धर्म का नशा इतना बड़ा है कि लोग अपनी जान की परवाह किए बिना हरिद्वार में हो रहे कुंभ में बिना कोविड टैस्ट करा पहुंच रहे हैं. वे खुद को भी बिमारी का निमंत्रण दे रहे हैं और अगर उन्हें नहीं है तो दूसरों से ले रहे हैं. भाजपा सरकार ने इस कुंभ को बंद करने का कोई आदेश नहीं दिया है.

यह धर्मांधता भारत में ही नहीं दुनिया भर में है. कितने ही देशों में चर्चों ने अपने दरवाजे पिछले फरवरी-मार्च से लगातार खुले रखे. जहां भी धर्म समर्थक सरकार थी वहां उन्होंने अनदेखा किया. कितने ही ईसाई पुजारी जो कहते रहे कि कोविड केवल पापियों को होगा, जीसस ईश्वर को भारत में आने वालों को नहीं होगा कोविड के चपेट में आकर अपनी मान्यता के अनुसार जीसस से मिलने पहुंच गए.

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भारत में सभी मंदिरों के अघोषित मालिक राष्ट्रीय स्वयं सेवा संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत भी कोविड ग्रस्त हो चुके हैं. कितने ही भाजपा के मंत्री, मुख्यमंत्री कोविड से छटपटाते रहे पर फैसले लेते समय धर्म का धंधा उन पर छाया रहा. उन्होंने मंदिरा में भी जाना चालू रखा, घरों में हवन पूजाएं कराईं, चुनाव सभाओं में भाग लिया, अफसरों से मिले, कमाई के अवसर चालू रखे. हां भूल कर भी वे उन मजदूरों की ओर नहीं गए जो कोविड के डर के कारण पिछले साल पैदल चल कर घर पहुंचे और फिर वापस आए और अब दूसरी नहर में फिर लौट रहे हैं.

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हरिद्वार के कुंभ के लिए पुलिस ने एतिहात के तौर पर जगहजगह पोस्ट लगा कर आरटी-पीसीओर रिपोर्ट चैक करना चालू रख रखा है पर तीर्थ यादि मुख्य मार्ग छोड़ कर खेतों, जंगलों, गांवों से उबडख़ाबड़ सडक़ों से जाने लगे हैं. वे गांवों की सडक़ों को तो नष्ट कर ही रहे हैं, बिना टैस्ट के जाने की वजह जहां रखेंगे वहां वायरस छोड़ सकते हैं. जो गांव किसी तरह से बच रहे थे वे गंगा मैया की कृपा से कोरोना ग्रस्त हो जाएं तो बड़ी बात नहीं.

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