में दिये जाने का प्रावधान है. साथ ही कुछ भोज्य पदार्थों जैसे वनस्पति घी, ब्रेड, स्किमडमिल्क, टोन मिल्क में अलग से विटामिन ‘ए’ मिलाया जाता है.

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