फसल के साथ उगने वाले खरपतवारों को तो किसान निराईगुड़ाई, जुताई या फिर दवाओं से काबू में कर लेते हैं, पर उन का बस ऐसे जिद्दी खरपतवारों पर नहीं चलता, जो सालभर दिखते नहीं या फिर खेत में कहींकहीं दिखते हैं, लेकिन फसल के साथ ऐसे उगते हैं मानो बोया इन्हें ही गया हो.
घास कुल की खरपतवार दूब भी इसी किस्म की होती है. यह फसल को ऐसे नुकसान पहुंचाती है कि किसान देखते ही रह जाते हैं, कर कुछ नहीं पाते.
बागबगीचों की खूबसूरती बिगाड़ने वाली दूब घास खेतों में फसल और किसानों की सब से बड़ी दुश्मन साबित होती है. इस की हरियाली खेतों के बाहर ही अच्छी लगती है और अगर अंदर आ जाए तो किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर देती है.
इस खरपतवार को ले कर देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के माहिर परेशान हैं, क्योंकि इसे जड़ से काबू करने का कोई तरीका नहीं ढूंढ़ा जा सका है.
नुकसानदेह खूबियां
दूब घास में खूबियों की भरमार होती है, जिन में से पहली यह है कि यह गरमियों में सूख जाती है. इस से किसान बेफिक्र हो जाते हैं, लेकिन जैसे ही फसल बोते हैं तो पता चलता है कि उस के साथसाथ पूरे खेत में दूब घास भी उग आई है.
दरअसल, दूब घास उन खरपतवारों में से एक है, जो बीज से भी पैदा होते हैं और तने व पत्ती से भी अपनी तादाद बढ़ाते हैं.
इस की दूसरी खासीयत इस की जड़ है, जो जमीन में इतनी गहराई तक चली जाती है कि जुताई से खत्म नहीं होती, इसलिए फौरीतौर पर किसान खुद को तसल्ली देने के लिए निराई के नाम पर इस की पत्तियां उखाड़ते रहते हैं, जो देखते ही देखते फिर लहलहा कर फसल को कमजोर कर देती है.
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