लेखक-डा. योगेश कुमार सोनी

अकसर आप ने यह देखा होगा कि हीट या गरमी में आई हुई गायभैंसों में कृत्रिम गर्भाधान या एआई करने वाला पशुमित्र अपने साथ एक कंटेनर या पात्र ले कर चलता है, जिस में सीमन की स्ट्रा या वीर्य की नलियां एक गैस (तरल नाइट्रोजन) में संरक्षित होती है. वह उस में से एक नली निकालता है और उसे कुनकुने पानी में पिघला कर एक पाइप में डालता है और एआई गन के जरीए गाय या भैंस की बच्चेदानी में छोड़ देता है. उस के बाद उस पाइप में खाली स्ट्रा रह जाती है, जिसे वह फेंक देता है.

अगर उस पाइप में से खाली स्ट्रा को निकाल कर देखें, तो आप बाहर से यह पता लगा सकते हैं कि उस पशुमित्र या एआई करने वाले आदमी ने किस नस्ल के सांड़ के वीर्य या बीज का इस्तेमाल किया है.
सांड़ की नस्ल की पहचान 2 तरह से की जा सकती है :

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* स्ट्रा या नली के रंग द्वारा.
* स्ट्रा या नली पर अंकित इंगलिश के कोड द्वारा.
स्ट्रा या नली के रंग द्वारा सांड़ की नस्ल की पहचान : केंद्र सरकार ने सांड़ के वीर्य उत्पादन के बाद स्ट्रा की पहचान के लिए अलगअलग नस्लों के लिए स्ट्रा के अलगअलग रंग तय किए हैं, जिन्हें देख कर सांड़ की नस्ल का पता लगाया जा सकता है :
* होलस्टीन फे्रजियन (एचएफ)- गुलाबी रंग.
* एचएफ संकर (एचएफ क्रौस ब्रीड)-पिस्ता जैसा हरा रंग.
* जर्सी नस्ल-पीला रंग.
* जर्सी क्रौस ब्रीड-पीच या आड़ू जैसा रंग.
* देशी नस्ल-नारंगी रंग.
* सुनंदिनी नस्ल-नीला रंग.
* भैंस-सलेटी रंग.
कभीकभी ऊपर बताए गए रंगों में से कोई भी रंग उपलब्ध न होने पर वीर्य को पारदर्शी स्ट्रा में रखा जा सकता है.

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