लेखक-डा. प्रदीप कुमार बिसेन
भारत में 45 फीसदी धान सिंचित क्षेत्र में उगाया जाता है. जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा मुहैया है, वहां पर धान की रोपाई की जाती है. रोपाई के लिए धान की पौध अच्छी और स्वस्थ होनी चाहिए, इस से भरपूर पैदावार मिल सके. धान की पौध तैयार करने के लिए उपजाऊ, अच्छे जल निकास व सिंचाई स्रोत के पास वाले खेत का चयन करना चाहिए. अच्छी फसल लेने के लिए दोमट या मटियार मिट्टी सही होती है. इन में पानी को रोकने की ताकत ज्यादा होती है.
अलगअलग विधियां धान की पौध को तैयार करने के लिए अलगअलग क्षेत्रों में अलगअलग तरीके अपनाए जाते हैं, जो इस तरह हैं :
सामान्य विधि. संकर धानों की पौध तैयार करने की विधि. चावल सघनीकरण प्रणाली द्वारा पौध तैयार करने की विधि. मैट टाइप तैयार करने की विधि. बासमती धान की पौध तैयार करने की विधि.
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सामान्य विधि से पौध तैयार करना धान की पौध तैयार करने के लिए बीज का शोधन जरूर करना चाहिए. इस से बीज जनित व मृदा जनित रोगों से पौध को बचाया जा सकता है. जिन क्षेत्रों में जीवाणु, झुलसा या जीवाणुधारी रोग की समस्या हो, तो वहां पर 25 किलोग्राम बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या 40 ग्राम प्लांटोमाइसीन को मिला कर पानी में रातभर भिगो देना चाहिए.
दूसरे दिन पानी में से खाली बीजों को छान कर निकाल देना चाहिए और भरे हुए बीजों को छाया में सुखा कर नर्सरी में डालना चाहिए. यदि क्षेत्रों में झुलसा की समस्या नहीं है, तो 25 किलोग्राम बीज को रातभर पानी में भिगोने के बाद दूसरे दिन निकाल कर जब फालतू पानी बीज में से निकल जाए, तब 75 ग्राम थीरम या 50 ग्राम कार्बंडाजिम को 8-10 लिटर पानी में घोल कर बीज में मिला देना चाहिए. इस के बाद छाया में अंकुरित होने पर नर्सरी में डालना चाहिए.