लेखक- वृंदा वर्मा, कार्तिकेय वर्मा व डा. संजीव कुमार वर्मा

किसी भी डेरी की कामयाबी के लिए जरूरी है कि उस डेरी की प्रजनन के काबिल सभी गाय हर साल बच्चा पैदा करें. साथ ही साथ यह भी जरूरी है कि पैदा हुए सभी बच्चे जिंदा रहें.

आमतौर पर यह देखा गया है कि समुचित पोषण व देखभाल की कमी में नवजात बछड़े जन्म के पहले महीने के अंदर ही मर जाते हैं और अगर जिंदा रहे भी तो कुपोषण के चलते बड़े होने पर अपनी आनुवंशिक क्षमता का सही से प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं. इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि नवजात बछड़ों की देखभाल वैज्ञानिक विधि से की जाए, ताकि वे सेहतमंद रह कर एक बेहतरीन गाय या सांड़ अथवा बैल बन सकें.

जन्म के तुरंत बाद देखभाल

* जन्म के समय बछड़े या बछिया की नाक और मुंह पर चिपचिपा पदार्थ लगा रहता है जिस के चलते उसे सांस लेने में परेशानी

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हो सकती है, इसलिए जन्म के तुरंत बाद  नाक और मुंह पर लगी श्लेष्मा या कफ को हटा दें.

* गाय को बछड़े या बछिया को चाटने दें, ताकि गाय उस के नथुनों और मुंह को चाट कर साफ कर सके और बच्चे को सांस लेने में कोई कठिनाई न हो और उस का रक्त संचार तेज हो सके.

* बच्चे की नाभि को शरीर से 2 से  5 सैंटीमीटर की दूरी पर बांधें और बांधने के स्थान के 1 सैंटीमीटर नीचे नए ब्लेड से एक कट लगाएं और लटकती नाभि नाल पर टिंचर आयोडीन या बोरिक एसिड या कोई भी दूसरी एंटीसैप्टिक क्रीम लगाएं.

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