फसल लोबिया पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है, पर जरा सी लापरवाही बरतने से इस में कीड़े लगने और रोग होने का डर बना रहता है. आइए, जानते हैं इसे नुकसान पहुंचाने वाले कीटों और रोगों के प्रबंधन के बारे में :
फली बेधक कीट
यह घरेलू मक्खी की तरह चमकीली काले रंग की मक्खी होती है. इस के पूर्ण विकसित मैगेट 3.5 मिलीमीटर से 4 मिलीमीटर लंबे और सफेद होते हैं. इन का अगला सिरा पतला और पिछला भाग मोटा होता है. इस के मैगेट फलियों में विकसित हो रहे बीजों को खा कर अपना मल फलियों पर ही त्यागते रहते हैं. ऐसी फलियां खाने योग्य नहीं रहती हैं.
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प्रबंधन : यदि फसल में कीट नहीं आया है तो नीम तेल 1500 पीपीएम की 3 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी में घोल बना कर 15-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करते रहें.
यदि कीट आ गया है तो प्रोफेनोफास 25 ईसी की 1.0 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी में घोल बना कर तुरंत छिड़काव करें.
चूर्ण आसिता (बुकनी रोग)
इस बीमारी में पत्ती, कलियों तथा अन्य भागों पर छोटेछोटे सफेद चूर्ण लिए हुए धब्बे बन जाते हैं, जो धीरेधीरे बढ़ कर पूरी पत्ती की सतह को ढक लेते हैं. रोगी पत्तियां पीली पड़ कर गिर जाती हैं.
प्रबंधन : इस रोग के नियंत्रण के लिए सल्फैक्स 2.5 किलोग्राम मात्रा को 700 लिटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.
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किट्ट रोग
इसे रतुआ रोग भी कहते हैं. प्रभावित पत्तियों की निचली सतह पर नारंगी या पीले रंग के उभरे हुए धब्बे बनते हैं. रोग की उग्र अवस्था में ये धब्बे तने एवं कलियों पर भी बनने लगते हैं. साथ ही, पत्तियां सूख कर समय से पहले ही गिर जाती हैं.
प्रबंधन : 2 से 3 साल का फसल चक्र अपनाएं.
रोग की उग्र अवस्था में थायोफिनेट मिथाइल 70 डब्ल्यूपी की 2 ग्राम दवा प्रति लिटर पानी में घोल बना कर तुरंत छिड़काव करें.
सर्को स्पोरा पर्ण दाग
इस में पुरानी पत्तियों पर धब्बे बनते हैं. धब्बों के बीच का भाग धूसर रंग का और किनारे का भाग लाल रंग का होता है. रोग ग्रसित भाग सूख कर गिर जाता है.
प्रबंधन : 3 से 4 वर्ष का फसल चक्र अपनाएं और खेत की सफाई रखें.
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इस रोग के नियंत्रण के लिए कासुगमायसिन्न 3 फीसदी एसएल 1.5 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी में घोल बना कर तुरंत छिड़काव करें.
मोजैक (चितकबरा रोग)
यह विषाणुजनित रोग है. इस में लक्षण नवविकसित पत्तियों पर दिखाई पड़ता है, जो धीरेधीरे पूरे पौधे पर फैल जाता है. पत्तियां चितकबरी हो जाती हैं और नीचे की ओर मुड़ने लगती हैं.
इस रोग के लगने र पौधा बौना रह जाता है और पत्तियां छोटी हो जाती हैं. यह रोग सफेद मक्खी और माहू कीट द्वारा फैलता है.
प्रबंधन : बोआई के लिए बीज रोगरहित पौधे से प्राप्त करें.
रोगी पौधों को उखाड़ कर गड्ढा खोद कर मिट्टी के अंदर दबा देना चाहिए.
सफेद मक्खी और माहू कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की
10 मिलीलिटर दवा प्रति 15 लिटर पानी में घोल बना कर तुरंत छिड़काव करें.
अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क करें.