गर्भावस्था की कुछ सामान्य जटिलताएं मोटी महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी होती हैं, जिन में सम्मिलित हैं- गर्भपात. जैस्टेशनल डायबिटीज, उच्च रक्त दाब (इसे जैस्टेशनल हाइपरटैंशन भी कहा जाता है), प्रीऐक्लैंप्सिया, प्रसव के दौरान सामान्य से अधिक रक्तस्राव आदि. हालांकि ये समस्याएं किसी भी गर्भवती महिला को हो सकती हैं. इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह मोटापे की शिकार है या नहीं, लेकिन बीएमआई (बौडी मास इन्डैक्स) अधिक होने से खतरा बढ़ जाता है.

मोटोपे का डायग्नोसिस बीएमआई की गणना कर के किया जाता है, जो वजन और लंबाई पर आधारित होता है. बीएमआई 30 या  उस से अधिक होना यकीनन मोटापे को परिभाषित करता है.

बीएमआई जितना अधिक होगा, उतना ही गर्भावस्था के दौरान जटिलताएं होने का खतरा अधिक होगा. अगर किसी महिला का बीएमआई 30 या उस से अधिक है, तो इस की संभावना है कि उसे प्रसव पीड़ा के लिए प्रेरित करना पड़ेगा या उसे सिजेरियन सैक्शन का विकल्प चुनना होगा. अगर किसी महिला का बीएमआई 40 से अधिक है, तो डाक्टरों के लिए बच्चे के विकास के बारे में जानकारी प्राप्त करना कठिन हो जाएगा.

बच्चे के लिए खतरा

अगर गर्भावस्था के दौरान आप का वजन अधिक है, तो आप के बच्चे को कुछ निश्चित खतरे होने की आशंका बढ़ जाएगी. इन में सम्मिलित हैं:

– समयपूर्व प्रसव (37 सप्ताह के पहले).

– जन्म के समय वजन अधिक होना.

– मृत बच्चे का जन्म.

– दुर्लभ जन्मजात विकृतियां.

– क्रौनिक कंडीशंस जो मस्तिष्क, स्पाइनल कार्ड, हृदय से संबंधित होती हैं, का खतरा या फिर आगे चल कर डायबिटीज की चपेट में आना.

गर्भावस्था से पहले वेट लौस

अगर आप ने पहले ही वेट लौस सर्जरी करा ली है, तो यह जरूरी सुझाव है कि गर्भधारण के लिए कम से कम 18 महीने प्रतीक्षा करें. मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में वजन कम करने से गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है. अगर वेट लौस सर्जरी के बाद गर्भधारण की योजना बनाई जाए तो यह मां और-बच्चे दोनों के लिए सुरक्षित हो सकती है. इस से मोटापे के कारण गर्भावस्था से जुड़े खतरे कम हो जाते हैं.

गर्भावस्था के बाद वेट लौस

गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना आम बात है, लेकिन बहुत सी महिलाओं को इसे कम करना बहुत मुश्किल लगता है. जिन महिलाओं का वजन गर्भावस्था के पहले अधिक था उन के लिए प्रसव के बाद वजन कम करना और अधिक कठिन हो सकता है. इस के कारण जैवविज्ञानी, हारमोनल या पर्यावर्णीय हो सकते हैं.

उन महिलाओं के लिए जिन का बीएमआई 40 या उस से अधिक है, यह एक बहुत ही गंभीर समस्या हो सकती है. इसलिए बैरिएट्रिक सर्जरी उन महिलाओं के लिए जो अत्यधिक मोटी हैं, एक बहुत ही अच्छा विकल्प है. लेकिन बच्चे के  जन्म के बाद उन्हें कम से कम 12 महीने इंतजार करना चाहिए. बच्चे के जन्म के बाद जितने अधिक समय तक वे प्रतीक्षा करेंगी, रिकवरी के लिए उतना ही बेहतर रहेगा. स्वस्थ भार प्राप्त करने और मोटापे से संबंधित स्थितियों जैसे डायबिटीज, हृदय रोग व कैंसर के खतरे से बचने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी सुरक्षित और सब से बेहतरीन उपाय है.

गर्भावस्था में रहें स्वस्थ

कुछ सामान्य स्टैप्स जैसे स्वस्थ खाने, नियमित ऐक्सरसाइज करने और वजन न बढ़न के लिए दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करने वाली महिला अपने बच्चे के स्वास्थ्य की सुरक्षा कर सकती है.

गर्भवती होने पर वजन कम करने लिए डाइटिंग करना बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इस दौरान रोज खूब पानी पीएं, सब्जियां और फल अधिक मात्रा में खाएं. नियमित अंतराल पर पोषक भोजन का सेवन थोड़ीथोड़ी मात्रा में करे. फास्ट फूड, फ्राइड फूड, पैकेज्ड फूड सोडा, पेस्ट्री आदि का सेवन न करें.

स्वस्थ डाइट लेने के साथसाथ सप्लिमैंट्स लेने की भी जरूरत होती है, जिन में विटामिन डी और फौलिक ऐसिड आदि सम्मिलित होते हैं.

अपने शरीर को गर्भवस्था में हो रहे बदलावों से निबटने लिए तैयार करने के लिए गर्भावस्था में नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है. यह आप के भार का प्रबंधन करने के सब से अधिक प्रभावी उपायों में से एक है. अगर आप गर्भावस्था से पहले ऐक्सरसाइज नहीं कर रही थीं, तो यह सही समय नहीं है कि आप कड़ी ऐक्सरसाइज शुरू कर दें.

आप प्रतिदिन 5 या 10 मिनट तक ऐक्सरसाइज करने से शुरूआत करें. सब से महत्त्वपूर्ण है कि आप अपने शरीर की सुनें. अगर आप को कोई परेशानी हो रही है तो वर्कआउट करना बंद कर दें. अगर कोई इमरजैंसी हो तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें.

 – डा. तरुण मित्तल (ओबैसिटी ऐंड लैप्रोस्कोपिक सर्जन, सर गंगाराम हौस्टिपल, दिल्ली)

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...