इंट्रो : लडकियों के दोनो स्तनों का साइज कई अलग अलग होता है. यह सामान्य बात है. घबडायें नहीं.
कक्षा 12 में पढने वाली नीता की “शादी  होने वाली थी. उसकी कुछ सहेलियों की “शादी पहले हो चुकी थी. वह लोग उसको “शादी के बारे में बताती थी. जिससे उसको पता चला कि हमबिस्तरी में उसके खास अंगो का बहुत महत्व होता है. इनमें स्तन भी “शामिल है. एक दिन उसने नहाने के समय अपने स्तनो को ठीक से देखा तो वह घबडा गयी. नीता का एक स्तन बडा और दूसरा उससे छोटा था. नीता को लगा कि उसके स्तनो में किसी तरह की कोई बीमारी है. वह परेषानी हो गयी. उसे समझ नही आ रहा था कि यह परेषानी वह किससे कहे ?

नीता को इतना परेषान देखकर उसकी भाभी प्ररेणा ने परेषानी का सबब पूछा तो नीता ने सबकुछ साफ साफ कह दिया. प्रेरणा को लगा कि नीता की परेषानी जायज है. प्रेरणा को भी इसका कोई सही कारण समझ नही आया. इसके बाद प्रेरणा ने सोचा कि वह अपने स्तनो का साइज भी देखेगी. प्रेरणा ने जब अपने स्तनो को गौर से देखा तो लगा कि उसके स्तनो के साइज में भी फर्क है.

यह देखकर प्रेरणा ने नीता को अपने पास बुलाया और उसको बता दिया कि उसके स्तनो के साइज में भी फर्क है. उसको तो आज तक पता ही नही चला था. प्रेरणा ने कहा कि उसकी “ाादी को 2 साल का समय बीत गया इसके बाद भी उसको पता नही चला कि उसके स्तनो के साइज में फर्क है. इस फर्क से उसकी “ाादीषुदा जिंदगी में किसी तरह की कोई परेषानी भी नही आयी. प्रेरणा भी नई जानकारी से परेषान थी. वह “ाहर में रहने वाली और पढी लिखी थी. इसलिये उसने सोचा कि इसके बारे में अपनी डाक्टर से बात करेगी. प्रेरणा अपने साथ नीता को लेकर “ाहर आयी. यहां वह अपनी महिला डाक्टर से मिली और अपनी परेषानी बतायी.

साइज में फर्क के कारण:
लखनऊ के राजेन्द्र नगर अस्पताल की जानीमानी महिला रोगो की जानकार डाक्टर सुनीता चन्द्रा का कहना है कि औरतो के दोनो स्तनों का साइज कभी भी एक जैसा नही होता है. दोनो स्तनो के साइज में थोडा बहुत अंतर अवष्य होता है. यह अंतर ऐसा होता है जो आसानी से समझ ही नहीं आता है. बहुत कम औरतो में यह अंतर ऐसा होता है जो आसानी से पता चला जाता है. यह अंतर इतना ज्यादा होता है कि इसको आसानी से छिपाया भी नही जा सकता है. अगर अंतर इतना ज्यादा है तो डाक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है.

ज्यादातर मामलों में यह अंतर सामान्य होता है. माहवारी के ंपहले यह अंतर दिखाई देता है बाद में अपने आप सही हो जाता है. जिन स्तनों के साइज में फर्क सामान्य वजहो से होता है उसको दबाने से दर्द नही होता है. अगर स्तन को दबाने से न सहने वाला दर्द हो तो डाक्टर से मिलकर उसकी जांच जरूर करानी चाहिये.

डाक्टर सुनीता चन्द्रा का कहना है कि स्तनो के साइज के बीच बडे अंतर की वजह स्तन में किसी तरह की सूजन या फिर कोई गांठ का होना भी हो सकता है. माहवारी के तत्काल बाद अपने हाथों से स्वंय इसकी जांच कर सकती है. अगर स्तन में गांठ होगी तो जैसे जैसे गांठ बढेगी उसका आकार भी बढता जायेगा. ज्यादातर मामलों में यह गांठ सामान्य ही होती है. इसके बाद भी इसकी जांच करानी जरूरी होती है. कभी कभी यह गांठ कैंसर की “ाुरूआत भी हो सकती है. अगर यह गांठ सामान्य है तो दवाओं के सहारे इसको दबाया जा सकता है. औरतो में कैंसर की सबसे ज्यादा बीमारी स्तनों में ही होती है. अगर समय से इसका पता चल जाये तो इलाज आसानी से हो जाता है.

“शादी के बाद स्तनो के साइज में फर्क:
“शादी के बाद औरतो के स्तनो के साइज में फर्क के मामले ज्यादा पाये जाते है. इसकी दो सामान्य वजहे होती है. हमबिस्तरी के दौरान ज्यादातर एक स्तन का ही प्रयोग फोरप्ले के लिये होता है. इसकी वजह से भी स्तनो के साइज में फर्क हो जाना हैरानी वाली बात नही होती है. बच्चों के जन्म के बाद भी स्तनो के साइज में फर्क हो जाता है. स्तनो में दूध उतरने पर उसका साइज बढ जाता है. दूध खत्म होते ही स्तनो का साइज घट जाता है. स्तनो में दूध उसी अनुपात में उतरता है जिस अनुपात में बच्चा दूध पीता है. अगर काई औरत एक स्तर से ज्यादा और दूसरे स्तन से बच्चे को कम दूध पिलाती है तो साइज में फर्क आ  सकता है. इसलिये औरतो को चाहिये कि वह दोनो स्तनो से बराबर बच्चे को दूध पिलाये. स्तनपान के दौरान इस तरह स्तन के साइज में आने वाला फर्क आसानी से नही जाता है.

स्तनों के साइज में सामान्य फर्क होने पर चिंन्ता करने की कोई जरूरत नही होती है. इसके लिये सही आकार की ब्रा पहन कर स्तनो के साइज को सही किया जा सकता है. अगर साइज असामान्य रूप से कम ज्यादा है तो इसका इलाज प्लास्टिक सर्जरी के जरीये अब किया जाने लगा है. स्तनो के साइज को लेकर कभी नीम हकीम डाक्टरों के पास जाने की जरूरत नही है. वहां जाने पर मरीज को ठगे जाने की संभावना बढ जाती है.जानकार डाक्टरों का कहना है कि स्तन के साइज को बढाने और आकार को सही रखने वाली दवाओं के झांसे में भी नही आना चाहिये. इससे किसी तरह को कोई लाभ नही होता है. सही खानपान और एक्सरसाइज से ही स्तन के आकार को सही ढंग से रखा जा सकता है.

बाक्स: खुद करे स्तनो की जांच
अपने स्तन की जांच करने के लिये “ाीषे के सामने दोनो हाथों को सिर के पीछे ले जाकर सीधी खडी हो जाये. कुछ इस तरह खडी हो कि दोनो स्तन सही तरह से दिख सके.
1. अगर स्तन में गडढे, डिम्पल, सूजन या फिर निपल की पोजीषन में कोई अंतर दिखे तो सावधानी की जरूरत है.
2.“शीषे के सामने खडी होकर उगलियों और अगूठे के सहारे निपल को दबाये अगर दूधिया, लाल या पीला रिसाव दिखे तो डाक्टर से जरूर जांच कराये.
3.लेट कर अपने स्तन को छुएं. बांये हाथ से दायें स्तन को और दांये हाथ से बायें स्तन को हर तरफ से दबा कर देखे. निपल के पास आकर उगलियो को गोलाई से घुमाये हर टिषू को महसूस करने की कोषिष करे. यह काम खडे और बैठ कर भी करे.
4.गीली और मुलायम त्वचा में यह जांच करना आसान होता है इसलिये नहाने के बाद करे तो अच्छा रहेगा. अगर कही कोई गांठ महसूस हो, त्वचा लाल या चकत्तेदार दिखे उस पर सूजन हो तो डाक्टर से सलाह ले.
5.यह जांच अगर माहवारी खत्म होने के एक सप्ताह के अंदर करे तो ज्यादा सही रहेगा.

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