बिहार के कोसी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती है, परंतु अब परंपरागत तरीके से हो रही आलू की खेती के बदले हवा में आलू की खेती होगी.
हरियाणा के करनाल स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र ने यह काम कर दिखाया है. अब वहां से ट्रेनिंग ले कर किसान अपने यहां एरोपोनिक तकनीक से बिना मिट्टी और जमीन के आलू की खेती करेंगे.
बताया गया है कि बिना जमीन और मिट्टी के एरोपोनिक तकनीक से हवा में आलू की खेती से कई गुना अधिक पैदावार मिलेगी. पारंपरिक तरीके से आलू की खेती में उसे जमीन से खोद कर निकाला जाता है, जबकि इस नई तकनीक से पौधे से 3 महीने तक आलू तोड़ा जा सकेगा.
ऐसा मानना है कि इस नए आधुनिक तरीके से आलू किसानों को काफी फायदा होगा. इस तकनीक से मिट्टी और जमीन दोनों की कमी पूरी की जा सकती है.
यह तकनीक हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा ईजाद की गई है. इस तकनीक में थर्मोकाल, प्लास्टिक आदि के सहयोग से आलू की हवा में खेती की जाएगी. इस से पैदावार में 10 गुना तक बढ़ोतरी होगी.
सरकार ने इस के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है. इस एरोपोनिक तकनीक को तैयार करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि इस तकनीक में लटकती हुई जड़ों द्वारा पौधे को पोषण दिया जाता है. उस में मिट्टी और जमीन की जरूरत नहीं होती है. यह तकनीक पिछड़े कोसी क्षेत्र के किसानों को काफी लाभान्वित कर सकती है.
परंपरागत खेती की तुलना में यह तकनीक उन के लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकती है. इस तकनीक के द्वारा आलू के बीज के उत्पादन की क्षमता को 3 से 4 गुना तक बढ़ाया जा सकता है. इस से हरियाणा की तरह स्थानीय किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी और इलाके की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.
हालांकि खेती करने के नए तरीकों को किसानों तक पहुंचाने का काम करना और ऐसी तकनीकों के प्रति किसानों को तैयार करना भी आसान नहीं है, क्योंकि पारंपरिक खेती सरल व सस्ती भी होती है, जबकि नई
तकनीकों का इस्तेमाल करना, उन्हें समझना थोड़ा कठिनाई भरा हो सकता है. इस के अलावा एरोपोनिक तकनीक महंगी तकनीक भी हो सकती है.
यह तकनीक उन लोगों के लिए फायदेमंद जरूर साबित हो सकती?है, जिन के पास खेती की जमीन नहीं है और वह बिना जमीन के इस तकनीक को अपना कर खेती कर सकते हैं.