राजनीति में पिछले 2 चुनावों में जम कर दलबदल हुआ और हो रहा है. भारतीय जनता पार्टी ने कमेटियां बना रखी हैं जो लगातार कांग्रेसी व दूसरी विपक्षी पार्टियों के नेताओं को बहलाफुसला कर या डरा कर तंग कर रही हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन सहित कितने ही विपक्षी नेताओं पर मुकदमे चलाए जा रहे हैं. विपक्षियों के खिलाफ इस तरह के पैतरों की शिक्षा आखिर भाजपा के नेताओं को मिलती कहां से है.

ये तरीके हमारे पौराणिक ग्रंथों में भरे पड़े हैं. इन्हीं ग्रंथों में सनातन धर्म का खूब प्रचार किया जाता है और इन में सद्भाव, सत्य व सपरिश्रम से कुछ पाने की बातें हैं तो ज्यादातर कथाएं छद्म व्यवहार की हैं. एक उदाहरण देखिए. जब पांडव जुए में राजपाट हार कर जंगलों में भटक रहे थे तो कौरवों के राजा दुर्योधन जिस के पास कौरवों और पांडवों दोनों का राज्य था वह युधिष्ठिर व अन्य पांडव कैसे जंगल में रह पा रहे हैं, इस बात पर चिंतित था, जैसे आज भाजपा नेता चिंतित हैं.

महाभारत में लिखा है, ‘छलकपट में निपुण कर्ण और दुशासन आदि के साथ दुर्योधन भांतिभांति के उपायों से पांडवों के संकट डालने की युक्ति पर विचार कर रहे थे,’ जिस तरह आज इलैक्टोरल बौंड्स, एन्फोर्समैंट डायरैक्टोरेट, सैंट्रल ब्यूरो औफ इन्वैस्टिगेशन अवतरित हुए उसी तरह ‘महायशस्वी, तपस्वी, महर्षि दुर्वासा अपने 10 हजार शिष्यों को साथ लिए हुए स्वेच्छा से आ पहुंचे. परम क्रोधी दुर्वासा को आया देख दुर्योधन ने अपनी इंद्रियों को काबू में रख कर नम्रतापूर्वक उन्हें अतिथि सत्कार के लिए निमंत्रित किया.’

महाभारत काव्य कहता है कि उन दिनों दुर्वासा ने तरहतरह के नखरों से दुर्योधन से सेवा कराई और ब्राह्मण कृत्य से डरे हुए दुर्योधन ने रातदिन उन की सेवा की. कभी वे खाना मंगाते, फिर खाने को मना कर देते या कभी देररात खाने की मांग कर बैठते. अंत में दुर्वासा ने दुर्योधन से संतुष्ट हो कर कुछ मांगने को कहा तो दुर्योधन ने निर्बाध ईडी, सीबीआई, पीएमएलए वाला काम करने को कहा.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...