नरेंद्र मोदी ने देश को एक बार फिर विघटनकारी मुद्दों पर ला खड़ा कर दिया है. कहने को चाहे वे गुजरात मौडल के विकास की बात करें, असल में उन की हर स्पीच में ‘हम’ और ‘उन’ की बात रहती है. वे हर उस, जो हिंदुत्व की भावना में विश्वास नहीं करता, के खिलाफ मुंह खोलते हैं. वे पिछले महीनों के दौरान कभी ‘चरैवेति, चरैवेति’ का बखान करते तो कभी शास्त्रों में भक्ति को प्रणाम कर के आधा पुण्य कमाने की बात, कभी गुरुकुलों की महत्ता का ढिंढोरा पीटते तो कभी गुजरात के मोहनजोदड़ो युग के शहर धोलेरा का गान करते रहे हैं पर सत्ता में आने पर वे क्या करेंगे? धर्म, जाति, वर्ण, भाषा, क्षेत्र के आधार पर बंटे देश की खाई को वे पाटेंगे या कि नहीं?

नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में बारबार उस पुरातन हिंदू राज की बात करते हैं जिस का न इतिहास है न परंपराएं हैं और न जीवनशैली का पता है. पता है तो सिर्फ इतना कि इसे कैसे पूजो, उसे कैसे पूजो. अपने पिछले दिनों पर गर्व करना समाज की भारी भूल है क्योंकि यह गर्व असल में एक बंधन है. इतिहास तो सिर्फ जानने और समझने के लिए है. उस में और आज के फैसले लेने में सबक सीखने को है.

जब नरेंद्र मोदी इतिहास की बात करते हैं तो उन लड़ाइयों का जिक्र करना जरूरी हो जाता है जिन में हिंदू हारे, बारबार हारे, संख्या, बुद्धि, बल में श्रेष्ठ होने के बावजूद हारे. पर जब इन हारों की दबी दास्तानों को खोद कर निकालने की कोशिश होती है, कंकाल ही मिलते हैं जो बेहद डरावने होते हैं.

आज वे समाज उन्नति कर रहे हैं जो आगे देख रहे हैं. अमेरिका सब से आगे है क्योंकि उस का इतिहास ही नहीं है. चीन आगे बढ़ रहा है क्योंकि सांस्कृतिक क्रांति के नाम पर चीन ने अपने मन से इतिहास को साफ कर दिया था. यूरोप के देशों ने अपने पुराने इतिहासों को भुला दिया, तभी 1945 के बाद नष्ट होने पर भी बहुतों ने उन्नति की.

हमें बारबार उलट कर, पलट कर पुरातन की ओर ले जाने की कोशिश हो रही है. गो पूजा, राम मंदिर और अब सरदार पटेल, ये गड़े मुरदे उखाड़ कर इन्हें जीवन में थोपने की कोशिश हो रही है. इन का क्या लाभ होगा? सिवा इस के कि समाज में ‘हम’ और ‘उन’ की खाई बढ़ेगी. क्योंकि जब पुरानी बातें खोदोगे तो यह भी निकलेगा कि कैसे तथाकथित देवीदेवताओं ने एकदूसरे के साथ अन्याय किया, व्यभिचार किया, छलकपट किया. इन लोगों ने जनता के बड़े समूह को कैसे दास बना कर रखा. तब फिर यह कैसे छिपाया जा सकता है.

वैश्वीकरण के कारण दुनिया आज हमें पुराने विवादों को हटा कर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही है. हम पुरातन के पीछे दौड़ेंगे तो मिट्टी में हाथ सनेंगे. सपनों में हजारों टन सोना पाने की बातों में आ कर खोदेंगे तो बरतनों के टुकड़े ही निकलेंगे.

 

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