पिछले अंक में आप ने पढ़ा था कि कैसे नए तरीके से गेहूं की खेती की जाए. इस में खाद, पानी और उन्नत किस्म के बीजों के बारे में भी खास जानकारी दी गई थी. साथ ही बताया गया था कि गेहूं में उगने वाले खरपतवारों का खात्मा कैसे करें.

फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए जिस तरीके से हम अच्छे खादबीज व पानी का ध्यान रखते हैं, उतना ही जरूरी है फसल में लगने वाले कीटों व   बीमारियों की भी समय से रोकथाम करना. तभी हम फसल से बेहतर पैदावार ले सकेंगे.

गेहूं के खास कीट

दीमक (ओडोंटोटर्मिस आबेसेस) : दीमक बिना सिंचाई वाली और हलकी जमीन का एक खास हानिकारक कीट?है. दीमक जमीन में सुरंग बना कर रहती है और पौधों की जड़ें खाती है, जिस वजह से पौधे सूख जाते?हैं. यह हलके भूरे रंग की होती?है. इस का असर टुकड़ों में होता है, जिसे आसानी से पहचाना जाता है.

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रोकथाम?: 1 किलोग्राम बिवेरिया और 1 किलोग्राम मेटारिजयम को तकरीबन 25 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद में मिला कर प्रति एकड़ बोआई से पहले इस का इस्तेमाल करें. असर ज्यादा होने पर क्लोरोपाइरीफास 20 ईसी की 3-4 लीटर मात्रा बालू में मिला कर प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल करें. बीज बोआई से पहले इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूएस 0.1 फीसदी से उपचारित कर लेना चाहिए.

माहूं?: गेहूं में 2 तरह के माहूं लगते?हैं. पहला जड़ का माहूं रोग कारक रोपालोसाइफम रूफीअवडामिनौलिस नामक कीट है. दूसरा, पत्ती का माहूं है, यह सीटोबिनयन अनेनी, रोपालोसारफम पाडी और इस की विभिन्न जातियों से होता है. यह फसल की पत्तियों का रस चुस कर नुकसान पहुंचाता है. इन के मल से पत्तियों पर काले रंग की फफूंदी पैदा हो जाती?है, जिस से फसल का रंग खराब हो जाता है.

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