3 विधानसभाओं को, जहां पिछली बार कांग्रेस जीती थी, बुरी तरह हार जाना साबित करता है कि फिलहाल भारतीय जनता पार्टी का एकछत्र राज चलता रहेगा. कांग्रेस राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के शोरशराबे, भारत जोड़ो यात्रा, अडानी को धनवान बनाने के आरोपों के बावजूद अभी तक जनता का भरोसा जीत नहीं पाई है. फिर भी कांग्रेस अभी बची है. यह तेलंगाना में साबित हो गया जहां उस ने भारतीय राष्ट्रीय समिति को हरा दिया.

भारतीय जनता पार्टी के राज करने के ढंग से बहुत से लोग खुश नहीं हैं. हिंदूमुसलिम विवाद, धर्म की खुलेआम बिक्री, मीडिया और स्वतंत्र संस्थाओं का नियंत्रण चाहे बुद्धिजीवियों में से कुछ को पसंद न आए, आम जनता को भगवा रंग का आकर्षण अभी भी बुरा नहीं लगता है और वह फीके पड़ चुके कांग्रेसी नारों से ऊबने लगी है.

नरेंद्र मोदी के राज में भारत में कुछ खास गड़बड़ हो रही हो, ऐसा भी नहीं है. देश खासे ढंग से चल रहा है और दूसरे देशों की तरह तरक्की कर रहा है और उन्हीं की तरह यहां अमीरों के पास पैसा जमा हो रहा है, गरीबों की हालत सुधर नहीं रही है. गरीब वोटर ज्यादा हैं पर वे समझ नहीं पा रहे कि सरकार की ऐसी कौन सी नीतियां हैं जिन से भेदभाव पैदा हो रहा है और उन में से किन को कांग्रेस ठीक कर सकती है.

जहांजहां तुलसीदास के रामचरितमानस का राज है वहां भारतीय जनता पार्टी के पांव मजबूत हैं. जहां रामचरितमानस को कोई नहीं जानता वहां भारतीय जनता पार्टी केवल तोड़जोड़ कर सरकार बना सकती है. रामचरितमानस के बल पर ही 1947 के बाद कांग्रेस ने उत्तरी राज्यों में 40-50 साल राज किया था पर अब इस की डोर भारतीय जनता पार्टी ने ज्यादा जोर से पकड़ ली है और उस ने इसे ज्यादा जोर से भुनाने की कला सीख ली है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...