जरा कल्पना करें कि आम, जामुन, नीम, बरगद, शीशम, इमली व पीपल जैसे पेड़ घर के ड्राइंगरूम में सजे नजर आएं तो कैसा लगेगा? यकीनन अच्छा लगेगा. बोनसाई के जरीए ऐसा मुमकिन हो सका है. विशाल पेड़ों की चोटी अब आप खड़ेखड़े छू सकते हैं. एक ऐसी तरकीब है, जिस से अपने मनपसंद पेड़पौधे घर में लगाना मुमकिन हो बोनवाई कहलाती है. बोनसाई के जरीए आप बड़े पेड़ों को छोटे रूप में अपने कमरे, बरामदे और बालकनी में लगा सकते हैं. किसी भी पौधे का बोनसाई विकसित किया जा सकता है. बोनसाई  में टहनियों की छंटाई, जड़ों को छोटा करना, गमले बदलना और पत्तियों को छांटने जैसी गतिविधयां एक तय समय पर की जाती हैं. बोनसाई पौधे उगाना कम खर्चीला और रोचक काम होता है.

बोनसाई दरअसल पौधा उगाने की एक असामान्य विधि होती है, जिस में बीज से बोनसाई का विकास नहीं होता, बल्कि एक बड़े पौधे या उस के किसी हिस्से को?छोटा बनाए रखते हैं और पौधे उम्र से बड़े दिखाई देते?हैं. बोनसाई शब्द 2 श्ब्दों के मेल से बना है. जापानी भाषा में बोन का अर्थ है ट्रे यानी कम गहराई वाला पात्र और साई का अर्थ है पौधे लगाना. बोनसाई का इतिहास : बोनसाई की शुरुआत 1133 ईसा पूर्व में चीन में हुई थी, मगर इस का विकास जापानियों द्वारा किया गया. 17वीं शताब्दी से यह जापानियों द्वारा ही पूरे विश्व में मशहूर किया गया. मगर चीनियों का यह दावा है कि यह उन की कला है, क्योंकि उन  के यहां पुराने जमाने से ही गमलों में पेड़ों को लगाया जाता था. जापानी बोनसाई और चीनी बोनसाई में फर्क होता है. चीनी लोग केवल गमलों में पेड़ों को लगा देते?थे, पर उन की नियमित कटाईछंटाई नहीं करते?थे. जापानियों का यह दावा?है कि केवल गमले में पेड़ लगा देना बोनसाई कला नहीं है, बल्कि बोनसाई तो वह कला है, जिस में बड़े पेड़ों को बौने रूप में तैयार किया जाता है.

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