लहसुन कंद वाली मसाला फसल है. इस में एलसिन नामक तत्त्व पाया जाता है, जिस के कारण इस में एक खास गंध व तीखा स्वाद होता है. इस का इस्तेमाल गले और पेट संबंधी बीमारियों के अलावा हाई ब्लड प्रेशर, पेटदर्द, फेफड़े के रोगों, कैंसर, गठिया, नपुंसकता और खून की बीमारी दूर करने के लिए किया जाता है.
लहसुन नकदी फसल है. मध्य प्रदेश में लहसुन का रकबा 60,000 हेक्टेयर है और उत्पादन 270 हजार टन है. लहसुन की खेती मंदसौर, नीमच, रतलाम, धार व उज्जैन के साथसाथ प्रदेश के सभी जिलों में की जा सकती है.
आजकल लहसुन का प्रसंस्करण यानी प्रोसैस कर के पाउडर, पेस्ट व चिप्स तैयार करने की तमाम इकाइयां मध्य प्रदेश में काम कर रही हैं, जो प्रसंस्करण किए गए उत्पादों को दूसरे देशों में बेच कर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं.
जलवायु : लहसुन को ठंडी जलवायु की जरूरत होती है. वैसे तो लहसुन के लिए गरमी और सर्दी दोनों ही मौसम मुनासिब होते हैं, लेकिन ज्यादा गरम और लंबे दिन इस के कंद बनने के लिए सही नहीं रहते हैं. छोटे दिन इस के कंद बनने के लिए अच्छे माने जाते हैं. इस की सफल खेती के लिए 29 से 35 डिगरी सेल्सियस तापमान मुनासिब होता है.
खेत की तैयारी : इस के लिए जल निकास वाली दोमट मिट्टी बढि़या रहती है. भारी मिट्टी में इस के कंदों की सही बढ़ोतरी नहीं हो पाती है. मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 ठीक रहता है. 2-3 बार जुताई कर के खेत को अच्छी तरह एकसार कर के क्यारियां व सिंचाई की नालियां बना लेनी चाहिए.
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