देश में कोविड-19 महा inमारी तेजी से फैल रही है.अब कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस संक्रमण का असर देश के किसानों और फसलों पर भी पड़ रहा है.इस वक्त ज्यादातर हिस्सों में फसल पक कर कटने को तैयार है.नए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में रिकॉर्ड 106.21 मिलियन टन गेहूं कटाई के लिए तैयार है. हालांकि, संक्रमण के डर और लौकडाउन के चलते किसान अपनी फसल नहीं काट सकते.वित्तीय वर्ष 2019 में कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन से अर्थव्यवस्था में 18.55 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई थी.
लौकडाउन बना किसानों की मुसीबत
किसानों की फसल पक कर तैयार है, लेकिन 21 दिनों के लौकडाउन की वजह से उन्हें मजदूर नहीं मिल रहे हैं. फसल को बर्बाद होने से बचाने के लिए किसान खुद ही फसल काटने और ढुलाई की कोशिश कर रहे हैं.फसल कटाई के बाद इस का भंडारण कराना और बेचना भी एक समस्या बन जाएगी.इस वक्त किसानों को फसल मंडी तक ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में किसान फसल को सीधे खेत से बेचने के विकल्प ढूंढ रहे हैं, ताकि उन के पास कुछ पैसा आ सके. ऐसे में कई किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि एक ऐसी योजना बनाई जाए, जिस से फसल बर्बाद होने से बच जाए.साथ ही, खाद्य सामग्री की कीमतें भी न बढ़ें.

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इस बारे में सौल्व के फाउंडर ने बताया कि सौल्व ऐसा प्लेटफौर्म है, जो सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय से जुड़ी संस्थाओं को साथ ले कर आते हैं, ताकि वे एकदूसरे को जान पाएं और आपस में खरीदफरोख्त कर पाएं. जैसे, दक्षिण भारत वाले को उत्तर भारत के व्यापारी से कुछ खरीदना है तब वे इस काम को आसानी से कर पाएं, क्योंकि इन के बीच में आसानी से विश्वास पैदा नहीं होता तो हमारी कोशिश इन्हें मिलाने और इन में एकदूसरे के प्रति विश्वास दिलाने की होती है. हम प्लेटफौर्म से जुड़े व्यापारियों को कर्ज दिलाने में भी मदद करते हैं.
सौल्व के फील्ड एजेंट्स ऐप की मदद से उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात समेत देश के कई राज्यों में जा कर डेटा इकठ्ठा करते हैं. वे फील्ड में होने वाले लेन देन को रिकौर्ड करते हैं.साथ ही तय सवालों के आधार पर वे डेटा जुटाते हैं. उन्होंने बताया कि इन दिनों देश के सभी राज्यों में किसानों के लिए लगभग एक जैसे हालात बने हुए हैं.

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