रात के 2 बजे पार्टी से लौटने का हक हरेक को है, (फिलहाल अभी तक जब तक इसे देशद्रोह न मान लिया जाए) पर यह न भूलें कि इस संस्कारी देश में सतर्क पर बिखरे गुंडों की कमी नहीं है. रात को लड़की के अकेले या सिर्फ एक पुरुष को, चाहे पिता हो या पति, देख कर हैरेस करना आम बात है. अब गुंडोंमवालियों के पास अपनी नई गाड़ियां भी हैं क्योंकि ज्यादातर लोग सत्तारूढ़ पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं और पुलिस वालों को धमकाना आसान है.

दिल्ली की एक टीवी एक्ट्रेस रात 2 बजे सड़क पर बुरी तरह भयभीत हुए जब एक कार में सवार लोगों ने उस का पीछा करना शुरू कर दिया और फिर उस के घर तक पहुंच गए. उन्होंने पुलिस की परवाह भी नहीं की क्योंकि पुलिस ने तुरंत उन्हें जमानत भी दे डाली. उन के संपर्क ही ऐसे थे. रोहिणी इलाके के डीसीपी प्रमोद कुमार मिश्रा कहते रहें कि अपराध जमानती था, पर असल बात कुछ और है.

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देश का कानून आजकल केवल सत्ताधीशों की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल हो रहा है और अदालतें, यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय तक पर पूरा भरोसा नहीं रह गया है. क्योंकि आज का न्यायाधीश कल सत्तारूढ़ दल का बाकायदा सदस्य हो सकता है.

इसलिए जो लड़कियां सड़क पर रात के चलने का जोखिम ले रही हैं उन्हें किसी भगवाधारी को पटा कर रखना चाहिए ताकि वे भी आफत में किसी की शरण ले सकें. ऋषिमुनियों की शरण में ही सुरक्षा मिलती है, यह वैसे भी हमारे पुराण कहते हैं और प्रवचनों के बल पर चल रही पुलिस फोर्स अब औरतों की सुरक्षा को सैकेंड्री काम ही मानती है. रात को चलो तो गाड़ी पर भगवा झंडा लहरा लेना एक सुरक्षात्मक जरिया हो सकता है. सिर पर भगवा दुपट्टा भी काफी सुरक्षा की गारंटी है.

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