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इस पर नई एअरहोस्टेस सकपका कर सब को देखने लगी, ‘‘इस में हंसने की क्या बात थी.’’

‘‘एअर रूट और समुद्र का रूट कभी जानापहचाना नहीं हो पाता. जरा विचार करो,’’ कैप्टन अक्षय चौहान ने कहा.

नई एअरहोस्टेस अनामिका इस पर सोचने लगी. सड़क मार्ग तो जानापहचाना हो सकता था मगर क्या हवाई मार्ग कभी जानापहचाना हो सकता था? उस ने सामने लगे बड़ेबड़े शीशों से बाहर देखा.

ऊपर काला आसमान था, नीचे चमकता समुद्र या बर्फ से ढकी ऊंचीनीची पहाडि़यां. इस तरह का समुद्री मार्ग भी कभी जानापहचाना हो सकता है?

फिर वह अपने भोलेपन पर हंस पड़ी. सभी फिर हंस पड़े. क्रू की नई साथी सब को पसंद आई.

‘‘लो, अब ऊंचाऊंचा आल्प्स पर्वत हमारे नीचे आ रहा है,’’ कैप्टन ने इशारा करते हुए कहा.

सब ने बाहर देखा. दूध जैसी बर्फ से ढका पर्वत समूह उन के नीचे से गुजर रहा था.

तभी एक घरघराहट की आवाज हुई. कैप्टन ने चौंक कर डैश बोर्ड पर देखा. दोहरे इंजन पर आधारित हवाई जहाज का एक इंजन किसी तकनीकी खराबी से बंद हो गया था. दूसरा इंजन समवेत चालू हो चुका था.

तभी हलकेहलके हिचकोले ले हवाई जहाज डोलने लगा.

‘‘लगता है दूसरा इंजन भी खराब हो रहा है,’’ कैप्टन ने चिंतातुर स्वर में कहा.

सब के चेहरे पर भय छा गया. अब क्या होगा? क्या प्लेन क्रैश हो जाएगा? और सब...

अभी सभी हंसतेहंसते बातें कर रहे थे. और अब सब के मस्तिष्क पर मौत का भय छा गया था.

कैप्टन डैश बोर्ड पर झुका, कभी यह स्विच, कभी दूसरा बटन दबा रहा था. हवाई जहाज का कंट्रोल पैनल कंप्यूटर औपरेटेड था, एक तरह से स्वचालित था.

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