रूस के दक्षिणपश्चिम का देश यूक्रेन दुनिया का सब से खतरनाक इलाका बन सकता है. यह कभी रूस का हिस्सा था. वर्ष 1991 में यह सोवियत यूनियन से अलग हुआ पर जितने समय रूस का हिस्सा रहा उस दौरान भारी संख्या में रूसी बोलने वाले बस गए. अलग होने के बाद रूस ने इस पर लगातार गिद्ध सी नजरें लगाए रखी थीं और अब वहां के रूसपंथी राष्ट्रपति विक्टर यानूकोविच को जनता द्वारा भगाए जाने के बाद रूस अपनी सेनाएं वहां भेजने की तैयारी में है.

यूक्रेन की राजधानी कीव की इच्छा पश्चिमी यूरोप के लोकतांत्रिक देशों के साथ मिलने की है पर रूसीभाषी तानाशाही, बेईमानी, रिश्वतखोरी, माफियाई राज को ही पसंद कर रहे हैं जो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की पहचान है.

यूक्रेन बहुत सुंदर, कलात्मक भवनों वाला देश है और उस की अपनी अलग पहचान बन गई है. पर रूसी कला का साया उस का पीछा नहीं छोड़ रहा. व्लादिमीर पुतिन उसे अपने कब्जे में ले कर अपने देशवासियों को संदेश देना चाहते हैं कि वे कभी क्रेमलिन के चंगुल से निकलने के सपने न देखें क्योंकि उस के टैंक अभी मौजूद हैं और वे किसी भी विद्रोह को कुचल सकते हैं, चाहे उस की सीमा में हो या उस की सीमा से बाहर हो.

अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के देश सांस रोक कर इस घटना को देख रहे हैं क्योंकि वे रूसी टैंकों का आतंक एक बार फिर नहीं देखना चाहते जिस ने कभी पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया पर हमला कर दिया था. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को किसी भी हद तक जाने को तैयार होना पड़ेगा क्योंकि एक बार छूट देने का मतलब होगा पुतिन को स्टालिन और हिटलर का सा रास्ता दिखा देना.

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