इजराइल की हठधर्मी अब सीमाएं पार कर रही है. लगता है इस ने पूरे विश्व को डांवांडोल करने की ठान ली है. दशकों से फिलिस्तीनियों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ हमास द्वारा 7 अक्तूबर, 2023 को किए गए मिसाइल व जमीनी अटैक, जिस में काफी इजराइली अगवा कर लिए गए थे, का बदला लेने के लिए बजाय हमास को खत्म करने के इजराइल ने आसान तरीका अपनाया और फिलिस्तीनियों की गाजा पट्टी में बसी बस्तियों पर भारी बमबारी शुरू कर दी जिस में लड़ाकुओं के नहीं, आमजनों के घर तोड़े व उन में रहने वाले मारे जाने लगे.

जो काम हिटलर ने 1940 और 1945 में जरमनी, पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया, हंगरी में यहूदियों के साथ किया, उसी बर्बरता के साथ बेंजामिन नेतन्याहू की इजराइली सेनाओं ने किया. गाजा पट्टी को होलोकास्ट के बदनाम गैसचैंबरों में तबदील कर दिया गया. जो यूरोप और अमेरिका यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के दौरान यूक्रेन की सहायता के लिए दौड़े वे इस हमले पर चुप रहे क्योंकि फिलिस्तीनियों ने पिछले 4-5 दशकों में आतंकवादी घटनाओं में साथ दिया था. मानवीय मूल्यों को भुला कर राजनीतिक मकसद के लिए हथियार उठाना सब को भारी पड़ रहा है और अब इस संघर्ष में ईरान के कूद जाने से यह संकट और ज्यादा गंभीर हो गया है.

ईरान के पास न्यूक्लियर बम भी हैं और मरने को तैयार कट्टर इसलामी लड़ाके भी. न इजराइल, न ईरान, न फिलिस्तीनी अब दुनिया के किसी देश की सुनते हैं, न बेगुनाहों की मौतों की चिंता करते हैं. पाकिस्तान से ले कर इजराइल तक के मुसलिम और यहूदी देश आज बेहद असुरक्षित हैं, कहीं भी, किसी भी कोने से यहां हमले हो सकते हैं और सरकारें एकदूसरे के खिलाफ मौत की साजिशें करती रहती हैं.

जिस तकनीक व साइंस का इस्तेमाल मानव को सुखी दिन देने के लिए किया जा रहा था उसे यहां मारने के लिए किया जा रहा है. ड्रोन, कंप्यूटर, इंटरनैट, सैटेलाइट टैक्नोलौजी आदि सब का विकास वैज्ञानिकों ने मानवहितों के लिए किया था. आज शासक सत्ता पाने या बनाए रखने के लिए इन का भरपूर दुरुपयोग कर रहे हैं.

इजराइल ने इतिहास का नाम ले कर सदियों पहले छोड़ी जमीन पर फिर से पश्चिमी देशों की सहायता से कब्जा कर लिया पर अपने पड़ोसियों को दोस्त बनाने की जगह दुश्मन बना डाला. धर्म ने पहले सदियों तक यहूदियों को ईसाइयों के भगवान जीसस क्राइस्ट की हत्या के लिए दोषी मान कर उन से पीढ़ीदरपीढ़ी बदला लिया और अब यहूदी अरबों को अपने पूर्वजों को इजराइल की जमीन से सैकड़ों साल पहले भगाने के जुर्म की सजा दे रहे हैं.

इतिहास का नाम ले कर दुनिया के कितने ही देशों में शासक अपनी सत्ता बनाए रखते हैं. भारत भी इस में से एक है. अयोध्या का मंदिर इसी की निशानी है कि धर्म के नाम पर पुरानी बातों की कहानियों को खोल कर कैसे आज सत्ता पाई जा सकती है और लोगों को मरनेमारने के लिए तैयार किया जा सकता है.

इजराइल पश्चिम एशिया में जो कर रहा है वह एक बहुत गलत उदाहरण है. 75 सालों में वह उस जमीन पर पहले बसे लोगों से सम?ाता नहीं कर पाया, यह उस की नीतिगत गलती है, भूल है और इजराइल ने जो अद्भुत उन्नति इन सालों में की है वह उसे राख में मिला सकती है.

ईरानी शासकों का दखल दुनिया को बहुत महंगा पड़ेगा क्योंकि ईरान बेलगाम देश है जो धर्म के नाम पर हर अति को सामान्य सम?ाता है. 14 अप्रैल को ईरान के सैकड़ों ड्रोनों का इजराइल पर हमले का तेहरान व दूसरे देशों में खुल कर जश्न मनाया गया जबकि यह मालूम है कि इस का मतलब है इजराइल का पटलवार जिस में ईरान में जानें तो जाएंगी ही, जो कुछ पिछले सालों में बना है वह नष्ट भी हो जाएगा.

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