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सावित्री थके से स्वर में बोली, ‘तुम अपना ब्लडप्रैशर मत बढ़ाओ, यह घोंसला तो पिछले 10 वर्षों से खाली है. हम हैं न एकदूसरे के लिए,’ पर यह कहते हुए उन का स्वर भीग गया था.

सावित्री मन ही मन सोच रही थी कि वह अभिषेक को भी क्या कहे, आखिर प्रियंका उस की बीवी है. पर वे दोनों कैसे रहें उस के घर में, क्योंकि बहू का तेज स्वभाव और उस से भी तेज कैंची जैसी जबान है. उस के अपने पति रामस्वरूपजी का स्वभाव भी बहुत तीखा था. कोई जगहंसाई न हो, इसलिए सावित्री और रामस्वरूप ने खुद ही एक सम्मानजनक दूरी बना कर रखी थी. पर इस बात को अभिषेक अलग तरीके से ले लेगा, यह उन्हें नहीं पता था.

उधर रात में अभिषेक प्रियंका को जब पापा और उस के बीच का संवाद बता रहा था तो प्रियंका छूटते ही बोली, ‘नौकर चाहिए उन्हें तो बस अपनी सेवाटहल के लिए, हमारा घर तो उन्होंने अपने लिए मैडिकल टूरिज्म समझ रखा है, जब बीमार होते हैं तभी इधर का रुख करते हैं. अब कराएं न अपने बेटीदामाद से सेवा, तुम क्यों अपना दिल छोटा करते हो?’

एक तरह से सब को नाराज कर के ही अभिषेक और प्रियंका अमेरिका  आए थे. साल भी नहीं बीता था कि पापा फिर से बीमार हो गए थे, अभिषेक ने पैसे भेज कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली थी. आखिर, अब उसे सार्थक का भविष्य देखना है.

उस की बड़ी दी ऋचा और उन के पति जयंत, मम्मीपापा को अपने साथ ले आए थे. पर होनी को कौन टाल सकता है, 15 दिनों में ही पापा सब को छोड़ कर चले गए.

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