23 साल की क्षितिजा को कई दिनों से यूरिन में जलन जैसा अनुभव हो रहा था. कमर के निचले हिस्से में भी काफी दर्द रहने लगा तो उसे लगा, हो सकता है ज्यादा देर तक बैठे रहने के कारण ऐसा हो रहा हो. सोचा, दवाई खाएगी तो ठीक हो जाएगी. मगर दवाई खाने से भी कोई फायदा न हुआ. बल्कि, दर्द और बढ़ता चला गया. अपनी मां को फोन कर बताया, उन्होंने उसे एक बार जा कर डाक्टर से दिखा आने को कहा. लेकिन वह बेकार में डाक्टर के चक्करों में नहीं पड़ना चाहती थी. जब बुखार और उलटियां शुरू हो गईं तो वह अपने एक दोस्त के साथ डाक्टर को दिखाने चली गई.

जहां जांचने के बाद डाक्टर ने उसे कई तरह के टैस्ट बताए. टैस्ट करा कर घर तो आ गई लेकिन एक अनजाने डर को ले कर उस के हाथपांव फूलने लगे कि आखिर डाक्टर ने इतने सारे टैस्ट क्यों बता दिए.

इस से पहले वह कभी डाक्टर के पास नहीं गई थी क्योंकि जरूरत ही नहीं पड़ी. थोड़ीबहुत सर्दीखांसी या सिरदर्द होता तो दवाई खा कर ठीक हो जाती थी. इस बार भी उसे ऐसा ही लगा कि दवाई खा कर ठीक हो जाएगी. मगर जब तबीयत ज्यादा खराब हो गई तो उसे डाक्टर के पास जाना ही पड़ा.

रिपोर्ट देख कर डाक्टर ने बताया कि उसे (यूटीआई) यूरिन इन्फैक्शन हुआ है और मर्ज को टालते रहने के कारण इन्फैक्शन किडनी तक पहुंच चुका है. इसलिए उसे पानी चढ़ाना पड़ेगा. अस्पताल में कम से कम उसे 7 दिन भरती रहना पड़ेगा. यह सुन कर क्षितिजा के पेरैंट्स भी परेशान हो गए क्योंकि यहां वह अकेली रहती है. कौन देखभाल करेगा उस की. क्षितिजा भी बस रोए जा रही थी कि अब क्या होगा उस का. यहां तो कोई देखभाल भी नहीं करने वाला और खुद से उठ कर वह एक गिलास पानी पीने की भी स्थिति में नहीं है. उस के पेरैंट्स करीब 400 किलोमीटर दूर रहते हैं. ऐसे में उन का यहां तुरंत आना संभव न था.

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