जाड़ों में खानपान के जरीए सर्दी के असर को दूर किया जा सकता है. गुड़ और मूंगफली का इस में सब से अहम रोल होता है. ये चीजें खाने से शरीर गरम रहता है. गुड़ और मूंगफली को मिला कर चिक्की तैयार की जाती है. चिक्की पहले आम लोगों की मिठाई ही मानी जाती थी. अब यह बड़ी मिठाई की दुकानों पर भी मिलने लगी है. स्वाद में लाजवाब चिक्की को गुड़, चीनी और मूंगफली मिला कर तैयार किया जाता है. अब इस के स्वाद को और बढ़ाने के लिए इस में तिल और गुलाब की सूखी पंखुडि़यों को भी मिलाया जाता है. इसे पंजाबी चिक्की के नाम से जानते हैं. जाड़ों में पंजाब का मशहूर त्योहार लोहड़ी आता है, इस में पंजाबी चिक्की का अलग महत्व होता है. कई जगहों पर इसे गुड़ की पट्टी भी कहते हैं.
लखनऊ में राधेलाल पंरपरा के कृष्ण कुमार गुप्ता कहते हैं, ‘पंजाबी चिक्की का स्वाद प्रचलित चिक्की से अलग होता है. इस में तिल और गुलाब की पंखुडि़यां डालने से स्वाद और अंदाज दोनों में अंतर आता है.’ बिजनेस वूमेन टीना नरूला कहती हैं, ‘पंजाबी चिक्की पूरी तरह से लोहड़ी को ध्यान में रख कर बनाई गई है.’
सर्दियों में जो लोग मेवे नहीं खा सकते, उन के लिए मूंगफली किसी मेवे से कम नहीं होती है. रात में खाने के बाद चिक्की का सेवन करने से शरीर गरम रहता है. इस से खाने को पचाने में भी मदद मिलती है. गुड़ में खास तरह का एक तत्त्व होता है, जो खाने को पचाने में मदद करता है. सही पाचन से शरीर में एंटी आक्सिडेंट्स बनते हैं. इस से शरीर में बने टाक्सिंस को बाहर निकलने में आसानी रहती है. इसे खाने से मिठाई के खाने जैसा नुकसान नहीं होता है. मूंगफली में प्रोटीन होता है, जो शरीर को मजबूत बनाने का काम करता है. शरीर में खून की कमी के शिकार लोगों के लिए चिक्की का सेवन करना लाभदायक होता है. इस में तिल मिले होने से शरीर को मजबूती मिलती है और गुलाब की पंखुडि़यों से इस में ताजगी आती है.
कैसे बनती है पंजाबी चिक्की
पंजाबी चिक्की बनाने के लिए अच्छे किस्म का गुड़ लेना चाहिए ़ चिक्की का रंग काला न हो कर पारदर्शी दिखे इस के लिए गुड़ की बराबर मात्रा में इस में चीनी मिलाई जाती है. अगर चिक्की के रंग को ज्यादा साफ दिखाना हो तो गुड़ में चीनी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए. वैसे सब से अच्छी चिक्की वही मानी जाती है, जिस में गुड़ और चीनी की मात्रा बराबर होती है. गुड़ को पानी में डाल कर उबाला जाता है. इस दौरान गुड़ से कुछ झाग सा निकलता है, इस को छन्नी से छान कर बाहर कर दिया जाता है. इस के बाद इस में चीनी डाल दी जाती है. इस में से अगर कोई गंदगी निकले तो उसे भी छान का बाहर कर दिया जाता है.
2 तार की चाशनी बना लेनी चाहिए. इस में जरूरत के हिसाब से मूंगफली और तिल के दाने साफ कर के और भून कर डाल देने चाहिए. आमतौर पर 1 किलोग्राम तैयार चाशनी में 500 ग्राम मूंगफली और 100 ग्राम तिल के दाने डाले जाते हैं. जिन लोगों को गुड़ कम खाना हो, वे 750 ग्राम तक मूंगफली के दाने डाल सकते हैं. इस तैयार सामाग्री को एक बड़ी, चौड़ी और साफसुथरी जगह पर फैला लिया जाता है. जब पूरी सामाग्री सेट हो जाती है, तो उसे कटर से इच्छानुसार टुकड़ों में काट लिया जाता है. चिक्की ज्यादातर छोटेछोटे टुकड़ों में काटी जाती है. चिक्की को कुछ लोग प्लेट में सजा कर जमा देते हैं. जिस जगह पर यह सामग्री डाली जाती है, वहां पर पहले से चिकनाई लगा दी जाती है, जिस से ठंडी होने के बाद इस को निकालने में आसानी रहे.
रोजगार का साधन
गुड़पट्टी या चिक्की को बना कर बेचना एक अच्छा रोजगार होता है. मिठाई की दुकानों के साथ ही साथ सड़कों व मेलों में ठेला लगा कर इसे बेचा जाता है. गुड़पट्टी 140 रुपए से ले कर 600 रुपए प्रति किलोग्राम तक मिलती है. महंगी वाली गुड़पट्टी चिक्की कहलाती है, क्योंकि उसे तैयार करने मेें देशी घी का इस्तेमाल किया जाता है.
कारीगर रमाकांत कहते हैं, ‘चिक्की बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की क्वालिटी बहुत ही अच्छी होनी चाहिए. इसे बनाते समय साफसफाई का पूरा खयाल रखना चाहिए. इसे ऐसे रखना चाहिए, जिस से इस में हवा न लगे. हवा लगने से चिक्की कुरकुरी नहीं रहती और सील जाती है.’