घर में तैयार करें आम की नर्सरी कोरोना महामारी में औक्सीजन की कमी ने पौधारोपण की अहमियत हमें अच्छी तरह समझा दी है. यही वजह है कि पौधारोपण की मुहिम में अब लोग हाथ बंटाने लगे हैं. हमारे द्वारा रोपे गए पौधे 2-4 साल की देखभाल के बाद जब पेड़ बन जाते हैं, तो वे हमें शुद्ध हवा, छांव और फल देते हैं. पौधारोपण के काम में लगे एक शिक्षक ने इस साल आम के पौधों की नर्सरी तैयार कर के प्रेरणादायी काम किया है.

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के साईंखेड़ा के शिक्षक भानु प्रताप सिंह राजपूत ने इस साल दशहरी आम के पौधों की नर्सरी तैयार की है. भानु प्रताप सिंह बताते हैं कि उन्होंने 5 साल पहले अपने घर के आंगन में दशहरी आम का एक पौधा लगाया था, जिस में इस साल खूब फल लगे. इस साल लौकडाउन में जब घर से निकलना मुश्किल हो रहा था, तभी आम में लगे फलों की चटनी, अचार बना कर भोजन के स्वाद का आनंद पूरे परिवार ने लिया. जून महीने में आम के फलों को तोड़ कर नीम की पत्तियों से ढक कर रख दिया. तकरीबन एक हफ्ते में ये फल पक कर तैयार हुए, तो इन्हें चूस कर खाने के साथ ही इन का रस भी तैयार कर लिया.

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बड़े पैमाने पर निकली आम की गुठलियों को देख कर भानु प्रताप सिंह के मन में यह खयाल आया कि आम की इन गुठलियों से आम की पौध तैयार की जाए. इसी पौध को बरसात होने पर पौधारोपण कर उन की देखभाल कर पेड़ तैयार हो सकेंगे. कैसे तैयार करें नर्सरी प्राइमरी स्कूल के शिक्षक भानु प्रताप बताते हैं कि सब से पहले आम की नर्सरी तैयार करने के लिए प्लास्टिक की पन्नी या घर में पड़ी सीमेंट की बोरी की थैलियों में गोबर की खाद मिला कर मिट्टी भर लेते हैं. फिर आम को चूसने या काटने के बाद जो गोही (गुठली) बच जाती है, उसे काट कर उस के अंदर का बीज निकाल लेते हैं.

गुठली को काटते समय इस बात का ध्यान रखें कि गुठली के अंदर निकले बीज में एक पतली झिल्ली होती है, उसे न हटाएं. आम के बीज को मिट्टी और गोबर की खाद भर कर तैयार की गई प्लास्टिक की पन्नी या बोरियों में थोड़ी गहराई तक लगा दें. दूसरेतीसरे दिन इन थैलियों में पानी डालते रहें. तकरीबन एक हफ्ते के बाद इन में अंकुरण हो जाता है. एक से 2 महीने बाद इस तरह तैयार किए गए आम के पौधों को जमीन में गड्ढा खोद कर लगा देना चाहिए. कहां से मिली प्रेरणा नरसिंहपुर जिले के साईंखेड़ा में अरविंद राजपूत पिछले 5 सालों से अपनी ‘कल्पतरु’ संस्था के माध्यम से पौधारोपण कर रहे हैं.

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हर शनिवार को नगर के तालाब के किनारे पौधारोपण का कार्यक्रम किया जाता है. लोगों के जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ पर पौधे लगाए जाते हैं. इस अभियान के लिए पौधे नर्सरी से खरीद कर लाए जाते थे, जिस से संस्था पर आर्थिक बोझ पड़ता था. इसी संस्था से जुड़े भानु प्रताप के मन में यह विचार आया कि यदि घर पर ही पौधे तैयार कर उन्हें पौधारोपण के लिए काम में लाया जाए, तो पैसों की बचत होगी. गरमियों में करें गड्ढों की तैयारी वर्षाकाल को आम के पेड़ों को लगाने के लिए हमारे देश में सही माना गया है. इसलिए मई के महीने में ही तकरीबन 50 सैंटीमीटर व्यास और एक मीटर गहराई के गड्ढे 10 से 12 मीटर की दूरी पर खोद लेने चाहिए.

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खोदे गए गड्ढों में सड़ी गोबर की खाद मिट्टी में मिला कर और 100 किलोग्राम क्लोरोपाइरीफास पाउडर बुरक कर गड्ढोें को भर देना चाहिए. बरसात होते ही पौधों का रोपण कर देना चाहिए. पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड या जाली का उपयोग करना चाहिए. खाद व उर्वरक रोपे गए पौधे 1-2 साल में जब पेड़ की शक्ल लेने लगें, तो हर साल 100-100 ग्राम नाइट्रोजन, पोटाश और फास्फोरस को प्रति पेड़ जुलाई के महीने में पेड़ के चारों तरफ बनाई गई नाली में डाल देनी चाहिए. इस के अलावा मिट्टी की उर्वराशक्ति बढ़ाने के लिए 25 से 30 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद प्रति पौधा के हिसाब से देनी चाहिए. जैविक खाद के लिए जुलाईअगस्त में 250 ग्राम एजोस्पिरिलम को 40 किलोग्राम गोबर की खाद के साथ मिला कर थालों में डालने से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. समयसमय पर पौधों के आसपास की घास निकाल कर निराईगुड़ाई करने से खरपतवार व भूमिगत कीट नष्ट हो जाते हैं.

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