पिछले दो महीने से सभी लोग घरों में बंद थे, पर अब लॉकडाउन में जैसेजैसे रियायत मिल रही है, लोग अपने कार्यस्थल पर जाने के लिए घरों से निकलने लगे हैं. ऐसे में इस बात की जानकारी होना जरूरी है कि अपने ऑफिस तक पहुंचने के लिए आप को क्या हिदायत बरतनी चाहिए.

विश्व स्वास्थ्य संगठन बता चुका है कि जब हम ज्यादा तेज सांस लेने वाले काम करते हैं तो कोरोना वायरस के शरीर में प्रवेश का खतरा बढ़ जाता है.

तेज सांस लेने से होती है मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी

दो मिनट तेज सांस लेने से मस्तिष्क में ऑक्सीजन की मात्रा 40 प्रतिशत तक कम हो जाती है. वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि तेज सांस लेने से शारीरिक कोशिकाओं में ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड का संतुलन बिगड़ता है. ऑक्सीजन की मात्रा घटते ही कोशिकाएं कम ऊर्जा का निर्माण करती हैं, जिस से थकावट होने लगती है और ध्यान भटकता है.

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गहरी सांस, तनाव घटाती है

गहरे और तेजतेज श्वास लेने को अकसर लोग एक ही बात मानते हैं, जबकि गहरी सांस लेना एक सधी हुई शारीरिक क्रिया है. इस से शरीर के इम्यून फंक्शन में सुधार होता है, ब्लडप्रेशर का स्तर घटता है, जिस से तनाव पैदा करने वाले हार्मोन भी घटते हैं और अच्छी नींद आती है.

कोरोना वायरस का बढ़ता खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि ज्यादा तेज श्वास लेने से शरीर में कोरोना वायरस के प्रवेश का खतरा बढ़ जाता है. इस का कारण यह है कि तेजतेज सांस लेने के कारण किसी संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकले या किसी वस्तु पर मौजूद संक्रमित ड्रॉपलेट शरीर में तेजी से प्रवेश करते हैं.

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