स्वस्थ मिट्टी और उस की उर्वरा ताकत ही अच्छी उपज का आधार है. इस के बगैर खेती के तमाम उपाय, मेहनत और पूंजी बेकार हो सकती है. आज देश के ज्यादातर इलाकों में ज्यादा फसलों के उत्पादन, रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत और उस की उर्वरा ताकत दोनों को काफी नुकसान हो रहा है. इस का बुरा असर फसलों के उत्पादन पर पड़ने लगा है. लंबे समय तक अच्छी और ज्यादा उपज पाने के लिए समयसमय पर मिट्टी की जांच कराना जरूरी है. जांच रिपोर्ट के आधार पर ही खादों का इस्तेमाल किया जाए, तो मिट्टी और किसान की बल्लेबल्ले हो सकती है.

किसानों को यह समझना होगा कि उम्दा और ज्यादा फसल पाने के लिए उन्नत बीज, अच्छी खाद, सही तरीके से सिंचाई और उन की मेहनत व पूंजी ही काफी नहीं हैं. नियमित रूप से मिट्टी की जांच कर उस का उपचार करते रहने से ही किसान अच्छी उपज पा सकता है. मिट्टी की जांच और उस के उपचार की जानकारी ज्यादातर किसानों को नहीं है और जिन्हें इस की जानकारी है भी तो वे गंभीरता से नहीं लेते हैं.

कुछ किसानों से बातचीत करने पर यही पता चलता है कि उन्हें मिट्टी की सेहत के बारे में जरा भी पता नहीं है. बिहार के नालंदा जिले के किसान दिनेश कुमार कहते हैं कि वे बस यही जानते हैं कि खाद और पानी डालने से फसल अच्छी होती है.

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कृषि वैज्ञानिक वेदनारायण सिंह कहते हैं कि किसानों को मिट्टी की सेहत के प्रति जागरूक होने की जरूरत है. मिट्टी 2 तरह की होती है, एक अम्लीय और दूसरी क्षारीय. क्षारीय (ऊसर) मिट्टी 3 तरह की होती है, एक क्षारीय, दूसरी लवणीय और तीसरी लवण वाली क्षारीय. मिट्टी की समयसमय पर जांच करवा कर जांच रिपोर्ट के अनुसार उस का उपचार कर फसलों की पैदावार और मुनाफे में कई गुना ज्यादा इजाफा कर सकते हैं.

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