सब्जियों का 90 फीसदी या इस से ज्यादा भाग जल से बना होता है. ऐसे में सब्जियां जल के प्रति अति संवेदनशील होती हैं. ज्यादा सिंचाई और कम सिंचाई दोनों ही हालात सब्जियों पर भारी पड़ते हैं. जल पोषक तत्त्वों के लिए विलेय का काम करता है. जल से सारे पोषक तत्त्व पूरे पौधे तक पहुंच पाता है. ऐसे में जरूरत होती है कि सब्जियों से अच्छी आमदनी के लिए समुचित सिंचाई का इंतजाम किया जाए, खासकर फूल आते समय, फलों की बढ़ोतरी के समय जल की कमी से पैदावार घट जाती है.

आइए जानते हैं, विभिन्न सब्जियों में किनकिन अवस्थाओं पर पानी की कमी या अधिकता से क्याक्या असर पड़ता है: जड़ वाली सब्जियों में प्रमुख रूप से गाजर और मूली शामिल है. जड़ों की बढ़वार के समय मिट्टी में नमी की कमी से जड़ों का विकास रुक सा जाता है. जड़ें टेढ़ीमेढ़ी और खुरदरी हो जाती हैं और जड़ों में नाइट्रेट की मात्रा बढ़ जाती है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक है. खेत के सूखे रहने के बाद अचानक सिंचाई करने से जड़ें फट जाती हैं. जड़ों के विकास के समय ज्यादा नमी होने पर जड़ों के मुकाबले पत्तियों का विकास ज्यादा हो जाता है. प्याज : यह उथली जड़ वाली फसल होती है, इसलिए इस में बारबार, मगर हर बार हलकी सिंचाई करनी चाहिए.

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कंदों के विकास के समय नमी की कमी होने पर 2 शल्ककंद बनते हुए या शल्ककंदों को फटते हुए देखा गया है. बैगन : इस में ज्यादा जल भराव से जड़ विगलन रोग लगने की संभावना होती है, जबकि कम नमी होने की दशा में फलों का रंग हलका हो जाता है. टमाटर : मिट्टी में नमी के उतारचढ़ाव से फल फट जाते हैं, जबकि नमी की कमी होने पर मिट्टी में कैल्शियम की कमी हो जाती है. इस से पुष्पवृंत सड़ने लगता है और फूल झड़ने लगता है. फूल आते समय मिट्टी में नमी की कमी होने पर फूल झड़ने लगते हैं या फल छोटे होने लगते हैं. मटर : यह एक दलहनी फसल है, जिस में कम सिंचाई की जरूरत होती है. ज्यादा सिंचाई करने से पौधे जड़ से सूखने लगते हैं. इस में 2 सिंचाई बहुत जरूरी हैं. पहली, फूल आते समय तकरीबन 30-40 दिनों पर. दूसरी, फली विकास के समय तकरीबन 50-60 दिनों पर. मिर्च और शिमला मिर्च :

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