"माँ के पास"
"कल चली जाना,फ़िलहाल सफ़र की थकान तो उतार लो"
"दो तीन घंटे में आ जाऊँगी समीर,माँ की बहुत याद आ रही है"
उसने बच्चों की तरह मचल कर कहा तो समीर ने टैक्सी बुक कर दी.
दो घंटे की कह कर शर्मिला जब,रात तक वापस नहीं लौटी तो समीर ने फ़ोन घुमा दिया,