बिहार के समस्तीपुर जिले के पूसा प्रखंड के गांव ठहरा गोपालपुर की रहने वाली मीना देवी के परिवार को कुछ साल पहले तक माली तंगी का सामना करना पड़ रहा था. इस की वजह यह थी कि घर के सदस्यों का खर्च घर के पुरुष सदस्यों पर ही निर्भर था और पुरुष सदस्यों की कमाई भी ऐसी नहीं थी, जिस से परिवार का भरणपोषण सही से हो सके.
ऐसे हालात केवल मीना देवी के ही नहीं थे, बल्कि गांव में ज्यादातर परिवारों की हालत भी कुछ ऐसी ही थी कि उन के घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चल पाता था.
कुछ साल पहले घर की माली हालत से परेशान मीना देवी की मुलाकात बिहार में महिलाओं के सशक्तीकरण के मसले पर जमीनी लेवल पर काम कर रही संस्था आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम भारत यानी एकेआरएसपीआई के कार्यकर्ताओं से हुई, जिन से उन्हें पता चला कि यह संस्था ऐक्सिस बैंक के सहयोग से पूसा प्रखंड के कई गांवों की महिलाओं की हालत को सुधारने के मसले पर काम कर रही है.
मीना देवी को एकेआरएसपीआई संस्था के कार्यकर्ताओं से मिल कर लगा कि वह भी संस्था के साथ जुड़ कर अपने परिवार की माली हालत सुधार सकती है.
मीना देवी ने एकेआरएसपीआई के कार्यकर्ताओं से अपने जैसी तमाम महिलाओं की हालत को सुधारने की इच्छा जाहिर की. इस पर एकेआरएसपीआई के कार्यकर्ताओं ने मीना देवी को गांव की अपने जैसी महिलाओं को संगठित कर छोटे बचत की आदतों को बढ़ावा देने के लिए स्वयंसहायता समूह बनाने की सलाह दी और यह भरोसा दिलाया कि उन की संस्था उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए जरूरी ट्रेनिंग सहित अन्य चीजें मुहैया कराने का प्रयास करेगी.
मीना देवी को यह बात जंच गई और उस ने एकेआरएसपीआई की देखरेख में अपने जैसे हालात से जूझ रही गांव की महिलाओं को एकजुट कर पहली बार बैठक कर अपनी इच्छा जाहिर की.
इस बैठक में आई महिलाओं को मीना देवी की बात जंच गई और मीना देवी जैसी 15 महिलाओं ने एकजुट हो कर अटल स्वयंसहायता समूह का गठन किया. इस के जरीए इन महिलाओं ने छोटीछोटी बचत शुरू कर दी.
महिलाओं के इस हौसले को देखते हुए एकेआरएसपीआई का समयसमय पर ऐक्सिस बैंक की मदद से ट्रेनिंग और मार्गदर्शन भी मिलता रहा. आखिरकार इन महिलाओं का समूह इसी बचत के पैसों से घर की मुसीबत में परिवार को उबारने में काफी मददगार साबित होने लगा था.
महिलाओं द्वारा बनाए गए अटल स्वयंसहायता समूह में जब कुछ पैसे इकट्ठे हो गए, तो इन महिलाओं ने समूह के जरीए छोटामोटा बिजनैस करने का विचार बनाया. फिर बैठक में तय किया गया कि इस समूह में से कुछ इच्छुक महिलाएं चाहें तो अचार, पापड़, बड़ी बनाने का काम शुरू कर सकती हैं. इस में 5 ऐसी महिलाएं आगे आईं, जो अचार, पापड़, बड़ी बना कर अपने घर की माली हालत को सुधारने की इच्छा रखती थीं.
पारंपरिक बिहारी तरीके से की शुरुआत
मीना देवी ने अपने महिला समूह से नूतन देवी और इंदू देवी सहित दूसरी महिलाओं को साथ ले कर अचार, पापड़, बड़ी बनाने का काम शुरू किया, तो जरूरी ट्रेनिंग एकेआरएसपीआई द्वारा दिलाई गई.
लेकिन इस समूह से जुड़ी महिलाओं ने अचार, पापड़, बड़ी बनाने की शुरुआत उस पारंपरिक बिहारी तरीके से ही की, जैसे गांवों में अकसर महिलाएं बनाया करती हैं, जिस से लोगों को उन के प्रोडक्ट स्वाद और शुद्धता में बाजार में मौजूद बड़े ब्रांड वाले प्रोडक्ट पर भारी पड़ने लगे.
गोपालपुर ठहरा गांव की महिलाओं द्वारा शुरू किया अचार, पापड़, बड़ी का बिजनैस जल्दी ही आसपास के गांवों में मशहूर होने लगा. जो भी उन से एक बार प्रोडक्ट खरीदता, खूब तारीफ भी करता.
इन महिलाओं द्वारा शुरू किया गया अचार, पापड़, बड़ी का बिजनैस बहुत जल्दी ही जिले में मशहूर हो गया और उस की डिमांड भी बढ़ने लगी. इस के बाद मीना देवी के समूह से जुड़ी महिलाओं का हौसला और भी बढ़ गया.
इन महिलाओं ने नैचुरल तरीके से उड़द की बड़ी, हींग सहित कई फ्लेवर में चावल आटे का पापड़, आंवला, आम आदि के अचार सहित कई चटपटी और स्वादिष्ठ चीजें बनानी शुरू कीं, जो खाने का जायका बढ़ाने के साथ ही सेहतमंद भी बनाने वाला होता है.
इस समूह की नूतन और इंदु दोनों ही बताती हैं कि हम पारंपरिक बिहारी तरीके से ही अचार बनाते हैं. इस के लिए हम वर्षों से चली आ रही दादी, सास और मां के द्वारा बनाई गई रेसिपी के अनुसार धूप में सुखा कर अचार को तैयार करते हैं.
खुद ही संभाला है मार्केटिंग का जिम्मा
एकेआरएसपीआई में डवलपमैंट और्गैनाइजर पद पर काम करने वाली अंकिता ने बताया कि अटल स्वयंसहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के प्रोडक्ट की मांग जैसेजैसे बढ़ने लगी, तो उन्हें प्रोडक्ट के ट्रांसपोर्टेशन में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
ऐसे में एकेआरएसपीआई द्वारा ऐक्सिस बैंक के सहयोग से इस समूह की महिलाओं को ठेला मुहैया कराया गया, जिस से ये महिलाएं अपने प्रोडक्ट को दूसरे गांवों में बेच सकें.
एकेआरएसपीआई में ही डवलपमैंट और्गैनाइजर विपिन कुमार ने बताया कि गोपालपुर ठहरा गांव की ये महिलाएं खुद ही प्रोडक्ट बनाती हैं और मार्केटिंग का जिम्मा भी खुद ही संभाले हुए हैं.
इन महिलाओं द्वारा बनाया जाने वाला अचार, पापड़ सहित दूसरे प्रोडक्ट की डिमांड बड़ेबड़े फंक्शन, शादीविवाह में भी खूब है, जिसे समूह की महिलाएं खुद ही ठेले से पहुंचाने का काम करती हैं.
बैंक ने दिया साथ तो बनती गई बात
गोपालपुर ठहरा गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जहां एकेआरएसपीआई व ऐक्सिस बैंक सहयोग कर ही रहे थे, वहीं जिस बैंक में अटल स्वयंसहायता समूह का खाता था, उस बैंक ने महिलाओं की बचत और जज्बे को देखते हुए उन्हें एक लाख रुपए का लोन भी दिया, जिस से ये महिलाएं अपने बिजनैस को और भी आगे बढ़ा सकें.
बैंक द्वारा दिए लोन को भी समूह की महिलाओं ने समय से चुकता कर दिया है और यह सब संभव हुआ है उन के द्वारा जायकेदार प्रोडक्ट की बदौलत.
आपसी सूझबूझ से होता है लाभ का बंटवारा
गोपालपुर ठहरा गांव की मीना, नूतन, इंदू जैसी तमाम महिलाएं, जो अचार, पापड़ बनाने और मार्केटिंग से जुड़ी हुई हैं, उन्हें इस से इतनी आमदनी हो जाती है, जिस से वे अपने परिवार का खर्च आसानी से तो निकाल लेती ही हैं, साथ में वे बचत भी कर लेती हैं. इस से उन के घर के पुरुषों की कमाई पूरी तरह से बच जाती है.
ये महिलाएं प्रोडक्ट बेचने से हुए लाभ का बंटवारा लागत को निकाल कर साप्ताहिक रूप से करती हैं, जिस में आज तक किसी तरह का कोई विवाद नहीं हुआ.
बड़ेबड़े हाट और मेलों से आता है बुलावा
गोपालपुर ठहरा गांव में बने अटल स्वयंसहायता समूह की महिलाओं के प्रोडक्ट की गूंज पूरे बिहार में है. यही वजह है कि इन महिलाओं को बड़ेबड़े हाट और मेलों में प्रोडक्ट का स्टाल लगाने का औफर आता रहता है, जहां ये महिलाएं स्टाल लगा कर अच्छी आमदनी कर लेती हैं.
इन महिलाओं द्वारा अभी तक केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर सहित बिहार सरकार द्वारा लगाई जा रही तमाम बड़ी प्रदर्शनियों और मेलों से बुलावा आता रहा है, जहां ये महिलाएं अपने प्रोडक्ट का स्टाल लगा कर आमदनी करती हैं.
बिहार में महिलाओं के बदलते हालात के मसले पर एकेआरएसपीआई के बिहार प्रदेश के रीजनल मैनेजर सुनील कुमार पांडेय ने बताया कि एकेआरएसपीआई बिहार की गंवई महिलाओं की सामाजिक और माली हालत सुधारने के लिए सघन रूप से काम कर रही है, जिस का बहुत ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है.
बिहार प्रदेश में एकेआरएसपीआई के कृषि प्रबंधक डा. बसंत कुमार ने बताया कि बिहार में गांवदेहात की महिलाओं की हालत कुछ साल पहले तक बहुत अच्छी नहीं हुआ करती थी, लेकिन एकेआरएसपीआई द्वारा ऐक्सिस बैंक के सहयोग से उन की माली और सामाजिक हालत को सुधारने के लिए शुरू गए प्रयासों का असर बहुत अच्छा रहा है.