रेज्ड बैड प्लांटर खेती में काम आने वाला एक ऐसा यंत्र है, जो जुताई के बाद तैयार खेत में नाली व मेंड़ बनाने का काम तो करता ही है, साथ ही साथ बीज की बोआई भी करता है और खाद भी लगाता है. इस तकनीक से मेंड़ पर बीज की बोआई मेंड़ बनाते समय ही हो जाती है, साथ ही नाली व मेंड़ समतल बनती हैं, तो पानी का प्रबंधन भी अच्छा होता है.
उचित गहराई पर बीज बोने पर बीज का अंकुरण भी अच्छा होता है. खेत में पानी की अधिकता हो भी जाए, तो पानी नालियों के जरीए बाहर भी निकल जाता है यानी पानी ठहरता नहीं है. अगर पानी भरा भी रह जाए, तो पौधे खराब नहीं होते क्योंकि पौधे मेंड़ की ऊंचाई पर होते हैं. आमतौर पर अगर समतल खेत में या बिना मेंड़ बनाई तकनीक से बोआई करें, तो न तो खाद और बीज ही समान मात्रा में लगता है और न ही पानी का अच्छा प्रबंधन हो पाता है. इस यंत्र द्वारा मेंड़ पर बोई गई फसलों में पौधों की जड़ों का विकास भी अच्छा होता है, जिस से पौधों की मजबूती के साथसाथ अच्छी उपज मिलती है.
साथ ही, खेत में फालतू के खरपतवारों में कमी आती है. अगर खरपतवार पनपते भी हैं, तो उन्हें निकालने में भी आसानी होती है. किन फसलों की होती?है बोआई इस यंत्र की मदद से मक्का, मटर, सोयाबीन, चना व अन्य दलहनी फसलें और तिलहनी फसलों की बोआई की जाती है. जिन इलाकों में पानी की कमी है, वहां पर गेहूं बोने के लिए भी यह यंत्र बेहतर माना गया है. इस यंत्र के द्वारा बोआई करने पर तकरीबन 10-20 फीसदी तक खाद, बीज और पानी की भी बचत होती है.
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