बचपन में माँ अपने हाथों से सुन्दर सुन्दर फूलों वाले चुन्नटदार फूले-फूले जांघिये सी कर हमें पहनाती थीं. इनमें कमर और जाँघों वाले हिस्से में पतली इलास्टिक लगी होती थी, जो हमारी कोमल त्वचा को नुक्सान नहीं पहुँचाती थी. कपड़ा सूती होता था तो ना ये शरीर को चुभता था, ना उसको पहनने पर खुजली होती थी और ना ही उसमे गर्मी लगती थी. सभी ने ऐसे जांघिये अपने बचपन में पहने हैं. कितने कम्फर्टेबल थे वो. उन्हें पहन कर दिन भर धूप और गर्मी में खेलते थे पर मजाल है कभी खुजली हो जाए. वहीँ दादा जी और पिताजी के लिए नीली-हरी धारियों वाले सूती कपड़े के जांघिये घर पर ही सिले जाते थे. उसी के साथ पतले सूती कपड़े की जेब वाली बंडी पहनते थे. वो तो आज भी उन्ही कपड़ों में खुद को कम्फर्टेबल महसूस करते हैं. मगर हम जैसे जैसे बड़े हुए टीवी और पत्र-पत्रिकाओ में छपने वाले अंडरगार्मेंट के विज्ञापनों ने हमें आकर्षित किया. विभिन्न देसी-विदेशी कंपनियों के सुन्दर, प्रिंटेड, ट्रांसपेरेंट, जालीदार, रेशमी लेसेज़ वाले, चिकने, सेक्सी, मुलायम अंडरगार्मेंट्स देख कर हमारा दिल मचलने लगा और हमने माँ के प्यार से सिले सूती छींट वाले जांघिये अलमारी से निकाल फेंके और उनकी जगह हज़ारों रूपए मूल्य के रेडीमेड अंडरगार्मेंट्स अलमारी में भर लिए. सालों से हमारा शरीर इनकी जकड़ में है. ये छोटे-छोटे, प्लास्टिकनुमा, शरीर से चिपके कपड़े आईने में हमारी फिगर तो बड़ी सेक्सी दिखाते हैं, मगर खुजली, रैशेज़, फुंसी और यहाँ तक कि स्किन और ब्रेस्ट कैंसर तक सौगात में दे देते हैं.

हमारी त्वचा पर करोड़ों रोम छिद्र हैं जो हर वक़्त सांस लेते हैं. इन रोमछिद्रों से शरीर की गन्दगी भी पसीने के रूप में बाहर निकलती है. लेकिन जब त्वचा पर कोई प्लास्टिकनुमा टाइट कपड़ा हर वक़्त चढ़ा रहेगा तो ना तो वहाँ की त्वचा ठीक से सांस ले पाएगी और ना ही शरीर से निकला पसीना और गंदगी हटेंगे. वो टाइट अंडरगार्मेंट के नीचे वहीँ के वहीँ चिपके रहेंगे और रोमछिद्रों को बंद कर देंगे. रोमछिद्र बंद होने का मतलब है खुजली और फोड़े-फुंसी की शुरुआत. लाल चकत्ते या रैशेज़. पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होने की एक वजह उनके टाइट अंडरवियर ही हैं. टाइट अंडरवियर के कारण टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्राव में कमी आती है. इससे इंफर्टिलिटी की संभावना बढ़ जाती है. गुप्तांगों से निकलने वाला सफ़ेद द्रव, यूरिन आदि भी टाइट अंडरगार्मेंट्स के कारण शरीर से तब तक चिपका रहता है जब तक हम नहाते नहीं हैं. यह दिक्कतें मर्द और औरत दोनों के साथ पेश आती हैं. टाइट अंडरगार्मेंट्स के कारण गुप्तांगों में हर वक़्त खुजली सी महसूस होती है.

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कुछ महिलाएं और पुरुष रात में भी बेहद टाइट अंडरगार्मेंट्स पहनकर सोते हैं, लेकिन क्या आपकी यह आदत आपकी सेहत के लिए सही है? रात में अंडरगार्मेंट्स पहनकर सोने के सभी के अलग-अलग तर्क हो सकते हैं. कुछ महिलायें टाइट ब्रा इसलिए पहन कर सोती हैं कि कहीं लूज़ छोड़ने पर उनकी शेप ना बिगड़ जाए. किसी को पैंटी, ब्रा पहनकर सोने में कंफर्टेबल महसूस होता है, तो कोई सबकुछ उतार कर सोने में आनंद महसूस करता है. डॉक्टर्स की माने तो रात में सोते समय आपको ढीले-ढाले कपड़े ही पहनकर सोना चाहिए. कुछ विशेषज्ञों का तो यह भी कहना है कि रात में कपड़े पहनकर सोना ही नहीं चाहिए. विदेशों में तो बहुतेरी महिलायें और पुरुष बिना कपड़ों के रज़ाइयों में दुबके होते हैं. रात में कपड़े उतारकर सोने से कई फायदे होते हैं. जब आप टाइट कपड़े या अंडरवियर पहनकर सोते हैं, तो आपकी त्वचा खुलकर सांस नहीं ले पाती है. यदि आप चाहते हैं कि आपके प्राइवेट पार्ट्स को भी आराम मिले, तो बेहतर है कि आप पैंटी, अंडरवियर, ब्रा जैसे शरीर से चिपके कपड़े सोते वक़्त ना पहनें.

आमतौर पर हम दिन में एक बार ही नहाते हैं और एक बार ही अपने अंडरगार्मेंट्स चेंज करते हैं. महिलायें सारा दिन ब्रा, पैंटी पहने रहती हैं. दिन में कई बार टॉयलेट जाती हैं. इससे वेजाइना के आसपास गीलापन, बदबू, यूरीन, व्हाइट डिस्चार्ज आपके अंडरवियर पर भी लगता रहता है, जिससे बैक्टीरिया पनप सकते हैं. इससे महिलाओं में वेजाइनल इंफेक्शन, खुजली, सूजन, चकत्ते जैसी समस्या हो सकती है. इसी तरह पुरुषों में भी यूरिन और डिस्चार्ज उनके अंडरवियर में सारा दिन लगता और सूखता रहता है जो गुप्तांग की त्वचा पर बैक्टीरिया पैदा करता है और त्वचा संबधी व्याधियां पैदा होती हैं. यदि आप इन समस्याओं से बचना चाहते हैं तो सोते वक़्त अपने टाइट कपड़ों को शरीर से हटा दीजिये. बिस्तर पर जाने से पहले अपने गुप्तांगों को साबुन और पानी से भली प्रकार साफ़ करें और सूती तौलिये से त्वचा को सुखाएं और बिना अंडरगार्मेंट्स के सोएं. इससे आपकी त्वचा राहत महसूस करेगी और आप ज़्यादा आराम से सोएंगे.

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रात में अंडरवियर ना पहनकर सोने के फायदे

 

  1. अंडरवियर या किसी भी कपड़े के बिना सोना ज्यादा हेल्दी माना गया है, लेकिन इसमें हर कोई सहज महसूस नहीं करता है. बेहतर है कि आप ढीला-ढाला टीशर्ट, पजामा या, नाइटी पहनकर सोएं. इससे प्राइवेट पार्ट्स में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से होगा. सभी अंग खुलकर सांस ले पाएंगे. वेजाइना की स्किन को थोड़ा लूज भी छोड़ना चाहिए, क्योंकि यह सारा दिन पैंटी के अंदर बंद रहती है.

 

  1. रात में वेजाइना के पीएच लेवल को सही रखना जरूरी है. इससे इंफेक्शन कम होती है. ऐसे में बेहतर यही है कि पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही बिना अंडरवियर के सोना चाहिए. वेजाइना हमेशा भीगा रहता है. इससे फंगस होने की संभावना रहती है. प्राइवेट पार्ट्स को ड्राई रखें, ताकि फंगस या बैक्टीरिया ना पनपने पाए.

 

  1. रात को बिना अंडरगार्मेंट्स के सोने से बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है. सारा दिन प्राइवेट पार्ट्स से तरल पदार्थ डिस्चार्ज होता रहता है, जो पैंटी पर लगता रहता है. रात में इसे पहनकर सोने से खुजली, जलन हो सकती है. बेहतर है कि पजामा, शॉर्ट्स पहन लें, ताकि पेनिस और वेजाइना के पार्ट में नमी नहीं रहेगी. इससे आप बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन से बचे रह सकते हैं.

 

  1. पुरुष यदि बिना अंडरवियर के सोते हैं, तो उनमें स्पर्म काउंट और उसकी क्वालिटी बढ़ने के साथ ही बेहतर होती है. इससे अंडकोष यानी टेस्टिकल्स को भी आराम पहुंचता है. सारा दिन अंडरवियर पहने रहने से अंडकोष से गर्मी बाहर नहीं निकल पाती है, जो स्पर्म काउंट पर नकारात्मक असर डालता है. तो बेहतर है कि पुरुष बिना अंडरवियर ही सोएं, ताकि स्पर्म काउंट में इजाफा हो सके.

ध्यान देने योग्य बातें

हमेशा कॉटन के ही अंडरगार्मेंट्स पहनें. इससे पसीना अधिक नहीं आता.

अंडरगारमेंट्स थोड़े ढीले ही पहने.

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अंडरगार्मेंट्स को अच्छी तरह से साफ करें.

एक दिन जो अंडरगार्मेंट्स आपने पहना है, उसे दूसरे दिन भी ना पहनें.

सोते वक़्त अंडरगारमेंट्स उतार दें और त्वचा को खुल कर सांस लेने दें.

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महिलायें घर में रहें तो कोशिश करें कि ब्रा-पैंटी कुछ वक़्त के लिए ही पहने. हर वक़्त शरीर को उसमें जकड़े ना रहें. इससे आप ब्रेस्ट कैंसर की संभावनाओं से भी दूर रहेंगी.

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