भारत में गेहूं की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है. मौसम बेरहमी से पेश न आए, तो पैदावार किसानों को खुश कर देती है. भारत गेहूं का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है. केरल, मणिपुर व नागालैंड राज्यों को छोड़ कर अन्य सभी राज्यों में इस की खेती की जाती है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व पंजाब सर्वाधिक रकबे में गेहूं की पैदावार करने वाले राज्य हैं. वैज्ञानिक तरीकों से गेहूं की फसल की सही देखभाल कर के और बीजों के चयन में सतर्कता अपना कर पैदावार को बढ़ाया जा सकता है और इस की उपज से अधिकतम लाभ लिया जा सकता है. इस के लिए जरूरत इस बात की है कि किसान इस के प्रति जागरूक हों. वैज्ञानिकों की मानें, तो गेहूं की फसल के लिए ऐसी दोमट मिट्टी वाले खेत सही रहते हैं, जहां ज्यादा जलभराव की स्थिति न रहती हो. वैसे पौधों को संतुलित मात्रा की खुराक देने वाली पर्याप्त खाद दी जाए, तो हलकी जमीन से भी अच्छी पैदावार ली जा सकती है.

गेहूं की बोआई से करीब 1 महीने पहले ही प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 4 से ले कर 10 टन तक गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद खेत में डाल देनी चाहिए. इस में 3 किलोग्राम कैलडर्मा व 10 किलोग्राम कैलबहार भी डालना बेहतर होता है. इस के बाद खेत की जुताई कर के पलेवा कर देना चाहिए. फिर हैरो व टिलर से जुताई कर के पाटा लगा कर खेत को पूरी तरह से समतल कर देना चाहिए. बोआई के वक्त खेत में थोड़ी नमी होना जरूरी है. मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए और खेत में खरपतवार नहीं होने चाहिए.

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