लेखक-डा. सुमित महाजन
दुग्ध ज्वर दुधारु पशुओं की एक जटिल समस्या दुग्ध ज्वर गोपशुओं में होने वाला एक उपापचयी रोग है, जो मादा पशुओं में प्रसव के 3 दिन के अंदर कभी भी हो सकता है. इस रोग में खून में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है. शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिस के चलते पशु लेट जाता है और बाद में उस की मौत हो जाती?है. यह बीमारी ज्यादा दूध देने वाली गायों में होती है. विशेष रूप से उन में, जो अपने दुग्ध उत्पादन की उच्चतम सीमा पर पहुंच चुकी होती हैं. सामान्यतया तीसरे, चौथे और 5वें ब्यांत में इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा रहती है. इस बीमारी पर मौसम का भी असर देखा गया है और यह जाड़े के दिनों में ज्यादा होती है.
वजह शरीर द्रव्य में कैल्शियम आयन का कम होना इस बीमारी का मुख्य कारण है. वहीं शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम होने के कई कारण हैं जैसे :
* प्रसव के बाद जो पहला गाढ़ा पीला दूध होता है, उस में कैल्शियम की मात्रा बहुत ज्यादा (खून में कैल्शियम की मात्रा की तुलना में 12-13 गुना) होती है. दूध निकालने के बाद पशु के शरीर में कैल्शियम की मात्रा एकदम से कम हो जाती?है.
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* बच्चा देने के समय आंत से कैल्शियम का अवशोषण भी कम हो जाता है, जिस से शरीर द्रव्य में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है.
* कभीकभी इस बीमारी में कैल्शियम के साथसाथ मैग्नीशियम की भी कमी हो जाती है, जिस से पशु लकवाग्रस्त सा हो जाता है और लेट जाता है.