कम होती खेती की जमीन, युवाओं का खेती से मुंह मोड़ कर शहरों की ओर कामधंधे की तलाश में पलायन करना आम बात है. देश के सब से ज्यादा पलायन करने वाले राज्यों में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्य हैं.

सरकार युवाओं के लिए ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर मुहैया कराने में भी नाकाम साबित हो रही है. हालांकि कुछ लोग इन में ऐसे भी हैं, जो हाथ के दस्तकार हैं. वे अपने गांवों के आसपास ही कमाखा रहे?हैं.

कुछ लोग ऐसे भी?हैं, जिन के पास खेती की जमीन?है, पर वे भी खेती से संतुष्ट नहीं?हैं. वे लोग खेती से अधिक कमाई के लिए परदेश चले जाते हैं.

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आज देश कोरोना के कहर से जूझ रहा?है. देशभर में लोग अपने घर जाने के लिए परेशान हैं. वे जहांतहां फंसे हुए हैं. शहरों से उन का मोह भंग हो चुका है. अपनों के बीच पहुंचने की जल्दी है. जो लोग नहीं जा पा रहे हैं, उन को दो जून की रोटी के भी लाले पड़े हैं. उन्हें अपने खेतखलिहान, अपने लोग याद आ रहे?हैं.

ऐसे समय में उन के खेतिहर किसानों या कृषि से जुड़े लोगों को सीख लेनी चाहिए, जो कृषि को छोड़ कर शहरों की ओर रुख करते?हैं. जिन लोगों के पास खेती है, उन्हें खेती को ही बेहतर रोजगार का जरीया बनाना चाहिए.

कृषि के पारंपरिक तौरतरीकों को छोड़ कर नई तकनीकों से खेती करनी चाहिए. सरकारी स्कीमों का फायदा लेना चाहिए.

देश के?ज्यादातर किसानों के हालात ऐसे नहीं?हैं, जो ट्रैक्टर, हार्वेस्टर जैसे महंगे यंत्र खरीद सकें. ऐसे किसानों के लिए आज अनेक ऐसे कृषि यंत्र हैं, जो उन की पहुंच में?हैं और बड़े यंत्रों की जगह उन छोटे यंत्रों को इस्तेमाल कर फायदा ले सकते?हैं.

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