राजस्थान के सिरोही जिले के आबू क्षेत्र के गांव खड़ात के 66 साल के किसान हंसराज खेती में नवाचारों से 4 बीघे क्षेत्र में करीब 4 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं. हंसराज पिछले 30 सालों से खेती कर रहे हैं. उन के पास कुल 8 बीघे जमीन है. आबू की तलहटी में पहाड़ों के बीच की जमीन सूख गई है. बारिश का पानी बह कर चला जाता था, इसलिए उन्होंने सब से पहले तालाब बनाया व कुआं खुदवाया. तालाब में बरसात का पानी इकट्ठा किया और कुएं में पानी कम था, तो यह पानी कुएं में डाला. लोगों ने कहा कि कुआं ढह जाएगा, पानी दूसरी जगह चला जाएगा. लेकिन उन्होंने सही सोच रखी व हिम्मत से काम लिया और 120 फुट गहरा पानी भरवाया. हंसराज ने पानी इकट्ठा करने के बाद अपनी खेती में उस पानी को इस्तेमाल किया व पड़ोसी 30 से 40 वनवासी को भी पानी मुहैया करवाया. उन के भी गेहूं राज 1482 की अच्छी खेती हुई. हंसराज की खेती को देख कर पड़ोसी भी ऐसा करने लगे. उन्हें भी अच्छी कमाई होने लगी.
हंसराज ने जैविक खेती पर ज्यादा ध्यान दिया, क्योंकि वे सब्जियों की खेती ज्यादा करते हैं. उन्होंने रसायनों से ज्यादा नुकसान देख कर जैविक खेती अपनाई. सब से पहले केंचुआ खाद का वर्मी बेड बनवाया और उस में उदयपुर से ला कर केंचुए डाले. वे घर पर गायभैंस रखते हैं, उन से गोबर मिल जाता है. उस का इस्तेमाल किया. वे 1 बीघे में जैविक खाद से फूलगोभी किस्म सलेक्शन 22 की बोआई करते हैं. देशी खाद देते हैं. कीटरोग लग जाते हैं, तो गौमूत्र व नीम से घर पर बनाई दवा का इस्तेमाल करते हैं. इस प्रकार जैविक खाद और जैविक दवा के इस्तेमाल से गोभी का भरपूर उत्पादन मिलता है. 1 बीघे में करीब डेढ़ लाख रुपए तक की फूलगोभी का उत्पादन होता है. जैविक गोभी को खड़ात गांव व आबूरोड के लोग खरीद कर ले जाते हैं. गोभी की कटाई के बाद वे गेहूं राज 1482 की बोआई करते हैं. यह किस्म खाने में स्वादिष्ठ होती है व जैविक खाद डालने पर यह बहुत अच्छी फसल देती है. करीब 16 से 17 बोरी प्रति बीघा गेहूं पैदा हो जाता है. पड़ोसी किसान भी उन से बीज ले कर गेहूं की यही किस्म बोते हैं.